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जॉन रॉल्स का न्याय सिद्धांत (John Rawls’s Theory of Justice in Hindi)
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 25th, 2023
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अमेरिका में जन्मे जॉन रॉल्स की बचपन से ही सामाजिक समस्याओं को समझने में रुचि रखते थे। जॉन रॉल्स एक उदारवादी, राजनीतिक दार्शनिक और विलक्षण प्रतिभा के व्यक्ति थे। युवावस्था में जॉन रॉल्स ने सामाजिक विषमताओं को समझकर अपने विचारों को पत्र-पत्रिकाओं में छपवाकर अपने बुद्धिजीवी होने का परिचय दिया। जॉन रॉल्स ने 1950 में अपने प्रथम विचार ‘न्याय उचितता के रूप में’ लिखना प्रारम्भ किया और यह सबसे पहले 1957 में प्रकाशित हुआ। इसी विचार को आगे जॉन रॉल्स ने अपने ‘न्याय सिद्धांत’ के आधार के रूप में मान्यता दी थी।
जॉन रॉल्स के न्याय सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को दूसरों के लिए समान स्वतंत्रता के साथ संगत सबसे व्यापक बुनियादी स्वतंत्रता का समान अधिकार होना चाहिए। समान स्वतंत्रता के सिद्धांत के अनुसार, समाज के सभी लोगों को कुछ ऐसी स्वतंत्रताएं दी जानी चाहिए जो मानव अस्तित्व के लिए बुनियादी हैं।
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Table of content
जॉन रॉल्स का न्याय सिद्धांत (John Rawls’s Theory of Justice)
- 21 फरवरी, 1921 को मैरीलैंड (अमेरिका) में जॉन रॉल्स का जन्म हुआ था।
- जॉन रॉल्स विलक्षण प्रतिभा के धनी उदारवादी, राजनीतिक दार्शनिक थे।
- जॉन रॉल्स को 1999 में तर्क एवं दर्शन तथा राष्ट्रीय मानविकी दोनों क्षेत्रों के लिए शॉक पुरस्कार प्रदान किया गया था।
- हावर्ड विश्वविद्यालय में दर्शन शास्त्र के प्राध्यापक रहते हुए जॉन रॉल्स ने अपनी न्याय की संकल्पना को विस्तृत आधार प्रदान किया और 1971 में इनकी प्रथम पुस्तक ‘A Theory of Justice’ प्रकाशित हुई।
- यह पुस्तक 9 भागों में विभाजित हैं जो लगभग 600 पृष्ठों में लिखी गई है। इसी पुस्तक के कारण जॉन रॉल्स को राजनीतिक चिन्तन के पुनरोद्य का जनक कहा गया है।
- इस पुस्तक में रॉल्स ने न्याय पर आधारित एक आदर्श समाज की विवेकपूर्ण तथा तर्कसंगत सरंचना प्रस्तुत की है। उसके बाद जॉन रॉल्स की दूसरी पुस्तक ‘Political Liberalism’ के नाम से 1993 में प्रकाशित हुई।
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जॉन रॉल्स : कार्य
- रॉल्स ने अपनी पुस्तक ‘ए थ्योरी ऑफ जस्टिस’ में न्याय पर उदारवादी सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसे ‘निष्पक्षता के रूप में न्याय’ कहा गया है।
- रॉल्स का सबसे प्रमुख कार्य न्याय के विषय पर विश्व को एक अविस्मरणीय योगदान देना है।
- रॉल्स के उदारवादी न्याय सिद्धांत ने राजनीतिक सिद्धांत एवं दर्शन के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण बदलाव ला दिए।
- रॉल्स के उपर्युक्त सिद्धांत ने स्वतंत्रता, समानता, न्याय व अधिकार के मुद्दे पर समाज में नई परिस्थिति को जन्म दिया। इसके अलावा इस सिद्धांत ने राजनीतिक सिद्धांत के पतन को उत्थान में परिवर्तित करने का कार्य भी किया।
जॉन रॉल्स का न्याय सिद्धांत PDF
- 1950-60 के दशक में ही विभिन्न विषयों पर रॉल्स के न्याय के विषय से संबंधित विचार प्रकाशित होने लगे थे। जैसे 1957 में ‘जस्टिस एज़ फेयरनेस’ एवं 1963 में ‘कॉन्स्टीट्यूशनल लिबर्टी’ इत्यादि।
