- Home/
- Bihar State Exams (BPSC)/
- Article
श्री नाडप्रभु केम्पेगौड़ा की प्रतिमा | Statue of Sri Nadaprabhu Kempegowda in Hindi
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 25th, 2023
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बेंगलुरु में श्री नाडप्रभु केम्पेगौडा की 108 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया है। प्रधानमंत्री ने प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और पवित्र जल चढ़ाया और एक पौधा भी लगाया।
पूर्ववर्ती विजयनगर साम्राज्य के तहत एक सामंती शासक केम्पेगौड़ा ने 1537 में बेंगलुरु की स्थापना की थी। इस कांस्य प्रतिमा को प्रसिद्ध मूर्तिकार और पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित राम वनजी सुतार ने डिजाइन किया है।
यह प्रतिमा बेंगलुरु के विकास में इस शहर के संस्थापक नाडप्रभु केम्पेगौडा के योगदानों को याद करने के उद्देश्य से बनाई गई है। ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ से प्रसिद्धि हासिल करने वाले राम वी. सुतार द्वारा संकल्पित और गढ़ी गई इस प्रतिमा के निर्माण में 98 टन कांस्य और 120 टन स्टील का उपयोग किया गया है।
इस लेख में हम आपको श्री नाडप्रभु केम्पेगौड़ा की कांस्य प्रतिमा के बारे में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। उम्मीदवार नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करके श्री नाडप्रभु केम्पेगौड़ा की कांस्य प्रतिमा से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी का पीडीएफ़ हिंदी में डाउनलोड कर सकते हैं।
Table of content
नाडप्रभु केम्पेगौड़ा की कांस्य प्रतिमा का अनावरण – Bronze statue of Sri Nadaprabhu Kempegowda
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 11 नवंबर को बेंगलुरु में श्री नाडप्रभु केम्पेगौडा की 108 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया है।
- प्रधानमंत्री ने ट्वीट के द्वारा कहा कि “बेंगलुरू के निर्माण में श्री नाडप्रभु केम्पेगौडा की भूमिका अद्वितीय है। उन्हें एक ऐसे दूरदर्शी व्यक्तित्व के रूप में याद किया जाता है, जिसने हमेशा लोगों के कल्याण को हर चीज से ऊपर रखा। बेंगलुरु में ‘स्टैच्यू ऑफ प्रॉस्पेरिटी’ का उद्घाटन कर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं।
नाडप्रभु केम्पेगौड़ा PDF
- वर्ष 1537 में केंपेगौड़ा ने बेंगलुरु शहर को आधुनिक बनाने की कोशिश की और कई झीलों एवं अन्य जल निकायों का निर्माण भी करवाया था। केंपेगौड़ा धर्मशास्त्र, साहित्य, व्याकरण, दर्शन और हथियारों के इस्तेमाल के विशेषज्ञ थे।
- वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के अनुसार, किसी शहर के संस्थापक की यह पहली और सबसे ऊंची कांस्य प्रतिमा है। इसे समृद्धि की मूर्ति नाम दिया गया है।
इस प्रतिमा को बंगलूरू के विकास की दिशा में शहर के संस्थापक केम्पेगौड़ा के योगदान को याद रखने के लिए बनाया गया है।
अन्य महत्वपूर्ण लेख हिंदी में |
|
भारत का पहला स्लेंडर लोरिस अभ्यारण्य | |
असमानता सूचकांक 2022 | |
कौन थे केंपेगौड़ा? (Who was Kempegowda?)
- नाडप्रभु हिरिया केंपेगौड़ा, जिसे केंपेगौड़ा के नाम से भी जाना जाता है, इन को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु का संस्थापक माना जाता है।
- केंपेगौड़ा विजयनगर साम्राज्य के अधीन एक सरदार थे और उन्हें 1537 में इस क्षेत्र को मजबूत करने का श्रेय दिया जाता है, जो आधुनिक बेंगलुरु के नाम से जाना जाता है।
- केंपेगौड़ा अपने समय के सबसे सुशिक्षित और सफल शासकों में से एक थे। मोरसु गौड़ा वंश के वंशजों के उत्तराधिकारी होने के नाते येलहंकानाडु प्रभु के रूप में शुरू हुआ।
- बेंगलुरु के संस्थापक के साथ-साथ केंपेगौड़ा समाज सुधारक भी थे।
- 1537 में केंपेगौड़ा ने बेंगलुरु शहर को आधुनिक बनाने की कोशिश की और कई झीलों एवं अन्य जल निकायों के निर्माण भी करवाया। केंपेगौड़ा धर्मशास्त्र, साहित्य, व्याकरण, दर्शन और हथियारों के इस्तेमाल के विशेषज्ञ थे।
- वह एक समाज सुधारक भी थे। केंपेगौड़ा ने मोरासु वोक्कालिगास के एक अनिवार्य रिवाज बंदी देवारू के दौरान अविवाहित महिलाओं के बाएं हाथ की अंतिम दो उंगलियों को काटने की प्रथा को प्रतिबंधित किया था।
- 56 वर्षों तक बेंगलुरु शहर पर शासन करने वाले केम्पेगौड़ा की मृत्यु 1569 में हुई, लेकिन उनकी विरासत और बेंगलुरु पर प्रभाव बना रहा है।
- आज भी, बेंगलुरु के कुछ सबसे प्रसिद्ध स्थलों का नाम उनके नाम पर रखा गया है, जिनमें केंपेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा और केंपेगौड़ा बस स्टेशन शामिल हैं, जिसे पहले मैजेस्टिक भी कहा जाता था।
Other Related Links: