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भारत का निर्वाचन आयोग – गठन, कार्य, शक्तियाँ
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 25th, 2023
भारत का निर्वाचन आयोग ( Election Commission of India) एक स्वायत्त एवं अर्ध-न्यायिक संस्थान है जिसका गठन भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से विभिन्न से भारत के प्रतिनिधिक संस्थानों में प्रतिनिधि चुनने के लिए किया गया था। भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को की गयी थी।
Table of content
- 1. भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India)
- 2. चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति (Bharat Ke Chunav Aayog Mein Kitne Chunav Ayukt Hote Hain)
- 3. कार्यकाल एवं पद से हटाया जाना
- 4. निर्वाचन आयोग का मुख्य कार्य
- 5. निर्वाचन आयोग की शक्तियाँ
- 6. भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) Study Notes PDF Download
भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India)
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 में निर्वाचन आयोग का प्रावधान है। इसकी स्थापना 25 जनवरी 1950 को की गई थी।
- यह तीन सदस्यीय निकाय है।आयोग में वर्तमान में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं।
- जब यह पहले पहल 1950 में गठित हुआ तब से और 15 अक्टूबर, 1989 तक केवल मुख्य निर्वाचन आयुक्त सहित यह एक एकल-सदस्यीय निकाय था।
- 16 अक्टूबर, 1989 से 1 जनवरी, 1990 तक यह आर. वी. एस. शास्त्री (मुख्य निर्वाचन आयुक्त) और निर्वाचन आयुक्त के रूप में एस.एस. धनोवा और वी.एस. सहगल सहित तीन-सदस्यीय निकाय बन गया था।
- 2 जनवरी, 1990 से 30 सितम्बर, 1993 तक यह एक एकल-सदस्यीय निकाय बन गया था और फिर 1 अक्टूबर, 1993 से यह तीन-सदस्यीय निकाय बन गया है।
- भारत के प्रथम निर्वाचन आयुक्त श्री सुकुमार सेन थे तथा वर्तमान मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार हैं।
- भारत की प्रथम महिला मुख्य चुनावआयुक्त वी॰ एस॰ रमादेवी (26 नवम्बर 1990 से 11 दिसम्बर 1990) थी।
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति (Bharat Ke Chunav Aayog Mein Kitne Chunav Ayukt Hote Hain)
निर्वाचन आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त तथा दो अन्य चुनाव आयुक्त होते हैं, मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति भारत का राष्ट्रपति करता है।
कार्यकाल एवं पद से हटाया जाना
मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या आयु 65 साल, जो पहले हो, का होता है जबकि अन्य चुनाव आयुक्तों का कार्यकाल 6 वर्ष या आयु 62 साल, जो पहले हो, का होता हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा महाभियोग के जरिए ही हटाया जा सकता हैं। जबकि अन्य निर्वाचन आयुक्तों को मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।
वेतन
चुनाव आयुक्त का सम्मान और वेतन भारत के सर्वोच्च न्यायलय के न्यायधीश के सामान होता है।
निर्वाचन आयोग का मुख्य कार्य
भारत निर्वाचन आयोग विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति आदि के चुनाव कराना मुख्य कार्य है जबकि ग्रामपंचायत, नगरपालिका, महानगर परिषद् और तहसील एवं जिला परिषद् के चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा कराएं जाते हैं।
निर्वाचन आयोग के कार्य
1 निर्वाचन आयोग के पास यह उत्तरदायित्व है कि वह निर्वाचनो का पर्यवेक्षण, निर्देशन तथा आयोजन करवाना
2 निर्वाचक नामावली तैयार करवाना
3 राजनैतिक दलो को मान्यता प्रदान करना
4. राजनैतिक दलो को राष्ट्रीय, राज्य स्तर के दलो के रूप मे वर्गीकरण, मान्यता देना
5. राजनैतिक दलो निर्दलीयों को चुनाव चिन्ह देना
6. सांसद/विधायक की अयोग्यता (दल बदल को छोडकर) के तहत राष्ट्रपति/राज्यपाल को सलाह देना
7. गलत निर्वाचन उपायों का उपयोग करने वाले व्यक्तियों को निर्वाचन के लिये अयोग्य घोषित करना
8. चुनाव कार्यक्रम निर्धारित करना
निर्वाचन आयोग की शक्तियाँ
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयानुसार अनुच्छेद 324(1) मे लिखा है कि निर्वाचन आयोग की शक्तियाँ कार्यपालिका द्वारा नियंत्रित नहीं हो सकती उसकी शक्तियां केवल उन निर्वाचन संबंधी संवैधानिक उपायों तथा संसद निर्मित निर्वाचन विधि से नियंत्रित होती है निर्वाचन का पर्यवेक्षण, निर्देशन, नियंत्रण तथा आयोजन करवाने की शक्ति मे देश मे मुक्त तथा निष्पक्ष चुनाव आयोजित करवाना भी निहित है जहां कही संसद विधि निर्वाचन के संबंध मे मौन है वहां निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिये निर्वाचन आयोग असीमित शक्ति रखता है यधपि प्राकृतिक न्याय, विधि का शासन तथा उसके द्वारा शक्ति का सदुपयोग होना चाहिए।
- निर्वाचन आयोग विधायिका निर्मित विधि का उल्लघँन नहीं कर सकता है और न ही ये स्वेच्छापूर्ण कार्य कर सकता है उसके निर्णय न्यायिक पुनरीक्षण के पात्र होते है।
- निर्वाचन आयोग की शक्तियाँ निर्वाचन विधियों की पूरक है न कि उन पर प्रभावी तथा वैध प्रक्रिया से बनी विधि के विरूद्ध प्रयोग नही की जा सकती है।
- यह आयोग चुनाव का कार्यक्रम निर्धारित कर सकता है चुनाव चिन्ह आवंटित करने तथा निष्पक्ष चुनाव करवाने के निर्देश देने की शक्ति रखता है
- सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी शक्तियों की व्याख्या करते हुए कहा कि वह एकमात्र अधिकरण है जो चुनाव कार्यक्रम निर्धारित करे चुनाव करवाना केवल उसी का कार्य है।
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अनु 14,15 भी राष्ट्रपति, राज्यपाल को निर्वाचन अधिसूचना जारी करने का अधिकार निर्वाचन आयोग की सलाह के अनुरूप ही जारी करने का अधिकार देते है।
भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) Study Notes PDF Download
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