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भारत के गवर्नर-जनरल और वायसराय सूची – प्रथम गवर्नर जनरल

By BYJU'S Exam Prep

Updated on: September 13th, 2023

ईस्ट इंडिया कंपनी को रॉयल चार्टर मिलने के बाद अंग्रेजों ने भारत पर शासन करना शुरू किया। यह चार्टर 31 दिसंबर 1600 को महारानी एलिजाबेथ प्रथम के द्वारा दी गयी थी | धीरे-धीरे, वे दुनिया की सबसे बड़ी शक्तियों में से एक बन गए। उन्होंने भारत में एक महान साम्राज्य की स्थापना की और भारतीयों पर शासन करने के लिए कई नियम और कानून लागू किए।

इस लेख आपको बंगाल के पहले गवर्नर-जनरल, भारत के विभिन्न गवर्नर-जनरल, उनकी उपलब्धियों और भारत के गवर्नर-जनरल या वायसराय के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान हुए प्रमुख सुधारों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दे रहे हैं। इधर पर आप Governor Generals and Viceroys in Hindi में पढ़ पाएगे गवर्नर जनरलों के कालक्रम और उनके शासन के दौरान हुई प्रमुख घटनाओं को देखेंगे।                 

भारत के गवर्नर जनरल और वायसराय | Govenor General and Viceroys of India

भारत में ब्रिटिश क्षेत्र प्रशासनिक इकाइयों में विभाजित थे जिन्हें प्रेसीडेंसी कहा जाता था। उस समाय ब्रिटिश प्रशासनिक क्षेत्र की तीन प्रेसीडेंसी थीं: बंगाल, मद्रास और बॉम्बे।
प्रत्येक प्रशासनिक क्षेत्र पर एक राज्यपाल का शासन था। प्रशासन का सर्वोच्च प्रमुख गवर्नर-जनरल होता था। पहले गवर्नर-जनरल वारेन हेस्टिंग्स थे जिन्होंने कई प्रशासनिक सुधारों की शुरुआत की थी। गवर्नर-जनरल वारेन हेस्टिंग्स न्याय के क्षेत्र में अनेक सुधार किये थे।

बंगाल के गवर्नर (1757–74) Governor of Bengal

रॉबर्ट क्लाइव

  • सन् 1757-60 के दौरान और पुनः 1765-67 के दौरान बंगाल के गवर्नर रहे तथा 1765-72 तक बंगाल में दोहरी सरकारी की स्थापना की।
  • क्लाइव का भारत में प्रारंभिक प्रवास 1744 से 1753 तक रहा।
  • फ्रांसिसियों के विरूद्ध उप-महाद्वीप में ब्रिटिश वर्चस्व को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें सन् 1755 में भारत वापस बुलाया गया था।
  • सन् 1757 में क्लाइव ने एडमिरल वाटसन के साथ बंगाल के नवाब सिराज-उद-दौला से कलकत्ता का पुनर्ग्रहण किया।
  • प्लासी के युद्ध में बड़ी सेना होने के बावजूद नवाब ब्रिटिश द्वारा पराजित हो गए।
  • क्लाइव ने नवाब के सेना के कमांडर मीर जाफर को रिश्वत देकर अंग्रेजों की जीत सुनिश्चित कर ली और युद्ध के बाद बंगाल के नवाब के रूप में उन्हें गद्दी पर बैठाया।
  • क्लाइव बंगाल में कुछ फ्रांसीसी किलों पर भी कब्जा करने में सक्षम रहे।
  • इन कार्यों के लिए रॉबर्ट क्लाइव को  प्लासी का बरोन बनाया गया।
  • इस युद्ध के परिणामस्वरूप ब्रिटिश भारतीय उप-महाद्वीप में सर्वोच्च शक्ति बन गए।
  • बंगाल उनका हो गया और इससे कंपनी की संपत्ति में अत्याधिक वृद्धि हुई। (उस समय बंगाल ब्रिटेन से भी धनी हो गया था)
  • इसने भारत के अन्य हिस्सों को अंग्रेजों के लिए खोल दिया और अंततः भारत में ब्रिटिश राज का उदय हुआ। इस कारण से रॉबर्ट क्लाइव को भारत का विजेता के नाम से भी जाना जाता है।
  • वंसिटार्ट (1760–65):बक्सर का युद्ध (1764)।
  • कार्टियर (1769–72):बंगाल का अकाल (1770)।

