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आकाश तरंग संचरण किसे कहते है?
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 25th, 2023
आकाश तरंग संरचण या स्काईवेव प्रचार एक प्रक्रिया है जिसके अनुसार प्रेषि एंटीना इलेक्ट्रो मैगनेटिक तरंगों को उत्सर्जित करती है। फिर यह तरंगें आयन मंडल के सतह से टकरा कर ग्राही एंटीना तक वापस आती है। निश्चित तौर पर कहें तो यह एक प्रकार का रेडियो उत्सर्जन प्रसार है।
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जो तरंगें पृथ्वी के वायुमंडल में फैलती है और आयनमंडल से टकरा कर द्वारा वापस धरती पर लगे ग्राही एंटीना की तरफ परावर्तित होती है, रेडियो तरंग प्रसार कहलाती है। यहाँ ध्यान रखने योग्य बात यह है कि जिन तरंगों की आवृति 2 मेगाहर्ट्ज से कम होती है, उन्हें आयनमंडल स्वयं अवशोषित कर लेता है। अत: भेजी गयी तरंगों की आवृति 2 MHz से 30 MHz के बीच ही हो।
- आकाशीय तरंग संरचण वायुमंडल के 20 किलोमीटर के अन्दर ही होती है।
- आकाशीय तरंग संरचण को रेडियो तरंग भी कहते हैं।
- आकाशीय तरंग संरचण का उपयोग उच्च आवृति तरंगों के प्रसारण सेवा में होता है।
- आज भी इस संरचण का इस्तेमाल विश्व के कई लोग एक दुसरे से सम्बन्ध स्थापित करने के लिए करते हैं।
Summary
आकाश तरंग संचरण किसे कहते है?
जब धरती पर मौजूद प्रेषित एंटीना विद्युत् चुम्बकीय तरंग आकाश में भेजते हैं और वह अयानमंडल से टकराकर ग्राही एंटीना तक पहुँचता है तो वह आकाश तरंग संरचण कहलाती है। इसका इस्तेमाल लम्बी दूरी तक के प्रसारण में किया जाता है।
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