सिंधु घाटी सभ्यता – Indus Valley Civilization in Hindi
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 13th, 2023
सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization), जिसे हड़प्पा सभ्यता के रूप में भी जाना जाता है, एक कांस्य युग का समाज था जो आधुनिक पूर्वोत्तर अफगानिस्तान से पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत तक फैला हुआ था। सभ्यता तीन चरणों में विकसित हुई: प्रारंभिक हड़प्पा चरण (3300 ईसा पूर्व-2600 ईसा पूर्व), परिपक्व हड़प्पा चरण (2600 ईसा पूर्व-1900 ईसा पूर्व), और देर हड़प्पा चरण (1900 ईसा पूर्व -1300 ईसा पूर्व)। प्राचीन सिंधु नदी घाटी के निवासियों ने हस्तशिल्प में नई तकनीक विकसित की, जिसमें कार्नेलियन उत्पाद और मुहर नक्काशी, और तांबा, कांस्य, सीसा और टिन के साथ धातु विज्ञान शामिल हैं।
उम्मीदवार जो यूपीपीएससी या बीपीएससी या किसी अन्य पीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, वे विस्तार जानकारी जानने के लिए यहाँ पे Indus valley civilization in Hindi में पढ़ सकते हैं| इसके अलावा आप हड़प्पा सभ्यता, सिंधु घाटी सभ्यता के विकास का क्रम, प्रमुख शहर अवं इसके पतन के कारण और अन्य जानकारी पर महत्वपूर्ण लेख पढ़ सकते हैं| उम्मीदवार सिंधु घाटी सभ्यता PDF नोट्स भी डाउनलोड करें| जानिए की क्या थी सिंधु घाटी की सभ्यता और उसकी संस्कृति के बारे में|
Table of content
- 1. सिंधु घाटी सभ्यता – महत्वपूर्ण तथ्य | Indus Valley Civilization in Hindi
- 2. सिंधु घाटी सभ्यता के विकास के चरण
- 3. सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताएं
- 4. सिंधु घाटी सभ्यता भौगोलिक विस्तार
- 5. सिन्धु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल – Sindhu Ghati Sabhyata Ke Pramukh Sthal
- 6. हड़प्पा की लिपि: सिंधु घाटी सभ्यता
- 7. सिंधु घाटी सभ्यता सभ्यता के पतन के कारण
सिंधु घाटी सभ्यता – महत्वपूर्ण तथ्य | Indus Valley Civilization in Hindi
सिंधु घाटी सभ्यता दुनिया की तीन प्रारंभिक सभ्यताओं में से एक थी। जॉन मार्शल, Indus valley civilization (आई.वी.सी.) शब्द का उपयोग करने वाले पहले विद्वान थे। इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि पहली साइट जिसे खोजा गया था वह हड़प्पा थी। यह सभ्यता 2500 ईसा पूर्व –1750 ईसा पूर्व (अधिकतम अपवादित ) के बीच फली-फूली।
सिंधु घाटी सभ्यता के विकास के चरण
सिंधु घाटी सभ्यता का विकास तीन चरणों में माना जाता है। सिंघु घाटी सभ्यता के विकास के निम्न चरण हैं-
- प्रारंभिक हड़प्पाई सभ्यता (3300ई.पू.-2600ई.पू. तक)
- परिपक्व हड़प्पाई सभ्यता (2600ई.पू-1900ई.पू. तक)
- उत्तर हड़प्पाई सभ्यता (1900ई.पु.-1300ई.पू. तक)
यह भी पढ़े |
|
सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताएं
सिंधु घाटी सभ्यता की कुछ विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता ग्रिड सिस्टम के आधार पर व्यवस्थित शहर नियोजन है जो शहर को कई आयताकार ब्लॉकों में विभाजित करता है।
- कालीबंगन नामक हड़प्पा स्थलमें दो भाग शामिल हैं- पश्चिम में ‘गढ़‘ (सार्वजनिक सभा के लिए इस्तेमाल किया जाता है) और दूसरा निचला शहर है (आवासीय क्षेत्रों में शामिल है)।
