- Home/
- Bihar State Exams (BPSC)/
- Article
क्षैतिज एवं ऊर्ध्वाधर आरक्षण (horizontal and vertical reservation in Hindi)
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 25th, 2023
![](https://bep-wordpress.byjusexamprep.com/wp-content/uploads/2023/08/24233631/external-image-4368.jpg)
भारतीय संविधान में 2 प्रकार के आरक्षण की व्यवस्था है | ऊर्ध्वाधर आरक्षण (Vertical Reservation) तथा क्षैतिज आरक्षण (Horizontal Reservation) |
ऊर्ध्वाधर आरक्षण में अनुसूचित जाति (S.C), अनुसूचित जनजाति (S.T) और अन्य पिछड़े वर्गों (O.B.C) के आरक्षण का वर्णन हैं | जिसकी व्याख्या संविधान के अनुच्छेद 16 (4) में की गई है | जबकि क्षैतिज आरक्षण (Horizontal Reservation) में ऊर्ध्वाधर श्रेणियों के अंतर्गत आने वाले विशेष वर्ग जैसे- महिलाओं, बुजुर्गों, समलैंगिक समुदाय और दिव्यान्ग व्यक्तियों आदि को आरक्षण दिया जाता है। जिसकी व्याख्या संविधान के अनुच्छेद 15 (3) में की गई है। क्षैतिज आरक्षण प्रत्येक ऊर्ध्वाधर वर्ग के अंतर्गत पृथक रूप से दिया जाता है|
Table of content
क्षैतिज एवं ऊर्ध्वाधर आरक्षण (Horizontal and Vertical Reservation)
सौरभ यादव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार वाद-2021 प्रकरण के कारण क्षैतिज एवं ऊर्ध्वाधर आरक्षण चर्चा में था। इस प्रकरण में सोनम तोमर नाम की एक महिला ने अन्य पिछड़े वर्ग (O.B.C) से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अधिसूचित कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में आवेदन दिया | इस परीक्षा में सोनम तोमर को 276.5 अंक मिले | किंतु उनका चयन नहीं हुआ | जबकि सामान्य वर्ग से 274.8 अंक, जो कि सोनम तोमर के प्राप्तांकों से कम था , हासिल करने वाले अभ्यर्थी का चयन इस परीक्षा में हो गया | अब यहाँ पर सवाल यह था कि तोमर को अन्य पिछड़े वर्गों (O.B.C) में आरक्षण दिया जाये या सामान्य महिला वर्ग में | क्योंकि अन्य पिछड़े वर्गों का आरक्षण ऊर्ध्वाधर वर्ग में आता है जबकि महिला का आरक्षण क्षैतिज वर्ग में |सौरभ यादव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार वाद-2021 प्रकरण के कारण क्षैतिज एवं ऊर्ध्वाधर आरक्षण चर्चा में था। इस प्रकरण में सोनम तोमर नाम की एक महिला ने अन्य पिछड़े वर्ग (O.B.C) से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अधिसूचित कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में आवेदन दिया | इस परीक्षा में सोनम तोमर को 276.5 अंक मिले | किंतु उनका चयन नहीं हुआ | जबकि सामान्य वर्ग से 274.8 अंक, जो कि सोनम तोमर के प्राप्तांकों से कम था , हासिल करने वाले अभ्यर्थी का चयन इस परीक्षा में हो गया | अब यहाँ पर सवाल यह था कि तोमर को अन्य पिछड़े वर्गों (O.B.C) में आरक्षण दिया जाये या सामान्य महिला वर्ग में | क्योंकि अन्य पिछड़े वर्गों का आरक्षण ऊर्ध्वाधर वर्ग में आता है जबकि महिला का आरक्षण क्षैतिज वर्ग में |
क्षैतिज एवं ऊर्ध्वाधर आरक्षण PDF
अन्य महत्वपूर्ण लेख हिंदी में |
|
भारत का पहला स्लेंडर लोरिस अभ्यारण्य | |
असमानता सूचकांक 2022 | |
न्यायालय की व्याख्या: वाद -विवाद के बाद न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामलों में अभ्यर्थी को आरक्षण से वंचित न कर के सामान्य वर्ग के अंतर्गत आरक्षण का लाभ दिया जाये , क्योंकि न्यायालय के शब्दों में “ऐसा न करने का अर्थ होगा आरक्षण को केवल उच्च वर्ग के लिए बचा कर रखना |”
भारत में आरक्षण (Reservation in India)
भारत में आरक्षण व्यवस्था की शुरुआत 1882 में गठित हंटर आयोग के साथ माना जाती है | आयोग के अध्यक्ष विलियम हंटर व प्रसिद्द समाज सुधारक महात्मा ज्योतिवा फुले ने सभी के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा तथा अंग्रेज सरकार की नौकरियों में आनुपातिक आरक्षण/प्रतिनिधित्व की कल्पना की थी।
