अनुच्छेद 20 (Article 20 in Hindi) - अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण

By Brajendra|Updated : August 9th, 2022

अनुच्छेद 20 भारतीय संविधान द्वारा दिया गया महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है। अनुच्छेद 20 के तहत किसी भी व्यक्ति को तब तक अपराधी नहीं माना जायेगा जब तक कि उस पर आरोप साबित नहीं हो जाता है, और इस सम्बन्ध में अनुच्छेद 20 के तहत समस्त नागरिकों को सरंक्षण प्रदान किया गया है।

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अनुच्छेद 20: अपराध दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण

अनुच्छेद 20 के तहत किसी भी नागरिक को 3 प्रकार की स्वतंत्रताएं प्रदान की गई हैं:

1. कोई व्यक्ति किसी अपराध के लिए तब तक सिद्धदोष नहीं ठहराया जाएगा, जब तक कि उसने ऐसा कोई कार्य करने के समय, जो अपराध के रूप में आरोपित है, किसी प्रवृत्त विधि का अतिक्रमण नहीं किया है या उससे अधिक शास्ति का भागी नहीं होगा जो उस अपराध के किए जाने के समय प्रवृत्त विधि के अधीन अधिरोपित की जा सकती थी।

2. किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक बार से अधिक अभियोजित और दंडित नहीं किया जाएगा।

3. किसी अपराध के लिए अभियुक्त किसी व्यक्ति को स्वयं अपने विरुद्ध साक्षी होने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।

Note:

  • अनुच्छेद 20 उन लोगों को संरक्षण का अधिकार देतें है जिनको किसी गुनाह में अपराधी माना जा रहा हो।
  • अनुच्छेद 20 भारत के नागरिक एवं विदेशी सबके लिए नागरिकों है।

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