बंगाल के गवर्नर जनरल (1774–1833), Govenor General of Bengal

वॉरेन हेस्टिंग (1772–1785)                            

  • प्रथम गवर्नर जनरल ऑफ़ बंगाल।
  • बंगाल की दोहरी सरकार को विनियमन अधिनियम, 1773 द्वारा समाप्त किया गया
  • विनियमन अधिनियम, 1773 के माध्यम से गवर्नर-जनरल बने।
  • चार्ल्स विल्किंस द्वारा गीताके प्रथम अंग्रेजी अनुवाद की भूमिका इन्होंने लिखी ।
  • सन् 1781 में, इन्होंने इस्लामिक अध्ययनों के प्रचार के लिए कलकत्ता मदरसा की स्थापना की।
  • इन्होंने सन् 1784 में विलियम जोन्स के साथ बंगाल की एशियाटिक सोसाइटी की स्थापना की।
  • नीलामी के जरिए उच्चतम बोली लगाने वाले को भू-राजस्व एकत्र करने का अधिकार; बंगाल को जिलों में विभाजित करना और कलेक्टरों एवं अन्य राजस्व अधिकारी की नियुक्ति।
  • रोहिला युद्ध (1774); प्रथम एंग्‍लो-मराठा युद्ध (1776–82): द्वितीय एंग्‍लो-मैसूर युद्ध (1780–84)।

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लॉर्ड कॉर्नवालिस (1786–93)

  • निचले अदालतों और अपीलीय अदालतों की स्थापना।
  • जोनाथन डंकन द्वारा संस्कृत कॉलेज की स्थापना।
  • सन् 1793 में बिहार और बंगाल में स्थायी बंदोबस्त।
  • कॉर्नवालिस कोड का आरंभ।
  • भारत में सिविल सेवा का आरंभ।
  • तृतीय एंग्‍लो-मैसूर युद्ध (टीपू की पराजय और सन् 1792 में श्रीरंगपट्ट्नम की संधि)।

सर जॉन शोर (1793–98)

  • अहस्तक्षेप की नीति।
  • सन् 1793 का चार्टर अधिनियम।
  • निजाम और मराठा (1795) के बीच खड़दा का युद्ध।

लॉर्ड वेलेसली (1798–1805)

  • इन्होंने सहायक संधि की नीति अपनायी – भारतीय शासकों को नियंत्रण में रखने और अंग्रेजों को सर्वोच्च शक्ति बनाने की व्यवस्था की।
  • कलकत्ता में फोर्ट विलियम कॉलेज।
  • सन् 1801 में मद्रास प्रेसीडेंसी का निर्माण।
  • चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध (1799)-टीपू सुल्तान की पराजय और मृत्यु; द्वितीय एंग्‍लो-मराठा युद्ध (1803–05)-सिंधिया की पराजय, भोंसले और होलकर; बेसिन की संधि (1802)।

भारत में सहायक संधि

सहायक संधि का प्रयोग वेलेजली द्वारा भारतीय राज्यों को ब्रिटिश सत्ता के अंतर्गत लेने के लिए किया गया था। इस व्यवस्था ने कंपनी के शक्ति क्षेत्रो में वृद्धि करने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया और इसकी सहायता से बहुत से नए क्षेत्र कम्पनी के अधीन हो गए।

इस संधि के चार चरण थे: पहले चरण में कंपनी किसी भारतीय राजा को युद्ध में सहायता देने के लिए अपने सैनिक प्रदान करती थी।

दूसरे चरण में कंपनी एक साथी राज्य जो कंपनी के सहायक राज्य का भी मित्र राज्य होता था, की सहायता करने के लिए अपने सैनिक भेजती थी

