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अनुच्छेद 111 (Article 111 in Hindi) – राष्ट्रपति की वीटो शक्ति
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 25th, 2023

वीटो (Veto) का अर्थ है निषेधात्मक मत। जब कोई विधेयक संसद के सदनों द्वारा पारित होकर राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है , और राष्ट्रपति उस विधेयक पर अपनी सहमति न देकर उसे रोक लेता है , इसे वीटो शक्ति (Veto Power) के नाम से जाना जाता है। संविधान के अनुच्छेद 111 (Article 111) में राष्ट्रपति की वीटो शक्ति का वर्णन है।
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अनुच्छेद 111: राष्ट्रपति की वीटो शक्ति (President’s Veto Power)
वीटो शक्ति का अर्थ है कि संसद द्वारा पारित विधेयक पर राष्ट्रपति द्वारा अनुमति न देना। भारतीय राष्ट्रपति के पास 3 प्रकार की वीटो शक्तियां हैं :
1. निलम्बनकरी वीटो (Suspensive Veto)
2. JB या पॉकेट वीटो (JB or Pocket Veto)
3. आत्यंतिक वीटो (Absolute Veto)
जब कोई विधेयक संसद् के सदनों द्वारा पारित कर दिया गया है तब वह राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा और राष्ट्रपति घोषित करेगा कि वह विधेयक पर अनुमति देता है या अनुमति रोक लेता है।
परन्तु राष्ट्रपति अनुमति के लिए अपने समक्ष विधेयक प्रस्तुत किए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र उस विधेयक को, यदि वह धन विधेयक नहीं है तो, सदनों को इस संदेश के साथ लौटा सकेगा कि वे विधेयक पर या उसके किन्हीं विनिर्दिष्ट उपबंधों पर पुनर्विचार करें और विशिष्टतया किन्हीं ऐसे संशोधनों के पुरःस्थापन की वांछनीयता पर विचार करें जिनकी उसने अपने संदेश में सिफारिश की है और जब विधेयक इस प्रकार लौटा दिया जाता है तब सदन विधेयक पर तद्रुसार पुनर्विचार करेंगे और यदि विधेयक सदनों द्वारा संशोधन सहित या उसके बिना फिर से पारित कर दिया जाता है और राष्ट्रपति के समक्ष अनुमति के लिए प्रस्तुत किया जाता है तो राष्ट्रपति उस पर अनुमि नहीं रोकेगा।
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