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भारत का महान्यायवादी
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 25th, 2023
भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) के पद का प्रावधान अनुच्छेद 76 (Article 76) में है। भारत का महान्यायवादी संघीय कार्यपालिका का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार तथा उच्चतम न्यायालय में भारत सरकार का प्रमुख वकील होता है। महान्यायवादी देश में कानून का सर्वोच्चअधिकारी है।
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भारत का महान्यायवादी
भारत का महान्यायवादी, भारत सरकार का कानूनी सलाहकर होने के साथ साथ देश का सर्वोच्च विधि अधिकारी होता है। महान्यायवादी को देश का प्रथम विधि अधिकारी भी कहा जाता है।
नियुक्ति : भारतीय संविधान के अनुच्छेद 76 के तहत भारत का महान्यायवादी केंद्र सरकार द्वारा नामित एवं राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त होता है।
योग्यताएँ : ऐसा व्यक्ति जो सर्वोच्च न्ययालय का न्यायाधीश बनने की योग्यता रखता है, ऐसे किसी व्यक्ति को राष्ट्रपति महान्यायवादी के पद पर नियुक्त कर सकता हैं। अर्थात्
व्यक्ति भारत का नागरिक हो,
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करने का पाँच वर्षों का अनुभव हो
या
एक या एक से अधिक किसी भी उच्च न्यायालय में वकालत का 10 वर्षों का अनुभव हो अथवा
राष्ट्रपति की नज़र में अच्छा विधिवेत्ता हो।
पदावधि और निष्कासन:
संविधान में महान्यायवादी के कार्यकाल को निश्चित नहीं किया गया है। अर्थात, वह राष्ट्रपति की इच्छा अनुसार ही अपने पद पर बना रहता है| उसे किसी भी समय राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है | महान्यायवादी को पद से हटाने के लिए संविधान में कोई भी प्रक्रिया या आधार उल्लेख नहीं है।
वेतन एवं भत्ते : महान्यायवादी के वेतन एवं भत्ते संविधान द्वारा निर्धारित नहीं है। नियुक्ति के समय राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित वेतन एवं भत्ते महान्यायवादी को देय होते हैं।
महान्यायवादी के कर्तव्य :
राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए कानूनी मामलों पर भारत सरकार (Government of India- GOI) को सलाह देना।
राष्ट्रपति द्वारा सौंपे गए कानूनी रूप से ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करना।
सर्वोच्च न्यायालय या किसी भी उच्च न्यायालय में भारत सरकार की ओर से उन सभी मामलों में उपस्थित होना जिसमे सरकार के पक्ष रखना हो ।
संविधान के अनुच्छेद 143 तहत राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में किये गए किसी भी संदर्भ में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करना।
महान्यायवादी के अधिकार:
अपने कर्तव्यों के निर्वहन में, महान्यायवादी भारत के राज्य क्षेत्र में सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार रखता है।
अनुच्छेद 88 के तहत उसे संसद के दोनों सदनों या उनके संयुक्त बैठकों की कार्यवाही में हिस्सा लेने का अधिकार है, परंतु उसे वोट देने का अधिकार नहीं है।
संसद की किसी भी समिति में जिसमें वह सदस्य के रूप में नामांकित हो बोलने का अधिकार या भाग लेने का अधिकार है, परंतु वोट डालने का अधिकार नहीं है|
महान्यायवादी उन सभी विशेषाधिकारों और प्रतिरक्षाओं को प्राप्त करता है जो संसद के एक सदस्य के लिए उपलब्ध होतीं है|
भारत के प्रथम महान्यायवादी M. C. सीतलवाड़ थे और वर्तमान महान्यायवादी आर. वेंकटरमणी हैं।
भारत के सभी अटॉर्नी जनरल की सूची | भारत के महान्यायवादी की सूची (List of All Attorney General of India Till Present)
क्रमांक संख्या | नाम | कार्यकाल |
---|---|---|
1 | एम.सी. सीतलवाड़ – भारत के पहले अटॉर्नी जनरल | 28 जनवरी 1950 – 1 मार्च 1963 |
2 | सी. के. दफ्तरी | 2 मार्च 1963 – 30 अक्टूबर 1968 |
3 | निरेन डे | 1 नवम्बर 1968 – 31 मार्च 1977 |
4 | एस वी गुप्ते | 1 अप्रैल 1977 – 8 अगस्त 1979 |
5 | एल.एन. सिन्हा | 9 अगस्त 1979 – 8 अगस्त 1983 |
6 | के परासरण | 9 अगस्त 1983 – 8 दिसम्बर 1989 |
7 | सोली सोराबजी | 9 दिसम्बर 1989 – 2 दिसम्बर 1990 |
8 | जे. रामास्वामी | 3 दिसम्बर 1990 – 23 नवम्बर 1992 |
9 | मिलन के. बनर्जी | 21 नवम्बर 1992 – 8 July 1996 |
10 | अशोक देसाई | 9 जुलाई 1996 – 6 अप्रैल 1998 |
11 | सोली सोराबजी | 7 अप्रैल 1998 – 4 जून 2004 |
12 | मिलन के. बनर्जी | 5 जून 2004 – 7 जून 2009 |
13 | गुलाम एस्सजी वाहनवति | 8 जून 2009 – 11 जून 2014 |
14 | मुकुल रोहतगी | 12 जून 2014 – 30 जून 2017 |
15 | के.के. वेणुगोपाल | 30 जून 2017 – 30 सितंबर 2022 |
16 | आर वेंकटरमणी | 1 अक्टूबर, 2022 से अभी तक |
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