अगले चरण में भारतीय सहयोगी को सैनिक सहायता प्राप्त करने के लिए पर धन की आपूर्ति करनी होती थी। कम्पनी सैनिको को प्रशिक्षण देकर उन्हें हथियार मुहैय्या कराती थी और इनमें से निश्चित सैनिको को धन प्राप्त होने के बाद ही सहायता के लिए पहुचाया जाता था।

कंपनी का अंतिम कदम काफी चालाकी भरा था। कंपनी किसी भारतीय सहयोगी के क्षेत्र की रक्षा करने के लिए उस राज्य में अपने सैनिक बल तैनात करती थी। इसके लिए कंपनी धन के स्थान पर भारतीय सहयोगी से उस क्षेत्र को कम्पनी के अधिकार में देने के लिए कहती थी जिसके राजस्व से सैनिको का खर्च उठाया जाता।

भारतीय राज्यों को अन्य राज्यों से बातचीत करने के लिए कंपनी से संपर्क करना होता था।
राज्य को अपने मुख्यालय में एक ब्रिटिश नागरिक को स्वीकार करना पड़ा।

इस संधि की सहायता से कंपनी ने भारतीय सूबों के खर्चे पर एक बड़ी सेना अर्जित कर ली। इसने भारतीय राज्यों को निषिद्ध कर दिया और उन पर ब्रिटिश संरक्षण थोप दिया गया।
जिन राज्यों ने इस संधि को स्वीकार किया था उनमे हेदराबाद के निजाम, मैसूर के शासक, तेंजोर के राजा, अवध के नवाब, पेशवा, बेरार के राजा भोंसले, जोधपुर, जयपुर के राजपूत आदि शामिल थे।

जार्ज बार्लो (1805–1807): वेल्लोर विद्रोह (1806)

लॉर्ड मिंटो-I (1807–1813)

  • इन्होंने महाराजा रंजीत सिंह के साथ अमृतसर की संधि (1809) की।
  • 1813 का चार्टर अधिनियम पास किया गया।

लॉर्ड हेस्टिंग (1813–1823)

  • अहस्तक्षेप नीति का समापन और हस्तक्षेप एवं युद्ध की नीति को अपनाया।
  • 1818 में बॉम्बे प्रेसीडेंसी का निर्माण करवाया।
  • मद्रास में रेयतवारी व्यवस्था की स्थापना की।
  • एंग्‍लो-नेपाली युद्ध (1813–23); तृतीय एंग्‍लो-मराठा युद्ध (1817–18)हेस्टिंग्स ने पेशवा और सिंधिया पर अपमानजनक संधियां करने के लिए बल दिया।

लॉर्ड अमहर्स्ट (1823–28)

  • प्रथम एंग्‍लो बर्मा युद्ध (1824-26)। 
  • मलय प्रायद्विपीय राज्यों का अधिग्रहण; भरतपुर का अधिग्रहण (1826)।

लॉर्ड विलियम बेंटिक (1828–33)

  • भारत के सबसे अधिक उदार और प्रबुद्ध गवर्नर जनरल; इन्हें भारत के मॉडर्न पश्चिमी शिक्षा के जनक के तौर पर सम्मानित किया गया।
  • इन्होंने राजराम मोहन राय की सहायता से सामाजिक कुरीतियों जैसे सती प्रथा का उन्मूलन किया और ठगी का दमन किया।
  • मैसूर का विलय (1831)।
  • सन् 1833 में चार्टर अधिनियम पारित किया गया जिसमें यह प्रावधान है कि कंपनी के अधीन किसी भी भारतीय को उनके धर्म, जन्म स्थान, वंश और रंग के कारण कार्यालय रखने से वंचित नहीं किया जाएगा।
  • मैकॉले समिति की सिफारिश पर भारत में अंग्रेजी को उच्च शिक्षा का माध्यम बनाया गया।
  • कलकत्ता में प्रथम मेडिकल कॉलेज स्थापित किया गया।

भारत के गवर्नर जनरल (1833–58)

लॉर्ड विलियम बेंटिक (1833–35)

  • भारत के प्रथम गवर्नर जनरल।
  • अपवर्जित प्रांतीय न्यायालयों का उन्मूलन और कॉर्नवॉलिस द्वारा सर्किट की स्थापना, राजस्व और सर्किट के कमीश्नरों की नियुक्ति।
  • कुशासन की याचिका पर केन्द्रीय काचर (1834) का कूर्ग में विलय (1834)

