यूपीएससी (UPSC) के लिए भूगोल (Geography) विषय का पाठ्यक्रम: पाठ्यक्रम का पीडीएफ डाउनलोड करें
By Balaji
Updated on: February 17th, 2023
यूपीएससी के लिए भूगोल विषय का पाठ्यक्रम, प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा की तैयारी का महत्वपूर्ण भाग है। साथ ही, यह यूपीएससी पाठ्यक्रम का एक वैकल्पिक विषय भी है। इसीलिए यह यूपीएससी की मुख्य परीक्षा के लिए सबसे अधिक लोकप्रिय विषय है। यूपीएससी के लिए भूगोल पाठ्यक्रम में पूछे जाने वाले प्रश्न मानव जीवन के अस्तित्व और उन सिद्धांतों से संबंधित होते है जो उनके लिए सहायक होने के साथ-साथ सहायक नहीं भी है। अत: यूपीएससी की दृष्टि से भूगोल का वैकल्पिक विषय के रूप में पाठ्यक्रम अभ्यर्थियों की सफलता हेतु उपयोगी हो सकता है, क्योंकि इससे वे अपेक्षित सिद्धांत सीख कर वैकल्पिक विषय एवं मुख्य परीक्षा में बेहतर अंक प्राप्त कर सकते हैं।
यूपीएससी के लिए भूगोल के वैकल्पिक विषय के पाठ्यक्रम को कई छोटे-छोटे उप-विषयों में विभाजित किया गया है; जैसे भारत का भूगोल, विश्व का भूगोल, भौतिक भूगोल और मानव भूगोल। नीचे भूगोल विषय से संबंधित यूपीएससी की प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा और वैकल्पिक विषय की तैयारी के लिए विस्तृत पाठ्यक्रम दिया गया है।
Table of content
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1. यूपीएससी के लिए भूगोल का पाठ्यक्रम
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2. यूपीएससी (UPSC) के लिए भूगोल विषय का पाठ्यक्रम – प्रारम्भिक परीक्षा की तैयारी
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3. यूपीएससी मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए भूगोल का पाठ्यक्रम
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4. यूपीएससी भूगोल (Geography) वैकल्पिक विषय का पाठ्यक्रम
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5. यूपीएससी भूगोल वैकल्पिक विषय का पाठ्यक्रम- पीडीएफ डाउनलोड करें
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6. यूपीएससी भूगोल वैकल्पिक विषय का पाठ्यक्रम पेपर 1
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7. यूपीएससी भूगोल विषय का पाठ्यक्रम – तैयारी की योजना
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8. यूपीएससी के लिए भूगोल विषय का पाठ्यक्रम – पुस्तकों की सूची
यूपीएससी के लिए भूगोल का पाठ्यक्रम
यूपीएससी भूगोल वैकल्पिक विषय के पाठ्यक्रम में दो पेपर होते है- पेपर 1 और पेपर 2 । प्रत्येक वैकल्पिक विषय की तरह हर पेपर 250 अंक का होता है; अर्थात कुल 500 अंक। जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि भूगोल का पाठ्यक्रम यूपीएससी की प्रारम्भिक और मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन (GS) 1 का एक भाग भी होता है।
अत: जिन अभ्यर्थियों ने भूगोल एक वैकल्पिक विषय के रूप में चुना है, उन्हें यूपीएससी की प्रारम्भिक परीक्षा की तैयारी और मुख्य परीक्षा, दोनों में इसका लाभ मिलेगा। नीचे दी गई तालिका में भूगोल के पाठ्यक्रम का स्वरूप दिया गया है.