- इस सभ्यता ने निर्माण में ईंटों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया है और इमारतों में केवल धोलावीरा में पत्थर का उपयोग किया गया था।
- मकान सड़कों के दोनों किनारों पर मौजूद हैं और इन घरों में एक तरफ प्रवेश द्वार था जिसमें खिड़कियाँ मुख्य सड़क के सामने नहीं थी।
सिंधु घाटी सभ्यता PDF
- सभी घरों में भूमिगत जल निकासी प्रणाली पाई गई है जो सड़कों से जुड़ी हुई थी।
- घरों में रसोई और स्नानघर थे, 4 से 6 कमरे थे, 30 कमरे और सीढ़ी वाले बड़े घर थे।
- सड़कों में स्ट्रीट लाइटिंग की व्यवस्था भी थी।
सिंधु घाटी सभ्यता भौगोलिक विस्तार
नीचे हमने सिंधु घाटी सभ्यता के भौगोलिक समझाया है| जाने की सिंधु घाटी सभ्यता की सीमा क्या थी, प्रमुख शहर|
सिंधु घाटी सभ्यता की सीमा
सिन्धु घाटी सभ्यता, पश्चिम में सुत्कागंदोर (बलुचिस्तान) से पूर्व में आलमगिरपुर (पश्चिमी उत्तर प्रदेश) तक और उत्तर में मंडु (जम्मू) से दक्षिण में डायमाबाद (अहमदनगर, महाराष्ट्र) तक फैली हुई हैं ।
Image source: NCERT
सिन्धु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल – Sindhu Ghati Sabhyata Ke Pramukh Sthal
सिंधु घाटी सभ्यता में बेहद प्रमुख शहर थे जैसे की हड़प्पा, लोथल, कालीबंगा, मोहनजोदड़ो, आदि| हमने सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित प्रमुख स्थल नीच टी दर्शाया है जाने की वे प्रमुख शहर किस नदी पर स्थित थे और वहाँ के पुरातात्विक महत्व|
शहर |
नदी |
पुरातात्विक महत्व |
हड़प्पा (पाकिस्तान) |
रावी |
6 अनाजों की एक पंक्ति, देवी माता की मूर्ति |
मोहनजोदड़ो (पाकिस्तान) |
सिंधु |
अनाज, बृहत स्नानागार, पशुपति महादेव की मूर्ति, दाढ़ी वाले आदमी की मूर्ति और एक नर्तकी की कांस्य की मूर्ति |
लोथल (गुजरात) |
भोगवा |
बंदरगाह शहर, दोहरी कब्रगाह, टेराकोटा की अश्व की मूर्तियां |
चन्हूदड़ो (पाकिस्तान) |
सिंधु |
बिना दुर्ग का शहर, मनके बनाने की दुकानें, बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते के पदचिन्ह |
धौलावीरा (गुजरात) |
सिंधु |
तीन भागों में विभाजित शहर |
कालिंबंगा (राजस्थान) |
घग्घर |
जुते हुए खेत, अग्नि वेदिकाएँ,ऊंट की हड्डियाँ, लकड़ी का हल |
बनवाली (हरियाणा) |
घग्घर |
– |
राखीगढ़ी (हरियाणा) |
– |
– |
रोपड़ (हरियाणा) |
– |
– |
मिताथल (हरियाणा) |
– |
– |
भगतराव (गुजरात) |
– | – |
रंगपुर (गुजरात) |
– | – |
कोट दिजी (पाकिस्तान) |
||
सुत्कागंदोर (पाकिस्तान) |
दाश्त नदी |
हड़प्पा और बेबीलोन के बीच व्यापार का केंद्र बिंदु। |
सुकोताडा (पाकिस्तान) |
– |
– |
शहर योजना एवं संरचना
- शहर योजना की ग्रिड प्रणाली (शतरंज-बोर्ड)
- पकी ईंटों का इस्तेमाल
- ईंट की पंक्तियों वाले स्नानागार और सीढियों वाले कुओं के साथ आयताकार घर पाए गए हैं।
- किलाबंद दुर्ग
- भूमिगत जल निकास व्यवस्था
सिंधु घाटी सभ्यता की कृषि
- हिन्डन- कपास- प्रमुख व्यापार- कपास का उत्पादन करने वाले प्रारंभिक लोग
- गेहूं और जौ की खेती प्रमुख रूप से पाई गई।
- चावल भूसी के साक्ष्य पाए गए
- लकड़ी के खंभों का प्रयोग।
- उन्हें लोहे के औजारों की कोई जानकारी नहीं थी।
पशुपालन
- बकरी, भेंड़, बैल, भैंस और सुअर का पालन किया जाता था।
- ऊंट और गधे का प्रयोग बोझा ढ़ोने में किया जाता था।
