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यूपीएससी (UPSC) के लिए वैकल्पिक विषय अर्थशास्त्र (Economics) का पाठ्यक्रम:- पाठ्यक्रम की पीडीएफ डाउनलोड करें

By Balaji

Updated on: February 17th, 2023

यूपीएससी में अर्थशास्त्र विषय का प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। साथ ही, यह यूपीएससी के वैकल्पिक विषयों की सूची में से भी एक विषय है। अर्थशास्त्र विषय का पाठ्यक्रम मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन पेपर-3 में भी देखा जा सकता है। अर्थशास्त्र यूपीएससी की परीक्षा के सभी स्तरों में सम्मिलित किया गया है। यह अभ्यर्थियों के बीच वैकल्पिक विषय के रूप में भी काफी लोकप्रिय है। अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम में पूछे जाने वाले प्रश्न हाल की गतिविधियों, व्यापार, कृषि और परिवहन आदि विषयों पर आधारित होते है।

यूपीएससी अर्थशास्त्र (Economics) वैकल्पिक विषय के पाठ्यक्रम में बहुत से ऐसे टॉपिक शामिल किए गए है जिनसे अभ्यर्थियों का परिचय भारतीय अर्थव्यवस्था और उसके विकास से संबंधित टॉपिक या उप-विषयों से होता है। अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम के विषयों से संबंधित प्रश्न यूपीएससी के साक्षात्कार में भी पूछे जाते है।

Table of content

(more)
  • 1. यूपीएससी के लिए अर्थशास्त्र (Economics) का पाठ्यक्रम (more)
  • 2. यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी के लिए अर्थशास्त्र (Economics) का पाठ्यक्रम (more)
  • 3. यूपीएससी मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए अर्थशास्त्र का पाठ्यक्रम (more)
  • 4. यूपीएससी वैकल्पिक विषय के लिए अर्थशास्त्र का पाठ्यक्रम (more)
  • 5. यूपीएससी वैकल्पिक विषय के लिए अर्थशास्त्र के पाठ्यक्रम की पीडीएफ (more)
  • 6. यूपीएससी वैकल्पिक विषय अर्थशास्त्र (Economics) पेपर 1 (more)
  • 7. यूपीएससी वैकल्पिक विषय अर्थशास्त्र (Economics) पेपर 2 (more)
  • 8. यूपीएससी के लिए अर्थशास्त्र (Economics) विषय की तैयारी की रणनीति (more)
  • 9. यूपीएससी वैकल्पिक विषय अर्थशास्त्र के पाठ्यक्रम के लिए पुस्तकों की सूची (more)

यूपीएससी के लिए अर्थशास्त्र (Economics) का पाठ्यक्रम

यूपीएससी के लिए अर्थशास्त्र का पाठ्यक्रम यूपीएससी की चयन प्रक्रिया का एक बड़ा एवं महत्वपूर्ण भाग है। इस विषय से संबंधित प्रश्न परीक्षा के हर चरण में पूछे जाते है; जैसे वैकल्पिक विषय का पेपर 1 और पेपर 2; प्रत्येक पेपर 250 अंक का होता है अथार्त कुल मिलाकर 500 अंक वैकल्पिक विषय के लिए निर्धारित हैं।

अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम के विषयों को कला एवं विज्ञान दोनों तरह के अभ्यर्थी सरलता से तैयार कर सकते है। अत: इसके लचीलेपन और अधिक सफलता की दर के कारण पिछले कुछ वर्षों में अधिक अभ्यर्थी यह विषय चुन रहे है। चलिए हम यूपीएससी के लिए अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम के कुछ विषयों का विवेचन करते है जो परीक्षा के सभी चरणों में अति महत्वपूर्ण है।

यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी के लिए अर्थशास्त्र (Economics) का पाठ्यक्रम

