टिंडल प्रभाव क्या है?

By Raj Vimal|Updated : September 12th, 2022

टिंडल प्रभाव: जब प्रकाश की किरणें किसी कोलायडी विलियन से हो कर गुजरते हैं तो उनका प्रकीर्णन हो जाता है, यही वैज्ञानिक घटना टिंडल प्रभाव कहलाती है। टिंडल प्रभाव का नाम 19वीं शताब्दी में पड़ा, इसका नाम एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक जॉन टिंडल के नाम पर दिया गया। टिंडल प्रभाव ही तिन्डाल प्रकीर्णन कहलाता है।

जैसा कि प्रकाश की प्रकीर्णन नियम है, जब एक सफ़ेद प्रकाश पुंज प्रकाश एक कोलायडी विलियन में प्रवेश करता है तो वह कई रंगों में बंट जाता है। चूँकि लाल रंग का तरंग दैधर्य अधिक होता है तो वह प्रकीर्णन नहीं करता है, लेकिन नीला रंग चारो तरफ फ़ैल जाता है क्योंकि उसका तरंग दैध्र्य कम होता है।

Summary

टिंडल प्रभाव क्या है?

कोलायडी विलियन के द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन की घटना टिंडल प्रभाव कहलाती है। प्रकाश के प्रकीर्णन की यह घटना विलियन में मौजूद छोटे कणों के कारण होता है। इसके पूरा होने कि कुछ शर्तें हैं, जिनके बिना विज्ञान का यह प्रयोग अथवा घटना संपन्न नहीं हो सकता है।

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