1901 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर रियासत में शाहूजी महाराज द्वारा पहली बार आरक्षण की शुरूआत की गई जब उन्होंने गैर ब्राह्मणों के लिए 50% आरक्षण की व्यवस्थ दी | यह अधिसूचना भारत में आरक्षण देने वाला पहला आधिकारिक आदेश है।
1921 में मद्रास प्रेसीडेंसी ने जातिगत सरकारी अधिसूचना जारी की , जिसमें गैर-ब्राह्मणों के लिए 44 %, ब्राह्मणों के लिए 16 %, मुसलमानों के लिए 16 %, भारतीय-एंग्लो/ईसाइयों के लिए 16 % और अनुसूचित जातियों के लिए 8 % आरक्षण की व्यवस्था की गई थी |
1933 का सांप्रदायिक पंचाट इस मामले में एक अहम पड़ाव था जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैमजे मैकडोनाल्ड द्वारा भारत में उच्च वर्ग, निम्न वर्ग, मुस्लिम, बौद्ध, सिख, भारतीय ईसाई, एंग्लो-इंडियन, पारसी और अछूत (दलित) आदि के लिए अलग-अलग चुनावक्षेत्र अरक्षित कर दिए गये |
1932 के गाँधी -आंबेडकर पूना पैक्ट के बाद 1935 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक प्रस्ताव पास किया जिसमें दलित वर्ग के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र की मांग की गई थी |
1935 के भारत सरकार अधिनियम में भी आरक्षण का प्रावधान किया गया |
1942 में भीमराव अम्बेडकर ने अनुसूचित जातियों की उन्नति के समर्थन के लिए अखिल भारतीय दलित वर्ग महासंघ की स्थापना की और सरकारी सेवाओं और शिक्षा के क्षेत्र में अनुसूचित जातियों के प्रतिनिधित्व को बढाने के लिए आरक्षण की मांग की |
जब भारत का संविधान लागु हुआ तो 10 वर्षों के लिए पिछड़े वर्गों , अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए निर्वाचन क्षेत्र में आरक्षण की व्यवस्था दी गई जिसे कि 10-10 वर्षों के बाद सांविधानिक संशोधन के जरिए बढ़ा दिया जाता है |
1953 में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए काका साहब कालेलकर की अध्यक्षता में प्रथम पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया | इस आयोग के द्वारा सौंपी गई अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों से संबंधित रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया, लेकिन अन्य पिछड़ी जाति (OBC) के लिए की गयी सिफारिशों को अस्वीकार कर दिया गया |
1978 में तत्कालीन जनता पार्टी द्वारा बी.पी. मंडल की अध्यक्षता में दुसरे पिछड़ा वर्ग आयोग की स्थापना की गई | 1980 में मंडल आयोग ने गृह मंत्री ज्ञानी जैल सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमे अन्य पिछड़े वर्गों (O.B.C) को 27 फीसदी आरक्षण की सिफारिश की गई |
1990 में मंडल आयोग की सिफारिशों को विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार द्वारा लागू कर दिया गया। उच्च वर्गों द्वरा इस निर्णय का देश भर में विरोध हुआ और राजीव गोस्वामी नाम में एक छात्र ने आत्मदाह का भी प्रयास किया |
2006 से केंद्रीय सरकार के शैक्षिक संस्थानों में अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण शुरू हुआ।
2008 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने “क्रीमी लेयर” की अवधारणा दी जिसके तहत आर्थिक रूप से सशक्त लोगों को आरक्षण से बाहर रखा जाये | इसे प्रत्येक 3 वर्ष पर संशोधित किया जाना चाहिए | इसकी वर्तमान सीमा 8 लाख रूपए प्रतिवर्ष है |
2019 में 103वें संविधान संशोधन के तहत उच्च वर्गों में भी आर्थिक रूप से पिछड़े (E.W.S) व्यक्तियों को 10% आरक्षण की व्यवस्था दी गई है|
Other Related Links:
- कार्लोस सौरा को सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
- श्री नाडप्रभु केम्पेगौड़ा की प्रतिमा
- गतिशील भूजल संसाधन आकलन रिपोर्ट 2022
- भारत का पहला सॉवरेन ग्रीन बांड फ्रेमवर्क
- ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम, 2022
Current Affairs UP State Exam |
Current Affairs Bihar State Exam |