- गेंडे और हाथी की जानकारी थी।
- सुतकांगेडोर में घोड़ों के अवशेष और मोहनजोदड़ो तथा लोथल में घोड़े के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं।
प्रौद्योगिकी और शिल्पकला
- कांस्य (टिन और तांबे) का व्यापक प्रयोग
- कुम्हार द्वारा निर्मित पहियों का पूर्णत: उपयोग
- पत्थर के औजारों का प्रचलन
- सोने के आभूषण, कांस्य आभूषण, नाव-बनाने, ईंट आदि अनेक व्यवसाय पाए गए थे।
व्यापार: सिंधु घाटी सभ्यता
- वस्तु-विनिमय प्रणाली का व्यापक उपयोग।
- वज़न और माप, अनाज और यूनीफार्म स्क्रिप्ट की उपस्थिति व्यापार के महत्व का प्रतीक है।
- लोथल, सुतकांगेडोर व्यापार के लिए प्रयोग किए जाने वाले बंदरगाह शहर थे।
- व्यापार स्थल- ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशिया। मैसोपोटामिया सभ्यता से संपर्क के भी दर्शन होते हैं।
राजनीतिक संगठन
- एक मजबूत केंद्रीय प्राधिकरण के माध्यम से प्राप्त सांस्कृतिक एकरूपता
- किसी मंदिर या धार्मिक संरचना की उपस्थिति के साक्ष्य नहीं पाए गए। हड़प्पा संभवत: व्यापारिक वर्ग द्वारा शासित था।
- हथियारों का प्रयोग के ज्यादा साक्ष्य नहीं मिले
धार्मिक प्रथाएं
- देवी माता की टेराकोटा की मूर्ति
- फल्लू और योनि पूजा
- पशुपति महादेव की मूर्ति उनके पैरों के पास दो हिरण सहित हाथी, बाघ, गेंडे और एक सांड से घिरी हुई पाई गई।
पेड़ और पशु पूजा
- पीपल के पेड़ की पूजा के साक्ष्य मिले
- कूबड़ वाले सांड़ और गेंडे के रूप में एक सींग वाले यूनीकॉर्न की पूजा सामान्य रूप से दिखती थी।
- भूत और आत्माओं को भगाने के लिए ताबीज का प्रयोग
हड़प्पा की लिपि: सिंधु घाटी सभ्यता
- हड़प्पा की लिपि पिक्टोग्राफिक (Pictographic) ज्ञात थी लेकिन अब तक इसकी व्याख्या नहीं की गई है।
- ये पत्थरों पर मिलती है और केवल कुछ शब्द ही प्राप्त हुए हैं
- हड़प्पा की लिपि भारतीय उप-महाद्वीप में सबसे पुरानी लिपि है
वजन एवं मापन
- व्यापार और वाणिज्य आदि में निजी संपत्ति के खातों की जानकारी को रखने के लिए भार और मापन की इकाई का उपयोग
- तौल की इकाई 16 के गुणज में थी
हड़प्पा में मिट्टी के बर्तन
- पेड़और गोलों की आकृति सहित अच्छी तरह निर्मित मिट्टी के बर्तनों की तकनीक
- लाल रंग के बर्तनों पर काले रंग के डिजाइन का चित्रण
सील्स
- सील्स का प्रयोग पूजा या व्यापार के लिए किया जाता था।
- सील्स पर सांड़,भैंस, बाघ आदि के चित्र पाए गए हैं
चित्र
- एक नग्न महिला की कांस्य की प्रतिमा और दाढ़ी वाले आदमी की शैलखटी (steatite) प्रतिमा मिली है
टेराकोटा मूर्तियां
- टेराकोटा- आग में पकी मिट्टी
- खिलौनों या पूजा की वस्तुओं के रूप में उपयोग
- हड़प्पा में पत्थर का भारी काम देखने को नहीं मिला, जो पत्थर के खराब कलात्मक कार्यों को दर्शाता है
उत्पत्ति, परिपक्वता और पतन
- पुरानी-हड़प्पा बस्तियां- नीचे का सिंध प्रांत, बलूचिस्तान और कालीबंगन
- परिपक्व हड़प्पा- 1900 ईसा पूर्व- 2500 ईसा पूर्व
सिंधु घाटी सभ्यता सभ्यता के पतन के कारण
- निकट के रेगिस्तान के विस्तार के कारण खारेपन में बढ़ोत्तरी के फलस्वरूप प्रजनन क्षमता में कमी
- भूमि के उत्थान में अचानक गिरावट से बाढ़ का आना
- भूकंपों ने सिंधु सभ्यता के दौरान परिवर्तन किए
- हड़प्पा सभ्यता आर्यों के हमलों से नष्ट हो गई
Related Links