यूपीएससी के लिए अर्थशास्त्र के पाठ्यक्रम में अर्थशास्त्र, सामाजिक विकास, गरीबी, दीर्घकालीन विकास, जनसंख्या से संबंधित विषय, गरीबी, सामाजिक क्षेत्र में किए गए कार्य आदि विषय सम्मिलित किए गए है। प्रारंभिक परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों का स्तर सामान्य से कठिन होता है। यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी के लिए अर्थशास्त्र के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किए जाने वाले प्रमुख विषयों पर एक नजर डालते है।

यूपीएससी प्रारम्भिक परीक्षा की तैयारी के लिए अर्थशास्त्र का पाठ्यक्रम (महत्वपूर्ण टॉपिक)

  • आर्थिक वृद्धि और विकास
  • गरीबी
  • जनसंख्या से संबंधित विषय
  • राजकोषीय नीति
  • सामाजिक मुद्दे
  • उपर्युक्त विषयों से संबंधित समाचार

यूपीएससी मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए अर्थशास्त्र का पाठ्यक्रम

यूपीएससी की मुख्य परीक्षा में अर्थशास्त्र के पाठ्यक्रम में सामान्य अध्ययन पेपर III सम्मिलित है। इस पाठ्यक्रम में आर्थिक विकास, समावेशी वृद्धि, बजट तैयार करना, भू-सुधार, उदारीकरण के प्रभाव, भारतीय अर्थव्यवस्था तथा विकास और रोजगार से संबंधित विषय सम्मिलित होते है। यूपीएससी मुख्य परीक्षा से अर्थशास्त्र के पाठ्यक्रम में ये विषय शामिल करने से उम्मीदवारों को अच्छे अंक प्राप्त करने में मदद मिलती है और इस परीक्षा में अर्हता प्राप्त करने के अवसर ज्यादा हो जाते है। नीचे हम कुछ पुस्तकों की सूची दे रहे है जिनकी सहायता से यूपीएससी की मुख्य परीक्षा की तैयारी में आपको मदद मिलेगी।

यूपीएससी वैकल्पिक विषय के लिए अर्थशास्त्र का पाठ्यक्रम

यूपीएससी की प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा दोनों के अर्थशास्त्र विषय का पाठ्यक्रम, अर्थशास्त्र को वैकल्पिक विषय के रूप में तैयार करने पर कवर हो जाता है। साथ ही, जिन अभ्यर्थियों ने अपने स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर अर्थशास्त्र एक विषय के रूप में पढ़ा है, उनके लिए यह और भी आसान हो जाता है। इसके अतिरिक्त, अर्थशास्त्र, व्यापार अनुपालन और वित्त प्रबंधक भी अर्थशास्त्र का चयन एक वैकल्पिक विषय के रूप में करते है।

यूपीएससी वैकल्पिक विषय के पाठ्यक्रम में दो पेपर होते है, और उनमें से प्रत्येक पेपर 250 अंकों का होता है। इसीलिए यूपीएससी परीक्षा में वैकल्पिक विषय में प्राप्त अंक चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। नीचे यूपीएससी वैकल्पिक विषय के चयन हेतु अर्थशास्त्र के पाठ्यक्रम का खंडवार विवरण दिया गया है।

यूपीएससी के लिए अर्थशास्त्र विषय का पाठ्यक्रम विषय अंक
वैकल्पिक विषय- अर्थशास्त्र पेपर 1 उच्च व्यष्टि अर्थशास्त्र

उच्च समष्टि अर्थशास्त्र

मुद्रा-बैंकिंग और वित्त

अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र

वृद्धि और विकास

250
वैकल्पिक विषय- अर्थशास्त्र पेपर 2 उदारीकरण से पहले का युग

उदारीकरण के बाद का युग

250

यूपीएससी वैकल्पिक विषय के लिए अर्थशास्त्र के पाठ्यक्रम की पीडीएफ

अभ्यर्थी नीचे दिए गए लिंक से सीधे ही यूपीएससी के लिए अर्थशास्त्र विषय का पाठ्यक्रम डाउनलोड कर सकते है। वे पाठ्यक्रम में दिए गए विषयों की समझ से पेपर 1 और पेपर 2 , दोनों, में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए योजना तैयार कर सकते है।

