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विजयनगर साम्राज्य (Vijayanagara Empire in Hindi)

By BYJU'S Exam Prep

Updated on: September 13th, 2023

विजयनगर साम्राज्य (Vijayanagara Empire)और शहर की स्थापना संगम के पुत्रों हरिहर और बुक्का नामक दो भाइयों ने 1336 ईस्वी में की थी, जो काकतीयों के सामंत थे और बाद में कम्पिली के दरबार में मंत्री बने थे। हरिहर और बुक्का दोनों भाइयों ने अपने गुरु माधव विद्यारण्य और उनके भाई सायण की प्रेरणा से तुंगभद्रा नदी के दक्षिणी तट पर विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की थी। विजयनगर साम्राज्य को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य एक शक्तिशाली हिंदू राज्य की स्थापना करना था।

यहां, हम ‘विजयनगर साम्राज्य’ (Vijayanagara Empire) की पूरी अध्ययन सामग्री प्रदान कर रहे हैं, उम्मीदवार नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करके ‘विजयनगर साम्राज्य’ से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी का पीडीएफ़ हिंदी में डाउनलोड कर सकते हैं।

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विजयनगर साम्राज्य (Vijayanagara Empire)

  • यादव वंश के अंतिम शासक ‘संगम’ के पुत्रों हरिहर और बुक्का दोनों भाइयों ने मिलकर 1336 ईस्वी में तुंगभद्रा नदी के तट पर विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की थी। ये दोनों भाई पहले काकतीय राजवंश में सामंत थे, लेकिन और बाद में कांपिली राज्य में मंत्री बने थे।
  • काम्पिली राज्य के शासक ने मोहम्मद बिन तुगलक के दुश्मन बहाउद्दीन गुरशस्प को शरण दी थी, इस कारण मोहम्मद बिन तुगलक ने कांपिली राज्य पर आक्रमण कर दिया और इस आक्रमण के परिणाम स्वरूप मोहम्मद बिन तुगलक ने हरिहर और बुक्का दोनों भाइयों को गिरफ्तार कर दिल्ली ले गया था।
  • दिल्ली में दोनों भाइयों से इस्लाम धर्म स्वीकार कराया और उन्हें दक्षिण में होयसलों का विद्रोह दबाने के लिए भेज दिया।दक्षिण में आकर इन दोनों भाइयों ने गुरु माधव विद्यारण्य के सानिध्य में इस्लाम धर्म का परित्याग कर दिया और शुद्धि प्रक्रिया के माध्यम से पुनः हिंदू धर्म अपना लिया था। तथा गुरु माधव विद्यारण्य और उनके भाई सायण की प्रेरणा से तुंगभद्रा नदी के दक्षिणी तट पर एक विशाल हिन्दू साम्राज्य विजयनगर की नीव रखी थी।
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विजयनगर साम्राज्य (1336 – 1649 ईस्वी) में चार वंश हुए जिनका विस्तृत विवरण इस प्रकार है:
1.संगम वंश (1336 – 1485 ईस्वी)
2.सुलुव वंश (1485 – 1505 ईस्वी)
3.तुलुव वंश (1505 – 1570 ईस्वी)
4.अराविदु वंश (1570 – 1649 ईस्वी)

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1. संगम राजवंश

वर्ष

शासक

महत्ता

1336 – 1356

हरिहर I

विजयनगर साम्राज्य की नींव रखी

1356 –1379

बुक्का I

विद्यानगर शहर को ओर शक्तिशाली बनाया एवं इसका नाम परिवर्तित करके विजयनगर रखा

1379 – 1404

हरिहर II

बुक्का I का पुत्र

1406 – 1422

देव राय I

1) तुंगभद्रा के आर-पार एक बाँध का निर्माण किया

2) निकोलो डे कोंटी (Nicolo de Conti) ने विजयनगर का भ्रमण किया

3) सेना में मुस्लिम घुड़सवार एवं धनुर्धारियों का प्रेरण आरम्भ हो गया

1423 – 1446

देव राय II

1) उन्हें प्रौढ़ (praudh) देव राय कहा जाता था

2) उनके शिलालेखों को गजेबतेकारा (Gajabetekara) शीर्षक दिया गया

3) राजसभा के कवि दिन्दिमा (Dindima)  थे

4) पारसी यात्री, शारुख के राजदूत अब्दुर रज्जाक ने विजयनगर का भ्रमण किया।

2. सुलुव राजवंश

वर्ष

शासक

महत्ता

1486 – 1491

सुलुवा नरसिम्‍हा

सुलुवा राजवंश के प्रवर्तक

1491

तिरुमल नरसिम्‍हा

नारासा नायक के शासनकाल के दौरान नाबालिग/अवयस्क  

1491 – 1505

इम्मादी नरसिम्‍हा

उनके शासनकाल के दौरान वास्को-डी-गामा कालीकट (calicut) में उतरे

3. तुलुव राजवंश

वर्ष

शासक

महत्ता

1505 – 1509

वीर नरसिम्‍हा

नारासा नायक का पुत्र, इम्मादी नरसिम्‍हा की हत्या के बाद राजा बन गया

1509 – 1529

कृष्ण देव राय

1)      उन्होंने आंतरिक-नियमों की पुनर्स्थापना की और विजयनगर के प्राचीन इलाकों में सुधार किया जिन पर अन्य शक्तियों द्वारा हमला किया गया था

