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कोलॉइडी कणों का आकार कितना होता है?

By Balaji

Updated on: February 17th, 2023

कोलॉइडी कणों का आकार सेंटीमीटर में 10-7– 10-15 तक होता है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक थॉमस ग्राहम के अनुसार वह पदार्थ जो जंतु झिल्ली में से विसरित नहीं होते हैं, उन पदार्थों को कोलाइड कहा जाता है। हालांकि, यह कोई पदार्थ नहीं, अपितु पदार्थ की अवस्था है। इनके उदहारण हैं गोंद, स्टार्च आदि। सामान्यत: इन कणों का आकार इतना सूक्ष्म होता है, कि इन्हें देखने के लिए माइक्रोस्कोप की आवश्यकता पड़ती है।

Table of content

(more)
  • 1. कोलॉइडी कणों का आकार (more)
  • 2. कोलॉइडी कणों का आकार कितना होता है? (more)

कोलॉइडी कणों का आकार

कोलाइडल कण अधिकांश सरल अणुओं से बड़े होते हैं, लेकिन वे इतने छोटे होते हैं कि खड़े होकर बाहर नहीं बैठ सकते। यह उनके आकार को उस बिंदु तक कम कर देता है जहां उन्हें थर्मल गति से तरल पदार्थ में निलंबित किया जा सकता है यदि कणों और तरल पदार्थ के बीच उछाल बहुत अधिक नहीं है।

कोलाइड्स ऐसे मिश्रण होते हैं जिनमें एक घटक अत्यंत सूक्ष्म कणों में कम हो जाता है और दूसरे पदार्थ में फैल जाता है। सबसे छोटे कण कोलाइडल होते हैं। एक कोलाइड एक विषम प्रणाली है जिसमें एक पदार्थ बहुत कम संख्या में कणों के रूप में एक फैलाव माध्यम में फैलाया जाता है। एक विलयन और एक कोलाइड के बीच प्राथमिक अंतर कणों का आकार है। जबकि एक समाधान के घटक कण छोटे अणु या आयन होते हैं, एक कोलाइड के फैलाव चरण में एक मैक्रोमोलेक्यूल या कई परमाणुओं, आयनों या अणुओं के समूह के कण हो सकते हैं।

रसायनशास्त्र के परिभाषा के अनुसार, कोलाइड एक मिश्रण है जिसमे दो पदार्थों के कण बड़े ही सूक्ष्म तरह से बांटे जाते हैं। इन कणों का आकार 1 NM से लेकर 1000 NM (Nanometer) तक होता है। नीचे हमने कोलाइड और उसके कणों से जुड़े कुछ तथ्य साझा किये हैं। इनसे जुड़े सवाल लगातार प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं।

  • कोलाइड के कणों को अलग करने के लिए अपकेंद्रीकारण तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इसे छानन विधि द्वारा अलग करना आसान नहीं है।
  • कोलाइड विलियन का इस्तेमाल सामान्य जीवन में होता है, लेकिन मुख्यत: इसका इस्तेमाल स्वास्थ्य में अधिक होता है।

Summary:

कोलॉइडी कणों का आकार कितना होता है?

10-7– 10-15 सेंटीमीटर मेंकोलॉइडी कणों का आकार होता है। कोलॉइडी कणों का आकार 1 नैनोमीटर से 1000 नैनोमीटर के बीच होता है। इनके छोटे आकर होने के कारण इन्हें नंगीं आँखों से देखना असंभव है, इसके लिए सूक्ष्मदर्शी यंत्र की जरूरत पड़ती है।

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