यूपीएससी वैकल्पिक विषय अर्थशास्त्र (Economics) पेपर 1

अर्थशास्त्र के वैकल्पिक विषय पेपर 1 के पाठ्यक्रम को 5 टॉपिक/ विषयों में बाँटा गया है। उन विषयों को आगे उप विषयों में विभाजित किया गया है।

अर्थशास्त्र (Economics) – पेपर 1

  • उन्नत व्यष्टि अर्थशास्त्र

(क) कीमत निर्धरण के मार्शलियन एवं वालरासियम उपागम ।

(ख) वैकल्पिक वितरण सिद्दांत: रिकार्डों, काल्डोर, कलीकी ।

(ग) बाजार संरचना: एकाधिकारी प्रतियोगिता, द्विअधिकार, अल्पाधिकार ।

(घ) आधुनिक कल्याण मानदंड: परेटी हिक्स एवं सितोवस्की, ऐरो का असंभावना प्रमेय, ए. के. सेन का सामाजिक कल्याण फलन ।

  • उच्च समष्टि अर्थशास्त्र

नियोजन आय एवं ब्याज दर निर्धरण के उपागम: क्लासिकी,कीन्स (IS-LM) वक, नवक्लासिकी संश्लेषण एवं नया क्लासिकी, ब्याज दर निर्धरण एवं ब्याज दर संरचना के सिद्दांत ।

  • मुद्रा बैंकिंग और वित्त

(क) मुद्रा की मांग और पूर्णतः मुद्रा का मुद्रा गुणक मात्रा सिद्दांत (फिशर, पीक एवं प्रफाइडमैन) तथा कीन का मुद्रा के लिए मांग का सिद्दांत, बंद और खुली अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रा प्रबंधन के लक्ष्य एवं साधन । केन्द्रीय बैंक और खजाने के बीच संबंध । मुद्रा की वृद्दि दर पर उच्चतम सीमा का प्रस्ताव ।

(ख) लोक वित्त और बाजार अर्थव्यवस्था में इसकी भूमिका: पूर्णतः के स्थिरीकरण में, संसाधनों का विनिधन और वितरण और संवृद्दि । सरकारी राजस्व के स्रोत, करों एवं उपदानों के रूप, उनका भार एवं प्रभाव । कराधन की सीमाएं, ऋण, क्राउडिंग आउट प्रभाव एवं ऋण लेने की सीमाएं । लोक व्यय एवं इसके प्रभाव ।

  • अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र

(क) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के पुराने और नए सिद्दांत:

(I) तुलनात्मक लाभ,

(II) व्यापार शर्तें एवं प्रस्ताव वक्र,

(III) उत्पाद चक्र एवं निर्णायक व्यापार सिद्दांत,

(IV) ‘‘व्यापार, संवृद्दि के चालक के रूप में’’ और खुली अर्थव्यवस्था में अवविकास के सिद्दांत ।

(ख) संरक्षण के स्वरूप: टैरिफ एवं कोटा ।

(ग) भुगतान शेष समायोजन: वैकल्पिक उपागम:

(I) कीमत बनाम आय, नियत विनिमय दर के अधीन आय के समायोजन ।

(II) मिश्रित नीति के सिद्दांत ।

(III) पूंजी चलिष्णुता के अधीन विनिमय दर समायोजन ।

(IV) विकासशील देशों के लिए तिरती दरें और उनकी विवक्षा, मुद्रा (करेंसी) बोर्ड ।

(V) व्यापार नीति एवं विकासशील देश ।

(VI) BOP खुली अर्थव्यवस्था समष्टि माॅडल में समायोजन तथा नीति समन्वय ।

(VII) सट्टा ।

(VIII) व्यापार गुट एवं मौद्रिक संघ ।

(IX) विश्व व्यापार संगठन (WTO) : TRIM, TRIPS घरेलू उपाय WTO बातचीत के विभिन्न चक्र ।

