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भारतीय संविधान का 42वाँ संशोधन – 42वें संशोधन में जोड़े गए सैकुलर, सोशलिस्ट व इंटैग्रिटी शब्द
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 25th, 2023
भारतीय संविधान का 42वाँ संशोधन इन्दिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व वाली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा आपातकाल (25 जून 1975 – 21 मार्च 1977) के दौरान किया गया था। आधिकारिक रूप से इसका नाम ‘संविधान (बयालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1976’ है। यह एक बहुत बड़ा संशोधन था। इस संशोधन को कभी-कभी ‘लघु-संविधान’ (मिनी-कॉन्स्टिट्यूशन) या ‘कान्स्टिट्यूशन ऑफ इन्दिरा’ भी कहा जाता है।
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भारतीय संविधान का 42वाँ संशोधन
भारतीय संविधान का 42वाँ संशोधन 1976 कांग्रेस सरकार द्वारा किया गया था। इस संशोधन अधिनियम के तहत भारतीय संविधान में व्यापक परिवर्तन किये गए गए थे , इसलिए 42वें संविधान संशोधन को ‘लघु संविधान’ के नाम से भी जाना जाता है। इसके तहत हुए कुछ महत्वपूर्ण संशोधन निम्न हैं|
42वें संविधान संशोधन के प्रावधान
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 3 नए शब्द समाजवादी , धर्मनिरपेक्ष तथा राष्ट्र की एकता और अखंडता जोड़े गए।
- भारतीय संविधान में भाग 4A को जोड़कर अनुच्छेद 51A में नागरिकों के लिए 10 मौलिक कर्तव्य जोड़े गए।
- सातवीं अनुसूची के अंतर्गत समवर्ती सूची में राज्य सूची से पांच विषयों को समवर्ती सूची में स्थानांतरित किया गया:
1. शिक्षा
2. वन
3. वजन और माप
4. वन्यजीवों एवं पक्षियों के संरक्षण
5. न्याय प्रशासन - भाग 4 में राज्य के नीति निर्देशक तत्व के अंतर्गत तीन नए अनुच्छेद जोड़े गए एवं एक में संशोधन किया गया:
अनुच्छेद 39: बालकों के स्वस्थ विकास के लिए अवसरों को सुरक्षित करना।
अनुच्छेद 39 ए: समान न्याय को बढ़ावा देना एवं गरीबों को निशुल्क विधिक सहायता प्रदान करना
अनुच्छेद 43 ए: उद्योगों के प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाना।
अनुच्छेद 48 ए: पर्यावरण की रक्षा और संवर्धन करने के लिए एवं वनों तथा वन्य जीवन की रक्षा करने हेतु - अनुच्छेद 74(1) में संशोधन किया गया –
राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार कार्य करने हेतु।
इसे 44वें संशोधन द्वारा संशोधित किया गया था जिसमें यह प्रावधान था कि राष्ट्रपति एक बार पुनर्विचार के लिए सलाह हेतु वापस भेज सकते हैं। किंतु, पुनर्विचार के पश्चात दी गई राय राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी होगी।
भारतीय संविधान के अन्य अनुच्छेद एवं संशोधन |
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