सर चॉर्ल्स मेटकॉफ (1835–1836)

  • प्रसिद्ध प्रेस कानून पास किया गया जिसने भारत में प्रेस को स्वतंत्र किया (इन्‍हें प्रेस का मुक्तिदाता भी कहा जाता है)।

लॉर्ड ऑकलैंड (1836–42)

  • प्रथम एंग्‍लो-अफगान युद्ध (1836–42)— भारत में ब्रिटिशों की प्रतिष्ठा के लिए बहुत बड़ा झटका।

लॉर्ड एलेनब्रो (1842–44)

  • अफगान युद्ध को समाप्त किया। सिंध का विलय (1843)।
  • ग्वालियर के साथ युद्ध (1843)।

लॉर्ड हॉर्डिंग्स I (1844–48)

  • प्रथम एंग्‍लो सिक्‍ख युद्ध (1845–46) तथा सन् 1846 में लाहौर की संधि (भारत में सिक्‍ख संप्रभुता की समाप्ति)।
  • रोजगार में अंग्रेजी शिक्षा को तरजीह देना।

डलहौजी (1848–56)

  • बंगाल आर्टिलरी के मुख्यालय को कलकत्ता से मेरठ शिफ्ट किया।
  • शिमला को सेना के लिए स्थायी मुख्यालय और ग्रीष्म ऋतु की राजधानी बनाया गया।
  • इनके शासनकाल में गोरखा रेजिमेंट का गठन हुआ।
  • भारत के सबसे युवा गवर्नर (36 वर्ष) तथा निम्नलिखित के लिए जाने जाते हैं
  • इंडियन टेलीग्राफ के जनक
  • भारतीय रेलवे के जनक
  • भारतीय डाक प्रणाली के जनक
  • भारतीय अभियंता सेवा के जनक
  • मॉर्डन भारत के निर्माता
  • उपाधि, पेंशन और विधवा पुनर्विवाह अधिनियम (1856) का उन्मूलन।
  • नए अधिग्रहित क्षेत्रों में केन्द्रीकृत नियंत्रण प्रणाली लागू की, जिसे बोन-विनियमन प्रणाली के रूप में जाना जाता है।
  • संपूर्ण उत्तर पश्चिमी प्रान्तों (1853) के लिए वर्नाकुलर शिक्षा की थॉमसन प्रणाली की सिफारिश की।
  • 1854 का वुडस शैक्षिक डिस्पैच और एंग्‍लो-वर्नाकुलर स्कूलों एवं सरकारी महाविद्यालयों का उद्घाटन।
  • सन् 1853 में भारत में पहली रेलवे लाइन का आरंभ किया (बॉम्बे से थाने के बीच)।
  • इलेक्ट्रिक टेलीग्राफ सेवा आरंभ की।
  • मॉर्डन डाक प्रणाली (1854) की आधारशिला रखी
  • पहली बार एक अलग सार्वजनिक कार्य विभाग की स्थापना की गई।
  • ग्रांड ट्रंक रोड पर काम शुरू किया और कराची, बॉम्बे और कलकत्ता के बंदरगाहों को विकसित किया गया।
  • हड़प नीति को लागू किया गया, (सतारा (1848), जैतपुर और संभलपुर (1849), बाघट (1850), उदयपुर (1852), झांसी (1853) एवं नागपुर (1854) पर कब्जा किया गया; द्वितीय एंग्‍लो-सिक्‍ख युद्ध लड़ा गया (1848–49) और संपूर्ण पंजाब पर कब्जा कर लिया गया; द्वितीय एंग्‍लो-बर्मा युद्ध (1852) तथा बर्मा व पेगू के निचले हिस्सों पर कब्जा कर लिया गया; सन् 1853 में बेरार का विलय; कुशासन के आरोप में सन् 1856 में अवध पर कब्जा।

लॉर्ड कैनिंग (1856–58)