यूपीएससी के लिए भूगोल विषय का पाठ्यक्रम – प्रारम्भिक परीक्षा | भारत का भूगोल
भौतिक भूगोल मानव भूगोल |
यूपीएससी के लिए भूगोल विषय का पाठ्यक्रम – मुख्य परीक्षा | प्रमुख प्राकृतिक संसाधनों का वितरण
भौगोलिक रूप विश्व के भौतिक भूगोल की प्रमुख विशेषताएं |
यूपीएससी भूगोल वैकल्पिक विषय का पाठ्यक्रम | भौतिक भूगोल
मानव भूगोल भारत का भूगोल |
यूपीएससी (UPSC) के लिए भूगोल विषय का पाठ्यक्रम – प्रारम्भिक परीक्षा की तैयारी
जैसा कि आप ऊपर दी गई तालिका में देख सकते है यूपीएससी भूगोल वैकल्पिक विषय के पाठ्यक्रम के अधिकांश विषय वही है, जो यूपीएससी प्रारम्भिक परीक्षा की तैयारी के पाठ्यक्रम में है। यही कारण है कि अधिकांश अभ्यर्थी यूपीएससी के लिए भूगोल पाठ्यक्रम के साथ यूपीएससी के प्रारम्भिक पाठ्यक्रम का अध्ययन भी करते है। भूगोल की प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न सामान्य से कठिन स्वरूप के होते है। नीचे यूपीएससी के लिए प्रारम्भिक परीक्षा की तैयारी के लिए पाठ्यक्रम और उनके उप विषय दिए गए है।
- भौतिक भूगोल – भू-आकृतिक भूगोल
- भारत का भूगोल- भारत का भौतिक भूगोल, नदियां, जलवायु, भारत की कृषि प्राकृतिक उपज और जीव जन्तु, खनिज पदार्थ और उद्योग
- विश्व का भूगोल – प्रमुख प्राकृतिक क्षेत्र, विकसित और विकासशील देशों का क्षेत्रीय भूगोल
- मानव भूगोल – मनुष्य और पर्यावरण तथा उनका आपसी संबंध और वृद्धि तथा विकास, जनसंख्या, जनजातियाँ, प्रवास, आर्थिक गतिविधियां- कृषि, उत्पादन, उद्योग, तृतीयक गतिविधियां, शहरीकरण।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए भूगोल का पाठ्यक्रम
यूपीएससी मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन 1 के लिए भूगोल विषय के पाठ्यक्रम में सम्मिलित विषय: प्रमुख प्राकृतिक संसाधनों का वितरण, भौगोलिक स्वरूप, और विश्व के भौतिक भूगोल की प्रमुख विशेषताएं। जिन अभ्यर्थियों ने भूगोल एक वैकल्पिक विषय के रूप में लिया है, वे यूपीएससी के लिए भूगोल वैकल्पिक विषय के पाठ्यक्रम के अंतर्गत इन विषयों को कवर कर सकते है। साथ ही, पूरा UPSC mains syllabus भी देखें।
यूपीएससी भूगोल (Geography) वैकल्पिक विषय का पाठ्यक्रम
यूपीएससी भूगोल वैकल्पिक विषय के पाठ्यक्रम में अच्छे अंक प्राप्त करने की क्षमता के कारण यह विषय आर्ट्स और विज्ञान, दोनों तरह के छात्रों के बीच लोकप्रिय है। यूपीएससी परीक्षा में भूगोल वैकल्पिक विषय की संरचना समझना आवश्यक है।
यूपीएससी के लिए भूगोल वैकल्पिक विषय का पाठ्यक्रम | विषय | अंक |
वैकल्पिक विषय पेपर 1 | भौतिक भूगोल और मानव भूगोल | 250 |
वैकल्पिक विषय पेपर 2 | भारत का भूगोल | 250 |
यूपीएससी भूगोल वैकल्पिक विषय का पाठ्यक्रम- पीडीएफ डाउनलोड करें
यूपीएससी के लिए वैकल्पिक विषय भूगोल का पाठ्यक्रम यूपीएससी की आधिकारिक वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है। तथापि, इस प्रक्रिया को आसान बनाने के किए नीचे लिंक दिए गए है.
