बोल्शेविक क्रांति (Bolshevik Revolution): पृष्ठभूमि एवं कारण
- रूस की क्रांति का महत्व केवल यूरोप के इतिहास में ही नहीं बल्कि विश्व के इतिहास में भी है।
- बोल्शेविक क्रांति 20वीं शताब्दी में रूस की सबसे महत्वपूर्ण घटना थी।
- उस दौरान रूस में सामाजिक समानता का अभाव था। और रूस का सम्पूर्ण समाज तीन श्रेणियों में बंटा था, जिस कारण समाज में किसी भी प्रकार की सद्भावनानहीं थी। सभी एक दूसरे को अपने से बिलकुल भिन्न और अलग समझते थे।
- प्रथम श्रेणी में कुलीन वर्ग आता था। इसको राज्य की ओर से बहुत अधिकार प्राप्त थे।
- द्वितीय श्रेणी के अंतर्गत उच्च मध्यम वर्ग आता था, जिसमें व्यापारी छोटे जमींदार, पूंजीपति सम्मिलित थे।
- तृतीय श्रेणी के अंतर्गत कृषक, अर्द्धदास कृषक तथा श्रमिक सम्मिलित थे। इसके साथ राज्य तथा अन्य वर्गों का व्यवहार बहुत ही अमानुषिक था।
- निकोलस जार पूर्ण निरंकुश तथा स्वेच्छाचारी शासक था। यह जनता को किसी प्रकार का अधिकार देने के पक्ष में नहीं था।
1917 में हुई रूसी क्रांति या बोल्शेविक क्रांति के निम्नलिखित कारण थे:
- निकोलस जार पूर्णत: निरंकुश तथा स्वेच्छाचारी होना
- निकोलस जार द्वारा जनता को किसी प्रकार का अधिकार न देना
- ज़ार की साम्राज्यवादी आकांक्षा के कारण रूस का प्रथम विश्वयुद्ध में शामिल होना
- 1904-05 में हुए युद्ध में छोटे समझे जाने वाले जापान से रूस की पराजय
- 1905 में प्रार्थना पत्र देने जा रही भीड़ पर अंधाधुंध गोली चलाना
- राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार, भोजन की कमी, सैनिकों के प्रति सरकार की बेरुखी
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बोल्शेविक क्रांति (Bolshevik Revolution): परिणाम और महत्त्व
- रूसी क्रांति के परिणामस्वरूप सर्वप्रथम निरंकुश-तंत्र, अभिजात वर्ग और चर्च की शक्ति का अंत हो गया।
- ज़ार के निरंकुश शासन का अंत कर उसे सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ में बदल दिया गया।
- राज्य की आर्थिक नीतियों को समाजवादी आदर्शों के माध्यम से चलाने का प्रयास किया गया।
- काम करने के अधिकार को संवैधानिक अधिकार बनाया गया और सबको कार्य उपलब्ध कराना सरकार का कर्त्तव्य हो गया।
- प्रथम विश्वयुद्ध समाप्त हो गया, क्योंकि न केवल बोल्शेविक बल्कि संपूर्ण यूरोप के समाजवादी संगठन युद्ध के विरुद्ध थे।
इस क्रांति के फलस्वरूप रूस विश्व शक्ति के रूप में उभर कर सामने आया, रूस में सर्वहारा वर्ग अस्तित्व में आया , जिसने पूंजीवाद का विरोध किया। इस कारण विश्व के विभिन्न देशों में वर्ग विहीन समाज की स्थापना हुई।
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