  • संवृद्दि एवं विकास

(क) (I) संवृद्दि के सिद्दांत: हैरड का माॅडल ।

(II) अधिशेष श्रमिक के साथ विकास का ल्यूइस माॅडल ।

(III) संतुलित एवं असंतुलित संवृद्दि ।

(IV) मानव पूंजी एवं आर्थिक वृद्दि ।

(ख) कम विकसित देशों का आर्थिक विकास का प्रक्रम: आर्थिक विकास एवं संरचना परिवर्तन के विषय में मिर्डल एवं कुजमेंटस: कम विकसित देशों के आर्थिक विकास में कृषि की भूमिका ।

(ग) आर्थिक विकास तथा अंतर्राष्ट्रीय एवं निवेश, बहुराष्ट्रीयों की भूमिका ।

(घ) आयोजना एवं आर्थिक विकास: बाजार की बदलती भूमिका एवं आयोजना, निजी-सरकारी साझेदारी ।

(ङ) कल्याण संकेतक एवं वृद्दि के माप-मानव विकास के सूचक । आधारभूत आवश्यकताओं का उपागम ।

(च) विकास एवं पर्यावरणी धारणीयता-पुनर्नवीकरणीय एवं अपुनर्नवीकरणीय संसाधन, पर्यावरणी अपकर्ष अंतर-पीढ़ी इक्विटी विकास ।

यूपीएससी वैकल्पिक विषय अर्थशास्त्र (Economics) पेपर 2

अर्थशास्त्र के वैकल्पिक विषय पेपर 2 में उदारीकरण से पहले का युग और उदारीकरण के बाद का युग मुख्य टॉपिक के रूप में सम्मिलित है।

पेपर II

  • स्वतंत्रता पूर्व युग में भारतीय अर्थव्यवस्था

भूमि प्रणाली एवं इसके परिवर्तन, कृषि का वाणिज्यिीकरण, अपवहन सिद्दांत, अबंधता सिद्दांत एवं समालोचना । निर्माण एवं परिवहन: जूट कपास, रेलवे, मुद्रा एवं साख ।

  • स्वतंत्रता के पश्चात् भारतीय अर्थव्यवस्था

(क) उदारीकरण के पूर्व का युग

(I) वकील, गाइगिल एवं वी. के. आर. वी. राव के योगदान ।

(II) कृषि: भूमि सुधर एवं भूमि पट्टा प्रणाली, हरित क्रांति एवं कृषि में पूंजी निर्माण ।

(III) संघटन एवं संवृद्दि में व्यापार प्रवृत्तियां, सरकारी एवं निजी क्षेत्रों की भूमिका, लघु एवं कुटीर उद्योग ।

(IV) राष्ट्रीय एवं प्रतिव्यक्ति आय: स्वरूप, प्रवृत्तियां, सकल एवं क्षेत्राीय संघटन तथा उनमें परिवर्तन ।

(V) राष्ट्रीय आय एवं वितरण को निर्धरित करने वाले स्थूल कारक, गरीबी के माप, गरीबी एवं असमानता में प्रवृत्तियां ।

ख. उदारीकरण के पश्चात् का युग

(I) नया आर्थिक सुधर एवं कृषि: कृषि एवं WTO, खाद्य प्रसंस्करण, उपदान, कृषि कीमतें एवं जन वितरण प्रणाली, कृषि संवृद्दि पर लोक व्यय का समाघात ।

(II) नई आर्थिक नीति एवं उद्योग: औद्योगिकीरण निजीकरण,विनिवेश की कार्य नीति, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश तथा बहुराष्ट्रीयों की भूमिका ।