यूपीएससी भूगोल वैकल्पिक विषय का पाठ्यक्रम पेपर 1
यूपीएससी के लिए भूगोल वैकल्पिक विषय के पाठ्यक्रम के पेपर 1 में भौतिक भूगोल और मानव भूगोल सम्मिलित है। पेपर 1 के लिए कुल अंक 250 है।
भूगोल – पेपर 1 – भूगोल के सिद्धांत
भौतिक भूगोल:
- भू-आकृति विज्ञान: भू-आकृति विकास के नियंत्रक कारक; अंतर्जात एवं बहिर्जात बल; भूपर्पटी का उद्गम एवं विकास; भू-चुंबकत्व के मूल सिद्धांत; पृथ्वी के अंतरंग की प्राकृतिक दशाएं; भू-अभिनति; महाद्वीपीय विस्थापन; समस्थिति; प्लेट विवर्तनिकी; पर्वतोत्पति के संबंध में अभिनव विचार; ज्वालामुखीयता; भूकंप एवं सुनामी; भू-आकृतिक चक्र एवं दृश्यभूमि विकास की संकल्पनाएं; अनाच्छादन कालानुक्रम; जलमार्ग आकृति विज्ञान; अपरदन पृष्ठ; प्रवणता विकास; अनुप्रयुक्त भू-आकृति विज्ञान, भूजलविज्ञान, आर्थिक भू-विज्ञान एवं पर्यावरण ।
- जलवायु विज्ञान: विश्व के ताप एवं दाब कटिबंध; पृथ्वी का तापीय बजट; वायुमंडल परिसंचरण, वायुमंडल स्थिरता एवं अनस्थिरता । भूमंडलीय एवं स्थानीय पवन; मानसून एवं जेट प्रवाह; वायु राशि एवं वाताप्रजनन; शीतोष्ण एवं उष्ण- कटिबंधीय चक्रवात; वर्षण के प्रकार एवं वितरण; मौसम एवं जलवायु; कोपेन, थाॅर्नवेट एवं त्रोवार्ध का विश्व जलवायु वर्गीकरण; जलीय चक्र; वैश्विक जलवायु परिवर्तन एवं जलवायु परिवर्तन में मानव की भूमिका एवं अनुक्रिया, अनुप्रयुक्त जलवायु विज्ञान एवं नगरी जलवायु ।
- समुद्र विज्ञान: अटलांटिक, हिंद एवं प्रशांत महासागरों की तलीय स्थलाकृति; महासागरों का ताप एवं लवणता; ऊष्मा एवं लवण बजट, महासागरी निक्षेप; तरंग, धराएं एवं ज्वार-भाटा; समुद्री संसाधन: जीवीय, खनिज एवं ऊर्जा संसाधन; प्रवाल मित्तियां; प्रवाल रिंजन; समुद्र तल परिवर्तन; समुद्र नियम एवंसमुद्री प्रदूषण ।
- जैव भूगोल: मृदाओं की उत्पत्ति; मृदाओं का वर्गीकरण एवं वितरण; मृदा परिच्छेदिका; मृदा अपरदन; न्यूनीकरण एवं संरक्षण; पादप एवं जंतुओं के वैश्विक वितरण को प्रभावित करने वाले कारक; वन अपरोपण की समस्याएं एवं सरंक्षण के उपाय; सामाजिक वानिकी; कृषि वानिकी; वन्य जीवन; प्रमुख जीन पूल केंद्र ।
- पर्यावरण संबंधी भूगोल: पारिस्थितिकी के सिद्धांत; मानव पारिस्थितिक अनुकूलन; पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण पर मानव का प्रभाव; वैश्विक एवं क्षेत्राीय पारिस्थितिक परिवर्तन एवं असंतुलन; पारितंत्र उनका प्रबंधन एवं संरक्षण; पर्यावरणीय निम्नीकरण, प्रबंधन एवं संरक्षण; जैव विविध्ता एवं संपोषणीय विकास; पर्यावरणीय शिक्षा एवं विधान ।
मानव भूगोल:
- मानव भूगोल में संदर्श: क्षेत्रीय विभेदन; प्रदेशिक संश्लेषण द्विभाजन एवं द्वैतवाद; पर्यावरणवाद; मात्रात्मक क्रांति अवस्थिति विश्लेषण; उग्रसुधर, व्यावहारिक, मानवीय कल्याण उपागम; भाषाएं, धर्म एवं निरपेक्षीकरण; विश्व सांस्कृतिक प्रदेश; मानव विकास सूचक ।
