अनुच्छेद 356 (Article 356 in Hindi) - राज्यों में सांविधानिक तंत्र के विफल हो जाने की दशा में उपबंध

By Brajendra|Updated : August 10th, 2022

यदि राष्ट्रपति का किसी राज्य के राज्यपाल से प्रतिवेदन मिलने पर या अन्यथा, यह समाधान हो जाता है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें उस राज्य का शासन इस संविधान के उपबंधों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है तो राष्ट्रपति अनुच्छेद 356 (Article 356) के तहत उस राज्य में आपातकाल की उद्घोषणा कर सकता है। इसे संवैधानिक आपातकाल और राष्ट्रपति शासन भी कहते हैं।

अनुच्छेद 356: राज्यों में संवैधानिक तंत्र के विफल हो जाने की दशा में उपबंध

अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति राज्य में आपातकाल की उद्घोषणा कर सकता है। इसे संवैधानिक आपातकाल और राष्ट्रपति शासन भी कहते हैं। राज्य में आपातकाल की उद्घोषणा राष्ट्रपति द्वारा निम्न तीन आधारों पर की जाती है-

1. राज्य में संवैधानिक तंत्र के विफल होने पर
2. पंथनिरपेक्षता के उलंघन होने पर
3. अनुच्छेद 365 का पालन न होने पर

Note:

  • राज्य में आपातकाल की उद्घोषणा राष्ट्रपति राज्यपाल की रिपोर्ट पर करता है।
  • राज्य में आपातकाल की उद्घोषणा को संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत द्वारा 2 माह के अंदर पारित होना अनिवार्य होता है।
  • संसद से पारित होकर यह उद्घोषणा 6 माह के लिए लागू रहती है और ऐसे हर 6 माह में अनुमोदित होकर इसे अधिकतम 3 साल के जारी रख सकते हैं। परन्तु 1साल से अधिक समय तक जारी रखने के लिए राज्य में दो परिस्थियाँ आवश्यक हैं:

1. राष्ट्रीय आपातकाल प्रवर्तन में हो।
2. चुनाव आयोग प्रमाणित कर दे की राज्य में चुनाव करना असंभव है।

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