(III) नई आर्थिक नीति एवं व्यापार: बौद्धिक संपदा अध्किार:TRIPS, TRIMS, GATS तथा NEW EXIM नीति की विवक्षाएं ।

(IV) नई विनिमय दर व्यवस्था: आंशिक एवं पूर्ण परिवर्तनीयता ।

(V) नई आर्थिक नीति एवं लोक वित्त: राजकोषीय उत्तरदायित्व अधिनियम, बारहवां वित्त आयोग एवं राजकोषीय संघवाद तथा राजकोषी समेकन ।

(VI) नई आर्थिक नीति एवं मौद्रिक प्रणाली: नई व्यवस्था में RBI की भूमिका ।

(VII) आयोजना: केन्द्रीय आयोजना से सांकेतिक आयोजना तक, विकेन्द्रीकृत आयोजना और संवृद्धि हेतु बाजार एवं आयोजना के बीच संबंध: 73वां एवं 74वां संविधन संशोधन ।

(VIII) नई आर्थिक नीति एवं रोजगार: रोजगार एवं गरीबी,ग्रामीण मजदूरी, रोजगार सृजन, गरीबी उन्मूलन योजनाएं, नई ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ।

यूपीएससी के लिए अर्थशास्त्र (Economics) विषय की तैयारी की रणनीति

अभ्यर्थियों को यूपीएससी के अर्थशास्त्र के पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए सशक्त रणनीति बनाने की आवश्यकता है क्योंकि यूपीएससी के अर्थशास्त्र खंड के प्रश्न अधिक कठिन प्रवृत्ति के होते हैं, जिसमें अवधारणात्मक समझ का परीक्षण किया जाता है।

यूपीएससी के अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम की तैयारी के लिए नीति (प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा) अभ्यर्थियों को यूपीएससी के लिए अर्थशास्त्र के पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाई करनी चाहिए। इस तरह वे अनावश्यक विषय छोड़ सकते है।

वर्तमान घटनाओं की अद्यतन जानकारी बहुत आवश्यक है।

उन्हें विगत वर्षों के प्रश्न पत्र भी देखने चाहिए।

विषय पर अपनी पकड़ बनाने के लिए अभ्यर्थियों को ज्यादा से ज्यादा (mock test) करने चाहिए।

यूपीएससी के लिए अर्थशास्त्र के वैकल्पिक विषय का पाठ्यक्रम- तैयारी के लिए नीति एनसीइआरटी से शुरू करें और यूपीएससी के अर्थशास्त्र के वैकल्पिक विषयों को अच्छी तरह समझें।

इग्नू और एनआइओएस के नोट्स के मुख्य मुद्दों को समझें।

सभी मूल और उच्च पुस्तकों को पढ़ें।

यह सुनिश्चित करें कि आप पिछले साल के सभी प्रश्नों के उत्तर दे सकते है। mock test भी लें।

यूपीएससी वैकल्पिक विषय अर्थशास्त्र के पाठ्यक्रम के लिए पुस्तकों की सूची

नीचे कुछ पुस्तकों के नाम दिए गए है जिन्हें पढ़ कर अभ्यर्थी वैकल्पिक विषय का पाठ्यक्रम पूरा कवर कर सकते है।

  • एनसीइआरटी (कक्षा X, XI, XII)
  • भारतीय अर्थव्यवस्था -लेखक रमेश सिंह
  • भारतीय अर्थव्यवस्था- उमा कपिला द्वारा निष्पादन और नीतियां
  • भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रमुख अवधारणा- लेखक संकरगणेश करूपीआ
  • एनआइओएस और इग्नू के नोट्स

इन पुस्तकों के अतिरिक्त अभ्यर्थियों को और भी अध्ययन करना चाहिए; जैसे; द हिन्दू और इकनामिक्स टाइम्स समाचार पत्र, कुरुक्षेत्र, योजना और इंडिया ईयर बुक जैसे प्रकाशनों का भी अध्ययन करना चाहिए।

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