- आर्थिक भूगोल: विश्व आर्थिक विकास; माप एवं समस्याएं; विश्व संसाधन एवं उनका वितरण; ऊर्जा संकल्प संवृद्धि की सीमाएं; विश्व कृषि; कृषि प्रदेशों की प्रारूपता कृषि निवेश एवं उत्पादकता ; खाद्य एवं पोषण समस्याएं; खाद्य सुरक्षा; दुर्भिक्षःकारण, प्रभाव एवं उपचार; विश्व उद्योग; अवस्थानिक प्रतिरूप एवं समस्याएं; विश्व व्यापार के प्रतिमान ।
- जनसंख्या एवं बस्ती भूगोल: विश्व जनसंख्या की वृद्धि और वितरण; जनसांख्यिकी गुण; प्रवासन के कारण एवं परिणाम; अतिरेक-अल्प एवं अनुकूलतम जनसंख्या की संकल्पनाएं; जनसंख्या के सिद्धांत; विश्व जनसंख्या समस्या और नीतियां; सामाजिक कल्याण एवं जीवन गुणवताः सामाजिक पूंजी के रूप में जनसंख्या । ग्रामीण बस्तियों की प्रकार एवं प्रतिरूप; ग्रामीण बस्तियों में पर्यावरणीय मुद्दे; नगरीय बस्तियों का पदानुक्रम; नगरीय आकारिकी; प्रमुख शहर एवं श्रेणी आकार प्रणाली की संकल्पना, नगरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण; नगरीय प्रभाव क्षेत्रा; ग्राम नगर उपांत; अनुषंगी नगर, नगरीकरण की समस्याएं एवं समाधन; नगरों का संपोषणीय विकास ।
- प्रादेशिक आयोजना: प्रदेश की संकल्पना; प्रदेशों के प्रकार एवं प्रदेशीकरण की विधियां; वृद्धि केन्द्र तथा वृद्धि ध्रुव; प्रादेशिक असंतुलन; प्रादेशिक विकास कार्यनीतियां; प्रादेशिक आयोजना में पर्यावरणीय मुद्दे; संपोषणीय विकास के लिए आयोजना ।
- मानव भूगोल के मॉडल, सिद्धांत और कानून: मानव भूगोल में प्रणाली विश्लेषण; माल्थस का माक्र्स का और जनसांख्यिकीय संक्रमण माॅडल; क्रिस्टावर एवं लाॅश का केन्द्रीय स्थान सिद्धांत; पेरू एवं बूदेविए; वाॅन थूनेन का कृषि अवस्थान माॅडल; वेबर का औद्योगिक अवस्थान माॅडल; ओस्तोव का वृद्धि अवस्था माडल ; अंतःभूमि एवं वहिःभूमि सिद्धांत; अंतरराष्ट्रीय सीमाएं एवं सीमांत क्षेत्र के नियम ।
यूपीएससी भूगोल वैकल्पिक विषय का पाठ्यक्रम पेपर 2
यूपीएससी के लिए भूगोल वैकल्पिक विषय पेपर 2 में भारत के भूगोल के बारे में बताया गया है, और इसे आगे उप विषयों में विभाजित किया गया है।
पेपर 2
भारत का भूगोल
- भौतिक विन्यास: पड़ोसी देशों के साथ भारत का अंतरिक्ष संबंध; संरचना एवं उच्चावच; अपवाहतंत्र एवं जल विभाजक; भू-आकृतिक प्रदेश: भारतीय मानसून एवं वर्षा प्रतिरूप उष्णकटिबंधीय चक्रवात एवं पश्चिमी विक्षोभ की क्रिया विधि; बाढ़ एवं अनावृष्टि; जलवायवी प्रदेश; प्राकृतिक वनस्पति, मृदा प्रकार एवं उनका वितरण ।
- संसाधन: भूमि, सतह एवं भौमजल, ऊर्जा, खनिज, जीवीय एवं समुद्री संसाधन; वन एवं वन्य जीवन संसाधन एवं उनका संरक्षण; ऊर्जा संकट ।
- कृषि: अवसंरचना:सिंचाई, बीज, उर्वरक, विद्युत; संस्थागत कारकः जोत; भू-धरण एवं भूमि सुधार; शस्यन प्रतिरूप, कृषि उत्पादकता, कृषि प्रकर्ष, फसल संयोजन, भूमि क्षमता; कृषि एवं सामाजिक वानिकी; हरित क्रांति एवं इसकी सामाजिक आर्थिक एवं पारिस्थितिक विवक्षा; वर्षाधीन खेती का महत्व; पशुधन संसाधन एवं श्वेत क्रांति, जल कृषि, रेशम कीटपालन, मधुमक्खीपालन एवं कुक्कुट पालन; कृषि प्रादेशीकरण; कृषि जलवायवी क्षेत्र; कृषि पारिस्थितिक प्रदेश ।
