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स्थानांतरित कृषि या झूम कृषि (Slash and Burn Farming in Hindi)
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 25th, 2023
स्थानांतरित कृषि या झूम कृषि (slash and burn farming) एक आदिम प्रकार की कृषि है जिसमें वृक्षों तथा वनस्पतियों को काटकर उन्हें जला दिया जाता है और साफ की गई भूमि पर पुराने उपकरणों से जुताई करके बीज बो दिये जाते हैं। जब तक मिट्टी में उर्वरता रहती है तब तक इस भूमि पर खेती की जाती है। इसके पश्चात् इस भूमि को खाली छोड़ दिया जाता है जिस पर पुनः पेड़-पौधें उग आते हैं। फिर इसके बाद अन्य जगह वनस्पतियों को जलाकर कृषि के लिये नई भूमि प्राप्त की जाती है। इस प्रकार झूम कृषि एक प्रकार की स्थानानंतरणशील कृषि है, जिसमें समय-समय पर कृषि के लिए जगह बदलती रहती हैं।
स्थानांतरित कृषि या झूम कृषि (slash and burn farming) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। उम्मीदवार नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करके स्थानांतरित कृषि या झूम कृषि (slash and burn farming) से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी का पीडीएफ़ हिंदी में डाउनलोड कर सकते हैं।
स्थानांतरित कृषि या झूम कृषि (slash and burn farming) डाउनलोड पीडीएफ़
Table of content
स्थानांतरित कृषि या झूम कृषि (Slash and burn farming)
- झूम कृषि खानाबदोश जीवन जीने वाले लोगों की एक आदिम कृषि व्यवस्था है, जो मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में बहुत प्रचलित है।
- संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में 250 मिलियन से अधिक आबादी अपनी जीवन यापन के लिए स्थानांतरित कृषि पर ही निर्भर है। झूम कृषि मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में बहुत प्रचलित है क्युकि जहां जंगली वनस्पतियां तेजी से उगती हैं। वहां पर ये खेती बहुत की जाती है।
- भारत में स्थानीय तौर पर झूम खेती के रूप में प्रचलित इस प्रणाली को अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिज़ोरम, मेघालय, त्रिपुरा और मणिपुर जैसे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में पर्याप्त जनसंख्या के लिये खाद्य उत्पादन का एक महत्त्वपूर्ण आधार माना जाता है।
- झूम कृषि ज्यादा उत्पादक नहीं होती है लेकिन उन लोगो को जीविका प्रदान करती है जो उर्वरक या कृषि के मशीन खरीदने में सक्षम नहीं होते हैं।
- कोंक्लिन के अनुसार, स्थानांतरित कृषि खानाबदोश जीवन यापन करने वाले लोगो का अनियोजित और उद्देश्यहीन प्रथा है। कृषि मानव जाति के विकास का मुख्य पहलु था, जिसने अनेक सभ्यताओं को जन्म दिया है।
- इसलिए समय के अनुसार कृषि पद्धतियों में परिवर्तन बहुत जरुरी है नहीं तो मिट्टी की उर्वरता ही ख़त्म हो जाएगी और मनुष्य खाने के अभाव में अन्य मनुष्यों को ही अपना भोजन ना बनाने लगेगा।
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स्थानांतरित कृषि (slash and burn farming): विश्व में स्थानीय नाम
विश्व के अन्य देशों तथा भारत में स्थानांतरित कृषि के कई स्थानीय नाम प्रचलित है जिनकी सूची नींचे दी गई है:
स्थानांतरण कृषि के स्थानीय नाम |
क्षेत्र |
रे |
वियतनाम |
तावी |
मेडागास्कर |
मसोले |
कांगो (ज़ैर नदी घाटी) |
फंग |
भूमध्यरेखीय अफ्रीकी देश |
लोगन |
पश्चिमी अफ्रीका |
कोमील |
मेक्सिको |
मिल्पा |
युकाटन और ग्वाटेमाला |
एकालिन |
ग्वाडेलोप |
मिल्या |
मेक्सिको और मध्य अमेरिका |
कोनुको |
वेनेजुएला |
रोका |
ब्राज़िल |
चेतेमिनी |
युगांडा, ज़ाम्बिया और जिम्बाब्वे |
कईगिन |
फिलीपींस |
तौन्ग्य |
म्यांमार |
चेना |
श्रीलंका |
लादांग |
जावा और इंडोनेशिया |
तमराइ |
थाईलैंड |
हुमाह |
जावा और इंडोनेशिया |
भारत |
|
झूम |
उत्तर-पूर्वी भारत |
वेवर और दहियार |
बुंदेलखंड क्षेत्र (मध्य प्रदेश) |
दीपा |
बस्तर जिला (मध्य प्रदेश) |
जरा और एरका |
दक्षिणी राज्य |
बत्रा |
दक्षिण-पूर्वी राजस्थान |
पोडू |
आंध्र प्रदेश |
कुमारी |
केरल के पश्चिमी घाट के पहाड़ी क्षेत्र |
कमन, वींगा और धावी |
ओडिशा |
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