2)      स्थापत्य: उन्होंने विजयमहल, विट्ठल स्वामी मंदिर एवं हजारा महल का निर्माण किया।

3)      विदेशी यात्री: ड्यूआर्टे बारबोसा (Duarte Barbosa) एवं डोमिनीगोपेस (DominigoPaes) वे पुर्तगाली थे जिन्होंने विजयनगर साम्राज्य का भ्रमण किया

4)      अष्टदिग्गज: पेद्दना, तिम्माया, भट्टमूर्ति, धुर्जती, मल्लान, राजू रामचंद्र, सुरोना एवं तेनाली रामकृष्ण

5)      उन्होंने पुर्तगाली राज्यपाल अनबुक्‍यूरकी (Albuquerque) के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध बनाए रखे

6)      उन्हें यवनराजा स्थापनाचार्यअभिनव भोजआंध्र पितामह इत्यादि शीर्षक दिए गए

7)      साहित्य: उन्होंने अमुक्तामलायदाराजनीती पर तेलुगु कार्य एवं जाम्बवती कल्याण संस्कृत नाट्य की रचना की

1529 – 1542

अचुत्य देव राय

फरनाओ नुनिज, एक पुर्तगाली अश्व व्यापारी ने विजयनगर का भ्रमण किया

1542

वेंकट I

राम राजा ने वास्तविक शक्ति का प्रयोग किया

1543 – 1576

सदाशिव राय

तालीकोटा का युद्ध 1565 में लड़ा गया जिसमें बहमनी साम्राज्य के पांच साम्राज्य विजयनगर के विरुद्ध लड़े और विजयनगर को कुचल कर परास्त कर, राम राजा को अंजाम दिया और शहर को लूटकर इसका पूर्ण रूप से विनाश कर दिया।

सीजर फ्रेडरिक (Caesar Frederick), एक पुर्तगाली यात्री ने विजयनगर का भ्रमण किया

4. अराविडु वंश

अराविदु वंश की स्थापना 1570 ईस्वी में तिरुमल नामक व्यक्ति द्वारा की गई थी। वेंकट द्वितीय इस वंश का एक प्रमुख शासक था, जिसने अपनी राजधानी चंद्रगिरी में स्थानांतरित की थी। यह वंश विजयनगर साम्राज्य का अंतिम वंश था। इसके बाद विजयनगर साम्राज्य पूर्ण रूप से समाप्त हो गया था।

विजयनगर साम्राज्य : शासन प्रबंधन

  • प्रादेशिक विभाजन
    1. राज्य या मंडलम – प्रांत
    2. नाडू – जिला
    3. स्थल – उप-जिला
    4. ग्राम – गाँव
  • वंशानुगत नायकशिप के विकास के कारण चोल के गाँव का स्व-सरकारी नियम काफी कमजोर हो गया।
  • गाँव के मामलों का संचालन करने हेतु अयंगर प्रणाली नामक 12 कार्यकर्ताओं का एक समूह विकसित किया गया।
  • पगोड़ास /वराहस – विजयनगर में जारी किए गए स्वर्ण सिक्के
  • विजयनगर एक केंद्रीकृत साम्राज्य की बजाय एक संघाध्यक्ष था जिसमें स्थानीय गवर्नर के पास पर्याप्त स्वायत्तता थी।
  • अमराम – स्थायी राजस्व वाले इलाकों को सैन्य प्रमुखों को दिया गया जिसे  पलैयागर (Palaiyagar) या नायक (Nayaks) कहा जाता था और उन्हें राज्य की सेवा हेतु निश्चित संख्या में घोड़े, हाथी एवं पदयात्री सिपाही रखने होते थे।
  • शहरी जीवन विशेष रूप से मंदिरों के आस-पास विकसित हुआ।

विजयनगर साम्राज्य : मंदिर स्थापत्य

  • उनके मंदिर स्थापत्यों में चालुक्यों, होयसाला, पंड्या एवं चोल शैली का एक जीवंत संयोजन था।
  • प्रोविदा शैली को विजयनगर में विकसित किया गया जिसमें बड़ी संख्या में स्तम्भ एवं घाट थे। उठते हुए मंचों के साथ मंदिरों में अम्‍मान तीर्थस्थल सहित मंडप बनाए गए।
  • विजयनगर के मंदिरों की दीवारों पर रामायण एवं महाभारत की कथाएँ लिखी हुई थी।
  • महत्वपूर्ण मंदिर निम्‍न हैं :
    1. विट्ठलस्वामी एवं हजारा राम मंदिर – हम्पी
    2. तदापत्री एवं पार्वती मंदिर – चिदम्बरम
    3. वरदराजा एवं एकम्बर्नाथ मंदिर – कांचीपुरम

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