  • भारत का अंतिम गवर्नर जनरल और प्रथम वायसराय।
  • 1857 का विद्रोह; 1858 का अधिनियम पास किया, जिसके फलस्वरुप ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का अंत हुआ।
  • हड़प नीति को वापस ले लिया गया।

गवर्नर जनरल और वायसराय (1858–1947)

लॉर्ड कैनिंग (1858–62)

  • 1857 के विद्रोह के दौरान वह गवर्नर जनरल थे और युद्ध के बाद उन्हें भारत का पहला वायसराय बनाया गया।
  • 1862 का भारतीय परिषद अधिनियम पारित किया गया जो भारत के संवैधानिक इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ।
  • भारतीय दंड संहिता की आपराधिक प्रक्रिया (1859) पारित की गई।
  • भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम (1861) अधिनियमित किया गया।
  • सन् 1858 में पहली बार आयकर लागू किया गया।
  • सन् 1857 में कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई।

लॉर्ड एल्गिन I (1862–63)

  • वहाबी आंदोलन (पैन-मुस्लिम आंदोलन)।
  • सन् 1862 में कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास में उच्च न्यायालय स्थापित किए गए।

सर जॉन लॉरेंस (1864–69)

  • टेलीग्राफ़िक संचार यूरोप के साथ खोला गया;
  • नहरों और रेलवे कार्य का विस्तार किया गया।
  • भुटान युद्ध (1865)।
  • भारतीय वन संरक्षण का निर्माण किया तथा देशी न्यायिक सेवा को मान्यता दी।
  • इन्होंने कईं सुधार किए और द्वितीय सिक्‍ख युद्ध के बाद पंजाब बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन के सदस्य बन गए।
  • इन्‍हें पंजाब के उद्धारक के तौर पर जाना जाता था।

लॉर्ड मायो (1869–72)

  • भारत में वित्तीय विकेन्द्रीकरण का आरंभ किया।
  • राजकुमारों के लिए काठियावार में राजकोट कॉलेज तथा अजमेर में मायो कॉलेज की स्थापना की।
  • भारत के सांस्कृतिक सर्वेक्षण का आयोजन किया।
  • कृषि और वाणिज्य विभाग की स्थापना की।
  • ये एकमात्र वायसराय थे जिनकी सन् 1872 में अंडमान में पठान अपराधी द्वारा कार्यालय में हत्या कर दी गई।
  • भारत के इतिहास में सन् 1871 में पहली बार जनगणना की गई।

लॉर्ड नॉर्थब्रुक (1872–76)

  • इनकी अवधि के दौरान पंजाब के कुका आंदोलन ने विद्रोही स्वरुप ले लिया।

लॉर्ड लिट्टन (1876–80)

  • सबसे कुख्यात गवर्नर-जनरल, मुफ्त व्यापार पर जोर दिया और ब्रिटिश निर्मित 29 समानों को शुल्क मुक्त कर दिया जिसके परिणामस्वरुप भारत से भारी मात्रा में धन का निष्कासन कर ब्रिटेन ले जाया गया।
  • दिल्ली में दरबार की व्यवस्था (1877 में) की, जब भारत भयंकर अकाल से संघर्ष कर रहा था।
  • रॉयल टाइटल अधिनियम (1876) पास किया गया और रानी विक्टोरिया को कैसर-ए-हिंद घोषित किया गया।
  • शस्त्र अधिनियम (1878) ने भारतीयों को अस्त्र के लिए लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया।
  • कुत्सित वर्नाक्यूलर अधिनियम (1878) पास किया गया।
  • सन् 1878-79 में वैधानिक सिविल सेवा की योजना का प्रस्ताव रखा गया और इसकी अधिकतम आयु सीमा 21 से घटाकर 19 वर्ष कर दी गई।

लॉर्ड रिपन (1880–84) 

  • वर्नाक्यूलर प्रेस अधिनियम, 1882 को निरस्त कर दिया।
  • श्रमिकों की अवस्था में सुधार के लिए प्रथम फैक्टरी अधिनियम 1881
  • सन् 1882 में स्थानीय स्वशासन सरकार का संकल्प।
  • भू-राजस्व नीति का संकल्प।
  • सन् 1882 हंटर कमीशन नियुक्त किया गया (शिक्षा सुधार हेतु)
  • इनके शासन काल में इल्बर्ट विधेयक विवाद उभरा। यूरोपीय अपराधियों की कोशिशों के लिए भारतीय जिला मजिस्ट्रेट को सक्षम बनाया गया, लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया गया।

