- Home/
- Bihar State Exams (BPSC)/
- Article
जैव विविधता अधिनियम 2002 (Biodiversity Act 2002 in Hindi)
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 25th, 2023

भारत जैव विविधता और उससे सम्बन्धित सहबद्ध पारम्परिक पद्धति में समृद्ध है। और भारत द्वारा 5 जून, 1992 को जैव विविधता से सम्बन्धित संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (सीबीडी) मे रियो डी जेनेरो में हस्ताक्षर किये गए थे। यह कन्वेशन 29 दिसम्बर, 1993 को प्रवृत्त हुआ था।
इस कन्वेशन में देशों के अपने जैव संसाधनों पर सम्प्रभु अधिकारों की पुनः अभिपुष्टि की गई थी। और इस कन्वेशन का मुख्य उद्देश्य जैव विविधता का संरक्षण, इसके अवयवों का सतत उपयोग और आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से उद्भूत फायदों में उचित और साम्यापूर्ण हिस्सा बँटाना था।
इस कन्वेशन को प्रभावी करने के लिये कानूनी उपबन्ध करना आवश्यक समझा गया अतः भारतीय संसद ने वर्ष 2002 में जैव विविधता अधिनियम, 2002 (Biodiversity Act 2002 in Hindi) पारित किया था।
जैवि विविधता अधिनियम, 2002 (Biodiversity Act 2002 in Hindi) भारत में जैविक विविधता के संरक्षण के लिए भारत की संसद द्वारा अधिनियमित एक अधिनियम है, जो पारंपरिक जैविक संसाधनों और ज्ञान के उपयोग से उत्पन्न होने वाले लाभों के समान बंटवारे के लिए एक स्थिर तंत्र प्रदान करता है।
इस लेख में हम आपको जैव विविधता अधिनियम 2002, (Biodiversity Act 2002 in Hindi) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। उम्मीदवार नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करके जैव विविधता अधिनियम 2002, (Biodiversity Act 2002 in Hindi) से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी का पीडीएफ़ हिंदी में डाउनलोड कर सकते हैं।
सम्पूर्ण नोट्स के लिए PDF हिंदी में डाउनलोड करें
Table of content
जैव विविधता अधिनियम 2002 (Biodiversity Act 2002): संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ
- संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (सीबीडी) के तहत भारतीय संसद ने जैव विविधता अधिनियम वर्ष 2022 में पारित किया था।
- इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम जैव विविधता अधिनियम, 2002 है।
- जैव विविधता अधिनियम 2002, का विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है।
- यह उस तारीख से प्रवर्तित है, जिसे केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत किया था।
- इस अधिनियम के भिन्न-भिन्न उपबन्धों के लिये भिन्न-भिन्न तारीखें नियत की जा सकेंगी और ऐसे किसी उपबन्ध में इस अधिनियम के प्रारम्भ के प्रति किसी निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह उस उपबन्ध के प्रवर्तन में आने के प्रति निर्देश है।
जैव विविधता: जैव विविधता से तात्पर्य अर्द्धस्थलीय, समुद्री और अन्य जलीय पारिस्थितिक तंत्रों एवं पारिस्थितिक परिसरों में विविधता तथा सजीवों के मध्य होने वाली परिवर्तनशीलता से है, इसमें प्रजातियों व पारिस्थितिक तंत्रों के मध्य विविधता को भी शामिल करते हैं।
जैव संसाधन: जैव संसाधनों का तात्पर्य पौधों, जानवरों एवं सूक्ष्म जीवों अथवा उनके अंगों, उनकी आनुवंशिक सामग्री और उत्पाद (मूल्य वर्द्धित उत्पादों के अलावा) जिनका कोई वास्तविक या संभावित उपयोग अथवा मूल्य होता है, किंतु इनमें मानवीय आनुवंशिक पदार्थों को शामिल नहीं करते हैं।
अन्य महत्वपूर्ण लेख हिंदी में |
|
जैव विविधता अधिनियम 2002 : विशेषताएँ
जैव विविधता अधिनियम वर्ष 2002 में अधिनियमित हुआ था, यह अधिनियम जैविक संसाधनों का संरक्षण, इनके उपयोग का प्रबंधन और स्थानीय समुदायों के साथ उचित व न्यायसंगत साझाकरण तथा भारत की समृद्ध जैव विविधता को संरक्षित रखकर वर्तमान और भावी पीढ़ियों के कल्याण तथा इसके लाभ के वितरण की प्रक्रिया को सुनिश्चित करता है। जैव विविधता अधिनियम 2002, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण के पूर्व अनुमोदन के बिना निम्नलिखित गतिविधियों को प्रतिबंधित करता है:
- किसी भी व्यक्ति अथवा संगठन (भारत में स्थित अथवा नहीं) द्वारा शोध या व्यावसायिक उपयोग हेतु भारत में उत्पादित किसी भी जैव संसाधन की प्राप्ति ।
- भारत में पाए जाने वाले या भारत से प्राप्त जैव संसाधन से संबंधित किसी भी प्रकार के शोध परिणामों का स्थानांतरण।