- 1999 में जॉन रॉल्स की दो रचनाएं ‘Collected Papers’ तथा ‘The Law of Peoples’ प्रकाशित हुई। ‘Collected Papers’ में जॉन रॉल्स के 1950 से 1995 तक प्रकाशित सभी लेखों का संकलन था। The Law of Peoples’ में जॉन रॉल्स ने अपने न्याय सिद्धांत को अन्तर्राष्ट्रीय राजनीतिक के क्षेत्र में लागू करने का प्रयत्न किया।
- उसके बाद जॉन रॉल्स की पुस्तक ‘Lectures on the history of moral philosophy’ 2000 ई. में प्रकाशित हुई। जॉन रॉल्स की अन्तिम रचना ‘Justice As Fairness A Restatement’ 2001 में प्रकाशित हुई।
- रॉल्स के विचारों की लोगों ने आलोचना भी की जिनका वे प्रत्युत्तर देते हुए 1971 से 2002 के बीच विभिन्न पुस्तकें एवं लेख लिखते गए।
- इस प्रकार जॉन रॉल्स अपनी पूरी लाइफ में केवल न्याय के सिद्धांत के बारे में ही लिखा लेकिन दुर्भाग्यवश 24 नवम्बर, 2002 को जॉन रॉल्स की मृत्यु हो गई।
- सामाजिक न्याय के मसीहा के रूप में अवतार लेने वाले जॉन रॉल्स आज दुनिया में नहीं है किन्तु उनके विचार आज भी राजनीतिक चिन्तन के आकाश में प्रकाशमान हैं।
जॉन रॉल्स का न्याय सिद्धांत – व्याख्या
- जॉन रॉल्स ने अपने न्याय सम्बन्धी विचार सर्वप्रथम 1950 में से बनाने शुरू किए। उसने 1957 में ‘न्याय उचितता के रूप में’ नामक लेख में अपने न्याय सम्बन्धी विचार प्रस्तुत किए। 1963 तथा 1968 में उसने अपने विचारों को फिर से आगे प्रस्तुत किया और वितरणात्मक न्याय की अवधारणा प्रस्तुत की। 1971 में जॉन रॉल्स ने जिस पुस्तक का प्रतिपादन किया, उसमें वितरणात्मक न्याय के ही दर्शन होते हैं। जॉन रॉल्स का वितरणात्मक न्याय समझौतावादी सिद्धांत पर आधारित है। जॉन रॉल्स ने अपने न्याय सिद्धांत को पेश करते हुए सबसे पहले उपयोगितावादी विचारों का खण्डन किया है और अपने न्याय सिद्धांत को प्रकार्यात्मक आधार प्रदान किया है।
- जॉन रॉल्स ने सामाजिक सहयोग में न्याय की भूमिका को स्पष्ट करते हुए न्याय का सरलीकरण किया है और अपने न्याय सिद्धांत को प्रकार्यातमक आधार प्रदान किया है। जॉन रॉल्स ने न्याय को उचितता के रूप में परिभाषित करके न्याय के सिद्धांत की परम्परागत समझौतावादी अवधारणा को उच्च स्तर पर अमूर्त रूप प्रदान किया है। उसने अपने न्याय सिद्धांत की तुलना उपयोगितावादी तथा अन्त:प्रज्ञावादी न्याय के सिद्धांत से करके वितरणात्मक या सामाजिक न्याय सिद्धांत की श्रेष्ठता स्थापित करने का प्रयास किया है।
- जॉन रॉल्स ने अपने न्याय सिद्धांत की शुरूआत में ही न्याय के बारे में यह तर्क दिया है कि अच्छे समाज में अनेक सद्गुण अपेक्षित होते हैं और उनमें न्याय का भी महत्वपूर्ण सथान है। न्याय उत्तम समाज की आवश्यक शर्त हैं, परन्तुयह उसके लिए पर्याप्त नहीं है, क्योंकि किसी समाज में न्याय के अतिरिक्त भी दूसरे नैतिक गुणों की प्रधानता हो सकती है। परन्तु जो समाज अन्यायपूर्ण है उसकी कभी प्रशंसा नहीं की जानी चाहिए। जो विचारक यह मांग करते हैं कि सामाजिक उन्नति के लिए न्याय के विचार को बाधा के रूप में खड़ा नहीं करना चाहिए, उनका ध्येय समाज को नैतिक पतन की तरफ ले जाने वाला होता है। न्याय के बिना समाज की उन्नति और उत्तम समाज की स्थापना दोनों ही असम्भव है।
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