नौ दो ग्यारह होना, मुहावरे का अर्थ क्या है?
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 13th, 2023
नौ दो ग्यारह होना हिंदी का एक लोक प्रचलित मुहावरा है। जिसका उपयोग अक्सर उन वाक्यों के साथ किया जाता है, जिसमे भाग जाने का बोध हो। जब किसी वाक्य में किसी के भाग जाने का बोध हो उसके साथ नौ दो ग्यारह होने का उपयोग होता है। उदहारण के लिए – पुलिस को देखते ही बदमाश नौ दो ग्यारह हो गया।
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कब होता है नौ दो ग्यारह होने का उपयोग
जब कभी किसी जीव या मनुष्य के डर के भागने या जल्दबाजी का बोध हो, उसके साथ हम इस मुहावरे का इस्तेमाल करते हैं।
अन्य प्रचलित हिंदी मुहावरे और उनके अर्थ
- नाकों चने चबाना – इसका अर्थ है बहुत कठिन कार्य करना। उदाहरण के लिए, रावण ने राम को हराने के लिए नाको चने चबाये।
- नाक में दम करना – इसका अर्थ है व्यक्ति को परेशान कर देना, उदाहरण के लिए, बिल्ली ने चूहे के नाक में दम कर दिया।
- दाल न गलना – अर्थात बात न बन पाना। उदाहरण के लिए रोहन कि पापा के सामने दाल न गल पाई।
- कमर कसना – इस मुहावरे का अर्थ है तैयार होना। उदाहरण के लिए पुलिस ने चोर को पकड़ने के लिए कमर कस ली है।
- अपनी खिचड़ी अलग पकाना – इसका अर्थ है अपनी अलग योजना बनाना। उदहारण के लिए दुसरे स्कूल के बच्चे अपनी अलग खिचड़ी पका रहे हैं।
Summary
नौ दो ग्यारह होना मुहावरे का अर्थ क्या है?
नौ दो ग्यारह होने का अर्थ है, डर के भाग जाना या भाग खड़ा होना। यह हिंदी व्याकरण का एक प्रसिद्ध मुहावरा है जो किसी भी जीव के डर के भागना या जल्दी भागने को बताया जाता है।
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