- भारत से प्राप्त जैव संसाधनों पर किये गए शोध पर आधारित किसी भी आविष्कार पर बौद्धिक संपदा अधिकारों का दावा।
जैव विविधता अधिनियम 2002 ने जैव संसाधनों तक पहुँच को विनियमित करने के लिये एक त्रिस्तरीय संरचना प्रस्तुत की थी :
1. राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA)
- भारत में जैव विविधता अधिनियम (2002) को लागू करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2003 में राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) का गठन किया गया था।
- NBA एक वैधानिक निकाय है जो जैव संसाधनों के संरक्षण एवं धारणीय उपयोग के मुद्दे पर भारत सरकार के लिये विनियामक एवं सलाहकार संबंधी कार्य करता है।
- इसका मुख्यालय चेन्नई, तमिलनाडु में है।
- जैव विविधता के संरक्षण एवं धारणीय उपयोग को बढ़ावा देने के लिये उचित, सक्षम वातावरण तैयार करना।
- केंद्र सरकार को परामर्श देना, जैव विविधता से संबंधित गतिविधियों को विनियमित करना एवं जैव विविधता अधिनियम, 2002 के अनुसार, जैव संसाधनों तक पहुँच तथा समान लाभ साझा करने हेतु उचित दिशा-निर्देश जारी करना।
- भारत से बाहर किसी भी देश में अवैध रूप से प्राप्त भारतीय जैव संसाधन अथवा ऐसे जैव संसाधनों से संबंधित ज्ञान पर बौद्धिक संपदा अधिकार प्रदान किये जाने का विरोध करने के लिये आवश्यक उपाय करना।
- राज्य सरकारों को जैव विविधता के महत्त्व वाले क्षेत्रों को विरासत स्थलों के रूप में अधिसूचित करने हेतु परामर्श देना एवं उनके प्रबंधन के लिये उपाय सुझाना।
2. राज्य जैव विविधता बोर्ड (SBB)
- राज्य जैव विविधता बोर्ड (State Biodiversity Board- SBB) की स्थापना राज्य सरकारों द्वारा जैव विविधता अधिनियम 2002 की धारा 22 के तहत की जाती है।
- संरक्षण, धारणीय उपयोग या समान लाभ साझा करने से संबंधित मामलों पर केंद्र सरकार द्वारा जारी किसी भी दिशा-निर्देश के अधीन राज्य सरकारों को परामर्श देना।
- अन्य व्यावसायिक उपयोग अथवा जैव-सर्वेक्षण एवं लोगों द्वारा किसी भी जैव संसाधन के जैविक उपयोग हेतु अनुरोधों को अनुमोदन के माध्यम से विनियमित करना।
3. जैव विविधता प्रबंधन समितियाँ (BMC)
जैव विविधता अधिनियम 2002, की धारा 41 के अनुसार, प्रत्येक स्थानीय निकाय अपने क्षेत्र के भीतर जैव विविधता प्रबंधन समितियाँ (Biodiversity Management Committees- BMC) का गठन कर सकता है। जिसका उद्देश्य जैव विविधता के संरक्षण, उपयोग एवं प्रलेखन को बढ़ावा देना है। इसके अंतर्गत निम्न बिंदु शामिल हैं:
- आवासों का संरक्षण।
- स्थनीय जैव किस्मों का संरक्षण।
- लोक किस्में एवं कृषि उपजातियाँ।
- पालतू एवं वन्य जीवों की नस्लें।
- सूक्ष्मजीव एवं जैव विविधता से संबंधित ज्ञान कालक्रम अभिलेखन।
जैव विविधता अधिनियम 2002 : जैव विविधता विरासत स्थल
जैव विविधता अधिनियम, 2002 की धारा 37 के तहत स्थानीय निकायों के परामर्श से राज्य सरकारें जैव विविधता के क्षेत्रों को जैव विविधता विरासत स्थलों (Biodiversity Heritage Sites- BHS) के रूप में अधिसूचित कर सकती हैं।
जैव विविधता विरासत स्थल ऐसे पारिस्थितिक तंत्र होते हैं जिसमें अनूठे, सुभेद्य पारिस्थितिक तंत्र स्थलीय, तटीय एवं अंतर्देशीय जल तथा समृद्ध जैव विविधता वाले निम्नलिखित घटकों में से किसी एक अथवा अधिक विशेषता युक्त समुद्री पारिस्थितिक तंत्र शामिल होते हैं:
- वन्य प्रजातियों के साथ-साथ घरेलू प्रजातियों या अंतर-विशिष्ट श्रेणियों की प्रचुरता।
- उच्च स्थानिकता।
- दुर्लभ एवं संकटग्रस्त प्रजातियों की उपस्थिति।
- कीस्टोन प्रजाति।
- क्रमिक विकास वाली प्रजातियाँ।
- घरेलू/कृषि प्रजातियों या उन किस्मों की वन्य प्रजातियाँ।
- पूर्व प्रधान जैविक घटकों का जीवाश्मों द्वारा प्रतिनिधित्व।
- महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक, नैतिक या सौंदर्य परक मूल्यों वाली सांस्कृतिक विविधता के रखरखाव के लिये महत्त्वपूर्ण।
जैव विविधता अधिनियम, 2002 – Download PDF
उम्मीदवार नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके जैव विविधता अधिनियम, 2002 नोट्स हिंदी में डाउनलोड कर सकते हैं।
⇒ सम्पूर्ण नोट्स के लिए PDF हिंदी में डाउनलोड करें
Other Related Links:
- Maulik Adhikar
- International Organizations in Hindi
- Preamble of the Indian Constitution in Hindi
- Global TB Report 2022
- अंतरराष्ट्रीय ईको लेबल ब्लू फ्लैग टैग
Current Affairs UP State Exam |
Current Affairs Bihar State Exam |