जनजातीय गौरव दिवस (Tribal Pride Day in Hindi) : 15 नवंबर
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 13th, 2023

जनजातीय गौरव दिवस(Tribal Pride Day) 15 नवंबर, 2021 को मनाया गया था। 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस (Tribal Pride Day) मनाने का निर्णय 10 नवंबर, 2021 को पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लिया गया था। भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करने हेतु 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया गया था। ताकि आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को स्मरण रखा जाये। आदिवासियों के जननायक भगवान बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर होती है। इसलिए 15 नवंबर को ही जनजातीय गौरव दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था।
इस लेख में हम आपको जनजातीय गौरव दिवस, मनाने का कारण, और उसका महत्त्व साथ आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी जैसे बिरसा मुंडा आदि से सम्बंधित जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। उम्मीदवार नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करके जनजातीय गौरव दिवस (Tribal Pride Day) से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी का पीडीएफ़ हिंदी में डाउनलोड कर सकते हैं।
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जनजातीय गौरव दिवस (Tribal Pride Day) : 15 नवंबर
- आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को स्मरण रखने के उद्देश्य से भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस मनाने का निर्णय पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लिया गया था।
- आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की याद में जनजातीय गौरव दिवस 15 नवंबर 2021 को मनाया गया ताकि आने वाली पीढ़ियों को भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदानों से अवगत रखा जाये।
- 15 नवंबर का दिवस महत्वपूर्ण है क्योंकि 15 नवंबर को आदिवासियों के भगवान बिरसा मुंडा की जयंती होती है।
- सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और राष्ट्रीय गौरव और आतिथ्य के भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए आदिवासियों द्वारा किए गए प्रयासों को सम्मान देने के लिए प्रत्येक वर्ष 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस दिवस मनाया जाएगा।
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रतिष्ठित आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और नेता बिरसा मुंडा की जयंती पर ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव समारोह रूप में 15 नवंबर, 2021 – 22 नवंबर, 2021 एक सप्ताह चलने वाले समारोहों की शुरुआत की।
- जनजातीय गौरव दिवस दिवस उत्सव के रूप में भारत सरकार ने आदिवासी लोगों के 75 साल के इतिहास को मनाने के लिए एक सप्ताह तक चलने वाले उत्सव की शुरुआत की थी।
- जिसमे सरकार द्वारा कई गतिविधियों का आयोजन किया गया था । प्रत्येक गतिविधि विशिष्ट विषय के तहत आयोजित की गई थी , जिसमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासियों की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया था।
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जनजातीय गौरव दिवस (Tribal Pride Day) : बिरसा मुंडा
- बिरसा मुण्डा का जन्म 15 नवम्बर 1875 में गरीब किसान के परिवार में हुआ था। जो मुण्डा जनजाति से थे।
- बिरसा मुण्डा ने 19वीं सदी के अंत में बिहार के आदिवासी क्षेत्रों में ब्रिटिश शासन के दौरान एक भारतीय आदिवासी धार्मिक आंदोलन का नेतृत्व किया था।
- अक्टूबर 1894 को नौजवान नेता के रूप में आदिवासी लोंगो को संगठित कर इन्होंने अंग्रेजो के विरुद्ध लगान (कर) माफी के लिये आन्दोलन किया।
- इस आरोप में उन्हें 1895 में गिरफ्तार कर लिया गया और हजारीबाग केन्द्रीय कारागार में दो साल के कारावास की सजा दी गयी।
- बिरसा मुंडा को वहाँ के लोग “धरती आबा” के नाम से पुकारते थे और उनकी पूजा करते थे।
- 1897 से 1900 के बीच मुंडाओं और अंग्रेज सिपाहियों के बीच युद्ध होते रहे और बिरसा साथियों ने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया।
- अगस्त 1897 में बिरसा और उसके चार सौ सिपाहियों ने तीर कमानों से लैस होकर खूँटी थाने पर हमला किया।
- 1898 में तांगा नदी के किनारे मुंडाओं की भिड़ंत अंग्रेज सेनाओं से हुई जिसमें पहले तो अंग्रेजी सेना हार गयी लेकिन बाद में उस इलाके के बहुत से आदिवासी नेताओं की गिरफ़्तारियाँ हुईं।
- बिरसा मुंडा को अंग्रेजों द्वारा 3 फरवरी 1900 को चक्रधरपुर के जमकोपाई जंगल से गिरफ़्तार कर लिया गया।और अंग्रेजों ने उन्हें जहर देकर मार दिया | बिरसा मुंडा 9 जून 1900 ई को अन्तिम साँस ली थी।
- बिरसा मुण्डा की समाधि राँची में कोकर के निकट डिस्टिलरी पुल के पास स्थित है। वहीं उनकी प्रतिमा भी बनी है।
- बिरसा मुण्डा की स्मृति में रांची में बिरसा मुण्डा केन्द्रीय कारागार तथा बिरसा मुंडा अंतरराष्ट्रीय विमानक्षेत्र भी है।
- बिरसा मुण्डा को आज भी बिहार, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाकों में भगवान की तरह पूजा जाता है।
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