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संगम युग (Sangam Age in Hindi) – इतिहास, राजनीतिक, सामाजिक आर्थिक, सांस्कृतिक जीवन
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 13th, 2023
दक्षिण भारत (कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों के दक्षिण का क्षेत्र) में संगम युग अवधि को संगम काल (sangam kal) के रूप में जाना जाता है। एक सम्मेलन था जो शायद कुछ प्रमुखों या राजाओं के संरक्षण में आयोजित किया गया था। 8वीं शताब्दी ईस्वी में, यूरोप में लोगों के लिए जीवन कठिन था। बहुत सारे युद्ध और झगड़े हुए, और लोग अक्सर गरीब थे और उनके पास बहुत पैसा नहीं था। तीन संगमों का वर्णन है। इन संगमों को पांड्य राजाओं द्वारा राजकीय संरक्षण प्रदान किया जाता था। ये साहित्यिक रचनाएँ द्रविड़ साहित्य के शुरुआती उदाहरणों में से कुछ थीं।
जानें की भारतीय इतिहास में संगम युग का महत्व, संगम काल के प्रारभिक साम्राज्य और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी| पढ़ें sangam age in Hindi और साथ में पीडीऍफ़ डाउनलोड करें| प्राचीन भारत की हमारी श्रृंखला को जारी रखते हुए, इस लेख में आपको संगम भारत पर संपूर्ण नोट्स मिलेंगे। यह State PCS परीक्षाओं के लिए भारत के प्राचीन इतिहास के आपके पाठ्यक्रम को कवर करेगा। परीक्षा की तैयारी करते समय, रिवीजन सफलता की कुंजी है। तो उन उम्मीदवारों के लिए जो विभिन्न राज्य परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, यहां संगम काल के सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न हैं।
Table of content
संगम काल की मेगालिथिक पृष्ठभूमि (Megalithic Background of Sangam Kal)
मेगालिथ कब्रें पत्थरों के बड़े बड़े टुकड़ों से घिरी हुई थी। उनमे शव के साथ दफ़न बर्तन और लोहे की वस्तुओं भी प्राप्त हुई। वे पूर्वी आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु समेत प्रायद्वीप के ऊपरी क्षेत्रों में पाए जाती हैं।
राज्यों का गठन और सभ्यता का उदय
- मेगालिथिक लोगों ने डेल्टा के उपजाऊ क्षेत्रों की भूमि को पुनः प्राप्त करना शुरू कर दिया। दक्षिण को जाने वाले मार्ग को दक्षिणापथ कहा जाता है जो कि आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण बन गया था।
- मेगस्थनीज, पंड्या के बारे में जानता था जबकि अशोक के शिलालेखों में चोल, पंड्या, केरलपुत्र और सत्यपुत्र का उल्लेख मिलता है।
- रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार के प्रचार-प्रसार के फलस्वरुप तीन राज्यों अर्थात् चेरस, चोल और पंड्या का गठन हुआ।
अन्य महत्वपूर्ण आर्टिकल:
Mekedatu Project | Green Revolution |
Vishwa Vyapar Sangathan | Rajya ke Niti Nirdeshak Tatva |
Supreme Court of India in Hindi | Khilafat Andolan |
संगम काल (Sangam Age in Hindi)
तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी तक के प्राचीन तमिलनाडु के काल को संगम काल कहते है। यह नाम मदुरई शहर में केंद्रित कवियों और विद्वानों की प्रसिद्ध संगम अकादमी के नाम पर है।
संगम काल PDF
संगम काल के तीन प्रारभिक साम्राज्य
राज्य |
राजधानी |
पोर्ट |
चिह्न |
