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जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2023 (Climate Change Performance Index – CCPI in Hindi)
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 25th, 2023

जर्मनवॉच, न्यूक्लाइमेट इंस्टीट्यूट और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क द्वारा संयुक्त रूप से जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2023 (Climate Change Performance Index – CCPI ) को जारी कर दिया गया है। भारत जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI), 2023 में 63 देशों की सूची में दो स्थिति की सुधार के साथ आठवें स्थान पर है। जो कि भारत के निम्न कार्बन उत्सर्जन एवं नवीकरणीय ऊर्जा के बढ़ते उपयोग को व्यक्त करता है। पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले तीन गैर सरकारी संगठनों ने यह रिपोर्ट जारी की है। ये तीनों संगठन यूरोपीय संघ तथा 59 देशों के जलवायु संबंधी कार्य प्रदर्शन पर नजर रखते हैं। क्योंकि विश्व में ग्रीन हाउस गैसों का 92% उत्सर्जन इन्हीं देशों में होता है।
जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2023 (Climate Change Performance Index – CCPI) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। उम्मीदवार नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करके जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2023 से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी का पीडीएफ़ हिंदी में डाउनलोड कर सकते हैं।
Table of content
जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2023 (Climate Change Performance Index – CCPI)
जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI) प्रत्येक वर्ष संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में जारी किया जाता है। यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जलवायु राजनीति में पारदर्शिता को सुनिश्चित करता है। वर्ष 2005 से, इसने देशों के जलवायु संरक्षण प्रदर्शन का मानकीकृत मूल्यांकन प्रदान किया है। यह वर्तमान में जलवायु पर पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की दिशा में देशों की प्रगति को ट्रैक करता है।
इसने 59 देशों और यूरोपीय संघ के पर्यावरण प्रदर्शन की तुलना करने के लिए एक मानक ढांचे का उपयोग करता है। यह सूचकांक चार श्रेणियों में 14 संकेतकों का उपयोग करके इन देशों के जलवायु संरक्षण प्रदर्शन का आकलन करता है। जिसमें चार प्रमुख बिंदु शामिल है:
1. जीएचजी उत्सर्जन
2. नवीकरणीय ऊर्जा
3. ऊर्जा का उपयोग
4. जलवायु नीति
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जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI) 2023 – प्रमुख विशेषताएं और भारत की रैंकिंग
- जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2023 की सम्पूर्ण रैंकिंग में, कोई भी देश पहले तीन रैंक में नहीं आये हैं ।
- डेनमार्क 79.61 के स्कोर के साथ चौथे स्थान पर है। इसके बाद स्वीडन (73.28) 5वें स्थान पर है।
- चिली CCPI 2023 में तीन पायदान की वृद्धि के साथ 6वें स्थान पर है। चिली ने केवल ऊर्जा उपयोग श्रेणी में कम रेटिंग और जलवायु नीति में मध्यम रेटिंग प्राप्त की है। तथा अक्षय ऊर्जा और जीएचजी उत्सर्जन में क्रमशः उच्च और बहुत उच्च रेटिंग प्राप्त की है।
- CCPI सूचकांक 2022 के पिछले संस्करण की तुलना में CCPI सूचकांक 2023 में भारत 67.35 अंक के स्कोर के साथ 8वें स्थान पर पहुँच गया है।
2022 और 2021 में भारत 10वें स्थान पर था। और 2020 में, भारत 9वीं रैंक पर था।
जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2023 PDF
- दूनिया में सबसे बड़ा प्रदूषक देश चीन 13 पायदान नीचे गिरकर 51 वें नंबर पर आ गया है तथा उसे कोयला आधारित नये विद्युत संयंत्रों की योजना के चलते खराब रेटिंग दी गई है।
- CCPI सूचकांक 2023 में अमेरिका भी तीन पायदान चढ़कर 52 वें नंबर परआ गया है। ईरान (63वां), सऊदी अरब (62वां) और कजाकिस्तान (61वां) का प्रदर्शन सबसे खराब है।
- रूस सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में प्रमख है, क्योंकि यह मुख्य रूप से ऊर्जा के स्रोत के रूप में जीवाश्म ईंधन पर निर्भर है और नवीकरणीय स्रोतों से अपनी ऊर्जा का लगभग 3 प्रतिशत ही प्राप्त करता है। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण वैश्विक ऊर्जा संकट ने वैश्विक जलवायु क्रियाओं को और अधिक कमजोर कर दिया है।
जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI) 2023 : भारत की स्थिति
- CCPI सूचकांक के पिछले वर्षों की तुलना में CCPI सूचकांक 2023 में भारत ने अपनी स्थिति में सुधार किया है और 67.35 अंक के स्कोर के साथ 8वें स्थान पर पहुँच गया है। जो भारत के लिए अच्छा संकेतक है।
- CCPI रिपोर्ट 2023 के अनुसार कि भारत अपने 2030 उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए “ट्रैक पर” है, जो 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे के परिदृश्य के अनुकूल है. “हालांकि, अक्षय ऊर्जा मार्ग 2030 लक्ष्य के लिए भारत ट्रैक पर नहीं है।
- भारत का लक्ष्य 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 50 प्रतिशत संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता हासिल करना है। रिपोर्ट के अनुसार भारत उन नौ देशों में शामिल है, जो वैश्विक कोयला उत्पादन के 90 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है और इसकी 2030 तक अपने तेल, गैस और तेल उत्पादन को पांच प्रतिशत से अधिक बढ़ाने की भी योजना है।
- सीसीपीआई (CCPI) के विशेषज्ञों ने कहा, “यह 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य के साथ असंगत है।
- पिछले सीसीपीआई के बाद से, भारत ने अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को अपडेट किया है और 2070 के लिए नेट-शून्य लक्ष्य की घोषणा की है।
- नेट शून्य का अर्थ है वातावरण में डाली गई ग्रीनहाउस गैसों और बाहर निकाली गई ग्रीनहाउस गैसों के बीच संतुलन हासिल करना है।
- यह राष्ट्रीय योजना पेरिस समझौते के अनुसार वैश्विक तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे, अधिमानतः 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की ओर उठा हुआ कदम है।
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