लॉर्ड डफरिन (1884–88)

  • सन् 1885 में तृतीय बर्मा युद्ध (बर्मा के उपरी और निचले हिस्सों पर कब्जा)।
  • सन् 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना।

लॉर्ड लैंसडाउन (1888–94)

  • द्वितीय फैक्टरी अधिनियम, 1891; शाही, प्रांतीय और अधीनस्थ में सिविल सेवा का वर्गीकरण।
  • भारतीय परिषद अधिनियम 1892 (अप्रत्यक्ष चुनावों का आरंभ)।
  • ब्रिटिश भारत और अफगानिस्तान (1893) के बीच की रेखा को परिभाषित करने के लिए डूरंड कमीशन की नियुक्ति।

लॉर्ड एल्गिन II (1894–99)

  • 1899 का मुंडा विद्रोह (बिरसा मुंडा)।
  • चीन और भारत के बीच की सीमा को विभाजित करते हुए सम्मेलन को स्वीकृति दी गई।
  • 1896–97 का प्रसिद्ध अकाल।
  • अकाल के पश्चात लायला कमीशन की नियुक्ति।
  • सन् 1897 में चापेकर भाईयों द्वारा दो ब्रिटिश अधिकारियों-रैंड एंड एमहर्स्ट की हत्या।

लॉर्ड कर्जन (1899–1905)

  • एंड्रयू फ्रेज़र के अधीन सन् 1902  में पुलिस कमीशन नियुक्त किया गया।
  • विश्वविद्यालय आयोग की स्थापना और तदनुसार 1904 का भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम पारित किया गया।
  • वाणिज्य और उद्योग विभाग की स्थापना।
  • कलकत्ता कॉर्पोरेशन अधिनियम (1899)।
  • भारतीय सिक्का और पेपर मुद्रा अधिनियम (1899 में) पास किया गया और भारत को स्वर्ण मानक पर रखा गया।
  • सन् 1905 में बंगाल विभाजन हुआ।
  • एन.डब्ल्यू.एफ.पी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का निर्माण किया गया।

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लॉर्ड मिंटो II (1905–10)

  • स्वदेशी आंदोलन (1905–08).
  • सन् 1906 में मुस्लिम लीग की स्थापना।
  • सूरत सत्र और कांग्रेस (1907) में विभाजन।
  • समाचार पत्र अधिनियम, 1908।
  • मोर्ले-मिंटो सुधार, 1909।

लॉर्ड हार्डिंग (1910–16)

  • बंगाल के विभाजन का विवाद (1911)।
  • राजधानी का स्थानांतरण, कलकत्ता से दिल्ली (1911)।
  • दिल्ली दरबार और किंग जॉर्ज वी और क्वीन मैरी का राज्याभिषेक (1911)।
  • मदन मोहन मालवीय द्वारा हिंदु महासभा की स्थापना (1915)।

लॉर्ड चेम्सफोर्ड (1916–21)

  • तिलक और एनी बेसेंट (1916) द्वारा होम रुल आंदोलन शुरू किया गया।
  • कांग्रेस और मुस्लिम लीग (1916) के बीच लखनऊ संधि।
  • भारत में गांधी का आगमन (1915)।
  • चंपारण सत्याग्रह (1917)।
  • मोंटेग की अगस्त घोषणा (1917)।
  • खेड़ा सत्याग्रह और अहमदाबाद में सत्याग्रह (1918)।
  • भारत सरकार अधिनियम (1919)।
  • दमनकारी रोलैट एक्ट (1919)।
  • जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919)।
  • खिलाफत आंदोलन (1920–22)।
  • असहयोग आंदोलन (1920–22)।
  • सैडलर आयोग (1917) और भारतीय सर एस. पी. सिन्हा को बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया गया।

