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44वां संविधान संशोधन अधिनियम 1978- प्रावधान, कैबिनेट की भूमिका

By BYJU'S Exam Prep

Updated on: September 25th, 2023

लोगों के अधिकारों के लिए पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने और उनकी प्रभावी आवाज निर्धारित करने के लिए, 44वां संशोधन अधिनियम पेश किया गया था। आंतरिक आपातकाल की अवधि के दौरान बनाए गए संवैधानिक संशोधनों या विकृतियों को बहाल करने और ठीक करने के लिए 1978 में 45वें संशोधन विधेयक के माध्यम से इसे प्रस्तावित किया गया था।

भारतीय संविधान का 44वां संशोधन (44th Amendment of the Indian Constitution)

भारतीय संविधान का 44वां संशोधन अधिनियम 1978 में जनता पार्टी सरकार द्वारा किया गया था। इस संशोधन अधिनियम के तहत भारतीय संविधान में किये गए महत्वपूर्ण संशोधन निम्न हैं:

  • लोकसभा एवं राज्यसभा के कार्यकाल की पुनः स्थापना: 44वें संशोधन अधिनियम ने लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं के मूल कार्यकाल को पुनर्स्थापित किया जो कि 5 वर्ष की अवधि का है।
  • गणपूर्ति (कोरम): 44वें संविधान संशोधन अधिनियम ने संसद एवं राज्य विधानसभाओं में गणपूर्ति के संबंध में प्रावधानों को पुनर्स्थापित कर दिया।
  • संसदीय विशेषाधिकार: 44 वें संशोधन अधिनियम ने संसदीय विशेषाधिकारों से संबंधित प्रावधानों में ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स के संदर्भ को भी विलोपित कर दिया।
  • प्रकाशन/रिपोर्ट का अधिकार: 44वें संशोधन अधिनियम ने संसद एवं राज्य विधानसभाओं की कार्यवाही की वास्तविक रिपोर्ट के समाचार पत्र में प्रकाशन को संवैधानिक संरक्षण प्रदान किया।
  • 44 वें संशोधन अधिनियम ने सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों की कुछ शक्तियों को पुनर्स्थापित कर दिया।
  • 44वें संशोधन अधिनियम ने उन प्रावधानों को भी विलोपित कर दिया जो राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं लोकसभा के अध्यक्ष के निर्वाचन से संबंधित विवादोंका न्याय निर्णय करने कि न्यायालय की शक्ति को छीन लेते थे।
  • सशस्त्र विद्रोह: 44 वें संशोधन अधिनियम ने राष्ट्रीय आपातकाल के संबंध में ‘आंतरिक अशांति’ शब्द को ‘सशस्त्र विद्रोह’ से प्रतिस्थापित कर दिया।
  • कैबिनेट की भूमिका: 44 वां संशोधन अधिनियम यह प्रावधान करता है कि राष्ट्रपति मात्र कैबिनेट की लिखित संस्तुति के आधार पर ही राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं।
  • प्रक्रियात्मक रक्षोपाय: 44 वें संशोधन अधिनियम ने राष्ट्रीय आपातकाल एवं राष्ट्रपति शासन के संबंध में कुछ प्रक्रियात्मक रक्षोपाय किए।
  • मौलिक अधिकार का निलंबन: 44वां संशोधन अधिनियम यह प्रावधान करता है कि अनुच्छेद 20 एवं अनुच्छेद 21 द्वारा प्रत्याभूत मौलिक अधिकारों को राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान निलंबित नहीं किया जा सकता है।
  • संपत्ति के अधिकार को विधिक अधिकार बनाया: 44वें संविधान संशोधन अधिनियम ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया एवं इसे केवल एक विधिक अधिकार बना दिया।

भारतीय संविधान के अन्य महत्वपूर्ण अनुच्छेद:

भारतीय संविधान के अन्य अनुच्छेद एवं संशोधन 

42nd Amendment Act in Hindi

Supreme Court of India in Hindi

Maulik Adhikar

Article 32 in Hindi

Article 19 in Hindi

Article 143 in Hindi

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