Important Editorial Analysis: सिंधु जल संधि / Indus Water Treaty – India, Pakistan ने किया विमर्श
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 13th, 2023

भारत से 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल 28 फरवरी को स्थायी सिंधु आयोग की 117वीं बैठक में भाग लेने के लिए 1-3 मार्च तक पाकिस्तान का दौरा करेगा, इस दौरान सिंधु जल के भारतीय आयुक्त इस्लामाबाद में प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे, जबकि पाकिस्तान पक्ष का प्रतिनिधित्व सिंधु जल आयुक्त द्वारा किया जाएगा, दोनों देशों ने सिंधु नदी प्रणाली पर सहयोग पर चर्चा करने के लिए एक वार्षिक बैठक का आयोजन किया, जैसा कि विश्व बैंक के हस्तक्षेप के साथ, 1960 में दोनों द्वारा हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि के अनुच्छेद VIII के तहत निर्धारित किया गया था हालाँकि 2019 में, पुलवामा हमले के बाद भारत-पाक तनाव के मद्देनजर बैठक आयोजित नहीं की गई थी, जबकि 2020 में, महामारी ने वार्षिक बैठक को रद्द किया गया था।
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सिंधु जल संधि
- सिंधु और उसकी सहायक नदियों के जल का उपयोग भारत और पाकिस्तान द्वारा किस प्रकार किया जायेगा इस बात का निर्धारण करने हेतु 19 सितंबर, 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान द्वारा इस संधि पर हस्ताक्षर किये गए।
- संधि के अनुसार, पूर्वी नदियों (रावी, व्यास, सतलज) का जल भारत के लिये तथा पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का जल पाकिस्तान के लिये निर्धारित किया गया।
- संधि के तहत भारत को पश्चिमी नदियों पर ‘रन ऑफ द रिवर’ (Run of the River- RoR) प्रोजेक्ट के तहत पनबिजली उत्पादन का अधिकार भी दिया गया है।
सिंधु जल संधि की आवश्यकता क्यों:
दोनों पक्ष अपने सिंचाई बुनियादी ढांचे को क्रियाशील रखने के लिए सिंधु नदी बेसिन के पानी पर निर्भर थे और इसलिए, समान वितरण की आवश्यकता थी, ऐसे में 1951 में, दोनों देशों ने जल-बंटवारे विवाद की पृष्ठभूमि में, सिंधु और उसकी सहायक नदियों पर अपनी-अपनी सिंचाई परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए विश्व बैंक में आवेदन किया जिसके पश्चात विश्व बैंक ने संघर्ष में दोनों देशों के मध्य मध्यस्थता की पेशकश की, हालांकि सिंधु नदी तिब्बत से निकलती है लेकिन चीन को इस संधि से बाहर रखा गया है।
सिंधु जल संधि के प्रमुख प्रावधान:
- सिंधु जल संधि के तहत निर्धारित किया गया की सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों के पानी को भारत और पाकिस्तान के बीच कैसे साझा किया जाएगा।
- सिंधु जल संधि के तहत प्रावधान किया गया कि पानी का 80% हिस्सा या लगभग 135 मिलियन एकड़ फीट (MAF) पाकिस्तान उपभोग करेगा, जबकि शेष 33 MAF या 20% पानी का उपयोग भारत द्वारा किया जायेगा।
- सिंधु जल संधि के तहत प्रावधान किया गया कि दोनों देशों के दोनों पक्षों के स्थायी आयुक्तों द्वारा गठित एक स्थायी सिंधु आयोग की स्थापना की जाएगी, गठित आयोग के कार्यों में नदियों पर सूचनाओं के आदान-प्रदान, निरंतर सहयोग के लिए और संघर्षों के समाधान के लिए पहले पड़ाव के रूप में एक मंच के रूप में कार्य करना शामिल है।
- सिंधु जल संधि के तहत भारत को पश्चिमी नदियों पर ‘रन ऑफ द रिवर’ (Run of the River- RoR) प्रोजेक्ट के तहत पनबिजली उत्पादन का अधिकार भी दिया गया है। इनके डिज़ाइन और संचालन हेतु भारत को विशिष्ट मानदंडों का पालन करना आवश्यक है।
- सिंधु जल संधि के प्रावधान के तहत पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों पर भारतीय पनबिजली परियोजनाओं के डिज़ाइन को लेकर चिंता व्यक्त करने का अधिकार भी दिया गया है।
- सिंधु जल संधि के तहत प्रावधान किया गया कि भारत को परियोजना के डिजाइन या उसमें किए गए परिवर्तनों के बारे में पाकिस्तान के साथ जानकारी साझा करनी होगी, जिसे प्राप्त होने के तीन महीने के भीतर आपत्तियों, यदि कोई हो, के साथ जवाब देना आवश्यक है।
- सिंधु जल संधि एक तीन-चरणीय विवाद समाधान तंत्र भी प्रदान करता है, जिससे दोनों पक्षों के “प्रश्नों” को स्थायी आयोग में हल किया जा सकता है, या अंतर-सरकारी स्तर पर भी उठाया जा सकता है।
- सिंधु जल संधि में एक अन्य महतवपूर्ण प्रावधान जोड़ा गया जिसके तहत यदि जल-बंटवारे पर देशों के बीच अनसुलझे प्रश्नों या “मतभेदों” के मामले में, जैसे कि तकनीकी मतभेद, कोई भी पक्ष निर्णय लेने के लिए तटस्थ विशेषज्ञ (एनई) की नियुक्ति के लिए विश्व बैंक से संपर्क कर सकता है।
सिंधु नदी से जुड़ी घाटी परियोजनाएं:
कृषि के लिए सिंचाई, उद्योगों के लिए बिजली और बाढ़ नियंत्रण की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत में बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएं शुरू की गयी हैं, कुछ महत्वपूर्ण बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएं इस प्रकार है-
- भाखड़ा नांगल परियोजना
- इंदिरा गांधी परियोजना
- पोंग डैम
- बगलिहार बाँध परियोजना
- दुल-हस्ती जलविद्युत परियोजना
- थीन डैम परियोजना
- चमेरा हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट
- नाथपा-झाकरी जलविद्युत परियोजना
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