प्रसिद्धशासक |
चेरा |
वंजी- आधुनिक केरल |
मुजुरी एवं टोंडी |
धनुष |
सेनगुत्वन |
चोल |
उरैयुर तथा पुहर |
कावेरीपट्टिनम /पुहर इनके पास पर्याप्त नौ सेना थी। |
बाघ |
करिकालन |
पंड्या |
मदुरई |
कोरकई |
मछली |
नेदुनजहेरियन |
चेरा साम्राज्य
- वे पाल्मीरा के फूलों को माला के रूप में पहनते थे।
- पुगलुर शिलालेखों में चेरा की तीन पीढ़ियों का उल्लेख है।
- सेनगुत्वन ने आदर्श पत्नी के रूप में पट्टानी पंथ या पूजा की शुरुआत की।
चोल साम्राज्य
- करिकलन ने कावेरी नदी पर कालनई (चेक बांध) का निर्माण किया।
पंड्या साम्राज्य
- मंगुड़ी मारुथनार द्वारा लिखित मदुराइकनजी में पंड्या की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों का वर्णन किया गया है।
- कलभरों द्वारा आक्रमण इनके पतन का कारण बना।
इन साम्राज्यों का रोमन साम्राज्य के साथ लाभदायक व्यापार था। ये काली मिर्च, आइवरी, मोती, कीमती पत्थरों, मस्लिन, सिल्क, कॉटन आदि का उत्पादन करते थे जो कि इनके क्षेत्र में समृद्धि लाएं।
समाजिक वर्गों का उदय
- एनाडी – सेना के कप्तान
- वेल्लालस – धनी कृषक
- अरासर – शासक वर्ग
- कदाईसियर – निम्न वर्ग
- पेरियर – कृषि श्रमिक
तोलकाप्पियम में वर्णित चार जातियां
- अरासर – शासक वर्ग
- अंथनार – ब्राह्मण
- वणिगर – व्यवसाय में सम्मिलित व्यक्ति
- वेल्लालर – श्रमिक
भूमिकापांच सतहों में विभाजन
भू–भाग़ |
भू–भाग़केप्रकार |
मुख्यदेवता |
मुख्यपेशा |
कुरुन्जी |
पहाड़ी इलाके |
मुरुगन |
शिकार व शहद संग्रहण |
मुल्लई |
देहाती |
मायोन |
पशु प्रजनन और दुग्ध उत्पाद |
मरुधाम |
कृषि |
इंदिरा |
कृषि |
नीधल |
तटीय |
वरुणन |
मछली पकड़ना और नमक तैयार करना |
पलई |
रेगिस्तान |
कोरावाई |
लूट-पाट |
संगमप्रशासन
- अवई – शाही राज-दरबार
- कोडीमरम – प्रत्येक शासक का संरक्षक वृक्ष
- पंचमहासभा
- अमईचर – मंत्री
- सेनापति – सेना प्रमुख
- ओटरार – गुप्त-चर
- थुदार – राज-दूत
- पुरोहित – पुजारी
- राज्यों का विभाजन
1. मंडलम / नाडू – प्रांत
2. उर – शहर
3. पेरुर – बड़े गांव
4. सितरुर- छोटे गांव
संगम
संगम |
स्थान |
अध्यक्ष |
प्रासंगिकग्रंथ |
प्रथम |
मदुरई |
अगस्थियर |
नील |
द्वितीय |
कपादपुरम |
अगस्थियर और तोलकापीयार |
तोलकापीयम |
तृतीय |
मदुरई |
संस्थापक – मुदाथिरुमरन नक्कीरार |
इट्टुटोगई, पट्टू पट्टू (10 इडल्स) |
तमिल भाषाऔर संगम साहित्य
कथा – एट्टुगोई और पट्टूपट्टू को मेल्कांकक्कु कहा जाता है जिसमे 18 मुख्य कृति शामिल है। वे आगम (प्रेम) और पुरम (वीरता) में विभाजित हैं।
शिक्षण – पैथिनेंकिल्कानाक्कु – 18 छोटे कृतियां शामिल है। वे नीतिशास्र और आचार विचार से सम्बंधित है।
थिरुक्कुरल – यह तिरुवल्लुवर द्वारा लिखा गया एक आलेख है जो जीवन के विभिन्न पहलुओं पर आधारित है।
टोलकापीयर द्वारा रचित टोलकापीयम एक आरंभिक तमिल साहित्य है। यह तमिल व्याकरण पर प्रकाश डालने के साथ-साथ संगम काल की राजनीतिक और सामाजिक स्थितियों के बारे में जानकारी भी प्रदान करता है
महाकाव्य
1) एलंगो आदिगल द्वारा सिलापाधिकरम
2) सिथलाई सतनर द्वारा मैणीमेगालाई
3) वलयापथि
4) कुण्डालगेसी
5) सिवग सिंथामनी
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