- उद्योग: उद्योगों का विकास: कपास, जूट, वस्त्रोद्योग, लोह एवं इस्पात, अलुमिनियम, उर्वरक, कागज, रसायन एवं फार्मास्युटिकल्स, आटोमोबाइल, कुटीर एवं कृषि आधरित उद्योगों के अवस्थिति कारक; सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों सहित औद्योगिक घराने एवं संकुल; औद्योगिक प्रादेशीकरण; नई औद्योगिक नीतियां; बहुराष्ट्रीय कंपनियां एवं उदारीकरण; विशेष आर्थिक क्षेत्र; पारिस्थितिक पर्यटन समेत पर्यटन ।
- यातायात, सम्प्रेषण और व्यापार: सड़क, रेलमार्ग, जलमार्ग,हवाईमार्ग एवं पाइपलाइन नेटवर्क एवं प्रादेशिक विकास में उनकी पूरक भूमिका ; राष्ट्रीय एवं विदेशी व्यापार वाले पत्तनों का बढ़ता महत्व; व्यापार संतुलन; व्यापार नीति; निर्यात प्रक्रमण क्षेत्रा; संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी में आया विकास और अर्थव्यवस्था तथा समाज पर उनका प्रभाव; भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम ।
- सांस्कृतिक विन्यास: भारतीय समाज का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य; प्रजातीय, भाषिक एवं नृजातीय विविधताएं; धार्मिक अल्पसंख्यक; प्रमुख जनजातियां, जनजातीय क्षेत्र तथा उनकीसमस्याएं; सांस्कृतिक प्रदेश; जनसंख्या की संवृद्धि, वितरण एवं घनत्व; जनसांख्यिकीय गुण: लिंग अनुपात, आयु संरचना, साक्षरता दर, कार्यबल, निर्भरता अनुपात, आयुकाल; प्रवासन ;अंतःप्रादेशिक, प्रदेशांतर तथा अंतर्राष्ट्रीयद्ध एवं इससे जुड़ी समस्याएं, जनसंख्या समस्याएं एवं नीतियां; स्वास्थ्य सूचक ।
- बस्ती: ग्रामीण बस्ती के प्रकार, प्रतिरूप तथा आकारिकी; नगरीय विकास; भारतीय शहरों की आकारिथी; भारतीय शहरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण; सत्रगर एवं महानगरीय प्रदेश; नगर स्वप्रसार; गंदी बस्ती एवं उससे जुड़ी समस्याएं, नगर आयोजना; नगरीकरण की समस्याएं एवं उपचार ।
- प्रादेशिक विकास एवं आयोजना: भारत में प्रादेशिक आयोजना का अनुभव; पंचवर्षी योजनाएं; समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम; पंचायती राज एवं विकेंद्रीकृत आयोजना; कमान क्षेत्रा विकास; जल विभाजक प्रबंध्; पिछड़ा क्षेत्रा, मरुस्थल, अनावृष्टि प्रवण, पहाड़ी, जनजातीय क्षेत्रा विकास के लिए आयोजना; बहुस्तरीय योजना; प्रादेशिक योजना एवं द्वीप क्षेत्रों का विकास ।
- राजनैतिक परिप्रेक्ष्य:भारतीय संघवाद का भौगोलिक आधार; राज्य पुनर्गठन; नए राज्यों का आविर्भाव; प्रादेशिक चेतना एवं अंतर्राज्य मुद्दे; भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा और संबंधित मुद्दे; सीमापार आतंकवाद; वैश्विक मामले में भारत की भूमिका; दक्षिण एशिया एवं हिंद महासागर परिमंडल की भू-राजनीति ।