लॉर्ड रीडिंग (1921–26)

  • आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम और कपास उत्पादक का उन्मूलन।
  • 1910 के प्रेस अधिनियम और 1919 के रौलेट अधिनियम को निरस्त किया गया।
  • केरल में हिंसक मोपल्ह विद्रोह (1921)।
  • सी.पी.आई की स्थापना (1921)।
  • चौरा चौरी कांड (1922)।
  • स्वराज पार्टी की स्थापना (1923)।
  • काकोरी ट्रेन डकैती (1925)।
  • आर.एस.एस की स्थापना (1925)।
  • स्वामी श्रद्धानंद की हत्या (1926)।
  • असहयोग आंदोलन का दमन किया गया।

लॉर्ड इरविन (1926–31)

  • सन् 1927 में साइमन आयोग की घोषणा।
  • बटलर कमीशन (1927); नेहरू रिपोर्ट (1928)।
  • जिन्ना के 14 बिन्दु (1929); कांग्रेस का लाहौर सेशन तथा पूर्ण स्वराज की घोषणा।
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930)।
  • दांडी यात्रा (1930)।
  • प्रथम गोलमेज सम्मेलन (1930)।
  • गांधी-इरविन संधि (1931)।
  • जतिन दास की शहीदी (भूख हड़ताल)

लॉर्ड विलिंगडन (1931–36)

  • द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (1931)।
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन (1932)।
  • मैकडोनल्ड कम्यूनल आवार्ड की घोषणा (1932)।
  • तृतीय गोलमेज सम्मेलन।
  • कांग्रेस समाजवादी पार्टी-सी.एस.पी की स्थापना (1934)।
  • भारत सरकार अधिनियम (1935)।
  • भारत से बर्मा का पृथक्कीकरण (1935)।
  • अखिल भारतीय किसान सभा (1936)।
  • अम्बेड़कर और गाँधी के बीच पूना की संधि पर हस्ताक्षर किए गए।

लॉर्ड लिनलिथगो (1936–43)

  • प्रथम आम चुनाव (1936–37)।
  • सन् 1937 तथा 1939 में कांग्रेस मंत्रियों का इस्तीफा।
  • सन् 1939 में मुस्लिम लीग द्वारा उद्धार दिवस
  • एस. सी. बोस द्वारा फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना (1939)।
  • लाहौर संकल्प (1940); अगस्त प्रस्ताव (1940); क्रिप्स मिशन (1942); भारत छोड़ो आंदोलन (1942) तथा सन् 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध।

लॉर्ड वावेल (1943–1947)

  • सी. आर. फार्मुला 1944; सन् 1945 में वावेल प्लान और शिमला सम्मेलन।
  • सन् 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति।
  • सन् 1945 में आई.एन.ए का परीक्षण; सन् 1946 में नौसेना विद्रोह।
  • कैबिनट मिशन, 1946 तथा कांग्रेस द्वारा इसके प्रस्तावों को स्वीकार किया गया।
  • 16 अगस्त, 1946 को मुस्लिम लीग द्वारा प्रत्यक्ष कार्य दिवस और संघसभा की पहली बैठक 9 दिसंबर, 1946 को हुई।

लॉर्ड माउंटबेटन (मार्च-अगस्त 1947)

  • 3 जून, 1947 योजना की घोषणा; कॉमन सदन में भारतीय स्वतंत्रता बिल प्रस्तुत किया गया और इसे ब्रिटिश संसद द्वारा 4 जुलाई, 1947 को पारित किया गया।
  • सर सिरिल रेडक्लिफ के तहत 2 सीमा आयोगों की नियुक्ति की गई।

स्वतंत्र भारत के गवर्नर जनरल (1947–50)

लॉर्ड माउंटबेटन (1947–48)

  • स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल; कश्मीर का भारत (अक्टूबर 1947) में विलय किया गया; गांधी की हत्या (30 जनवरी, 1948)।

सी. राजगोपालाचारी (जून 1948–25 जनवरी,  1950)

  • स्वतंत्र भारत के अंतिम गवर्नर जनरल; भारत के एकमात्र गवर्नर जनरल। 

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