- समकालीन मुद्दे: पारिस्थितिक मुद्दे: पर्यावरणीय संकट: भू-स्खलन, भूकंप, सुनामी, बाढ एवं अनावृष्टि, महामारी; पर्यावरणीय प्रदूषण से संबंधित मुद्दे; भूमि उपयोग के प्रतिरूप में बदलाव; पर्यावरणीय प्रभाव आकलन एवं पर्यावरण प्रबंधन के सिद्धांत; जनसंख्या विस्पफोट एवं खाद्य सुरक्षा; पर्यावरणीय निम्नीकरण; वनोन्मूलन, मरुस्थलीकरण एवं मुद्दा अपरदन; कृषि एवं औद्योगिक अशांति की समस्याएं; आर्थिक विकास में प्रादेशिक असमानताएं; संपोषणीय वृद्धि एवं विकास की संकल्पना; पर्यावरणीय संचेतना; नदियों का सहवर्द्धन, भूमंडलीकरण एवं भारतीय अर्थव्यवस्था । टिप्पणी: अभ्यर्थियों को इस प्रश्नपत्र में लिए गए विषयों से संगत एक अनिवार्य मानचित्र-आधरित प्रश्न का उत्तर देना अनिवार्य है ।
यूपीएससी भूगोल विषय का पाठ्यक्रम – तैयारी की योजना
- यूपीएससी के लिए भूगोल विषय के पाठ्यक्रम की तैयारी शुरू करने से पहले अभ्यर्थियों को रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। भूगोल के प्रश्न यूपीएससी परीक्षा के प्रत्येक चरण में पूछे जाते हैं, इसलिए अच्छी तैयारी और अध्ययन की जरूरत है। यूपीएससी के लिए भूगोल विषय के पाठ्यक्रम को कवर करने की रणनीति निम्नलिखित हो सकती है
- एनसीईआरटी का अध्ययन- अभ्यर्थियों को कक्षा VIII से XII तक की एनसीईआरटी की पुस्तकें पढ़नी चाहिए। एनसीईआरटी की इन पुस्तकों से यूपीएससी के लिए भूगोल पाठ्यक्रम कवर हो जाता है। साथ ही इससे आपकी नींव मजबूत हो जाती है।
- मूल पुस्तकें- एनसीईआरटी की पुस्तकों के अतिरिक्त अभ्यर्थियों को यूपीएससी के लिए भूगोल के पाठ्यक्रम को कवर करने के लिए मूल पुस्तकें भी पढ़नी चाहिए। इन मूल पुस्तकों में मजीद हुसैन द्वारा लिखित भारत का भूगोल और जीसी लेओन्ग की Certificate Physical and Human Geography शामिल है।
- पिछले साल के प्रश्न पत्र- पिछले साल के प्रश्न पत्रों से आपको यह आभास हो जाएगा कि वे कितने कठिन है; साथ ही, आप उन विषयों के बारे में भी जान पाएंगे जिन पर दोबारा ध्यान देने की जरूरत है।
- हाल ही की घटनाएं – पुस्तकों के साथ साथ अभ्यर्थियों को समसामयिक विषयों का भी अध्ययन करना चाहिए क्योंकि वे भी यूपीएससी के भूगोल पाठ्यक्रम के अंतर्गत आते है।
यूपीएससी के लिए भूगोल विषय का पाठ्यक्रम – पुस्तकों की सूची
नीचे दी गई पुस्तकें यूपीएससी के लिए भूगोल पाठ्यक्रम को कवर करने के लिए सुझाई जा रही है।
- भारत का भूगोल – लेखक डी. आर. खुल्लर
- मानव भूगोल – लेखक माजिद हुसैन
- भूगोल में मॉडल्स – लेखक माजिद हुसैन
- भौतिक भूगोल – लेखक सवींद्र सिंह
- भौगोलिक विचार – लेखक आर. डी. दीक्षित
- भौगोलिक विचार के मूलभूत सिद्धांत – लेखक सुदीप्त अधिकारी
- शहर, शहरीकरण और शहरी प्रणाली (समायोजन भूगोल)-लेखक के. सिद्धार्थ