कवि कालिदास किसके राजकवि थे?
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: November 9th, 2023
कवि कालिदास “चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य” के राजकवि थे। भारत देश के सबसे महान और प्रसिद्ध कवियों में से एक, कालिदास संस्कृत भाषा में अपनी काव्यों की रचना करते थे। उनकी लिखी बहुत से रचनायें लिखीं जो काफी प्रसिद्ध हुई उनमे मेघदूत, कुमारसंभव और रघुवंश आदि हैं। सात ग्रन्थों के प्रणयन का श्रेय कालिदास को दिया जाता है- रघुवंश, कुमारसंभव, मेघदूत, ऋतुसंहार, मालविकाग्निमित्रम, विक्रमोर्वशीय तथा अभिज्ञानशाकुतलम। उनमें से पहले दो महाकाव्य हैं, उसके बाद दो खांडकाव्य (गीत) और तीन नाटक हैं।
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राजकवि कालिदास
कालिदास एक शास्त्रीय संस्कृत लेखक थे जिन्हें व्यापक रूप से प्राचीन भारत का सबसे महान कवि और नाटककार माना जाता है। उनके नाटक और कविता मुख्य रूप से वेदों, रामायण, महाभारत और पुराणों से प्रेरित हैं। उनकी जो रचनाएँ बची हैं उनमें तीन नाटक, दो महाकाव्य कविताएँ और दो छोटी कविताएँ शामिल हैं।
कवि कालिदास ने भारत की पौराणिक और दैविक कथाओं को आधार बनाकर रचनाएँ की। निश्चित तौर पर उनकी रचनाओं में भारतीय जीवन के विविध मूल रूपों और तत्वों का ज्ञान मिलता है। कालिदास, चन्द्रगुप्त के राजकवि थे, साथ ही उन्हें उस समय के बेहतरीन नाटककार के रूप में जाना जाता था। उनके लिखे अभिग्यांशाकुंतलम को लोगों ने खूब पसंद किया। इस महाकाव्य का अनुवाद कई विदेशी भाषाओँ में किया गया।
- कालिदास के जन्मस्थान का अधिकारिक जानकारी नहीं है, कुछ लोग उनका जन्मस्थल उज्जैन तो कुछ उत्तराखंड रुद्रप्रयाग बताते हैं।
- कई मशहूर कथाओं और नाटक के रचैता कालिदास, राजा विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक थे।
- किंवदंतियों के अनुसार, महाकवि बनने के पहले कालिदास काफी मुर्ख व्यक्ति थे।
- कालिदास के प्रवास के कुछ साक्ष्य बिहार के मधुबनी जिले में भी मिलते हैं।
Summary:
कवि कालिदास किसके राजकवि थे?
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के राजकवि कालिदास थे। जिनकी कई प्रसिद्ध रचनाएं आज भी कई जगह पढ़ी जाती हैं। कालिदास की प्रसिद्ध रचना अभिग्यांशाकुंतलम कई भाषा में अनुवाद किया गया है। कालिदास के नाटक और कविता मुख्य रूप से वेदों, महाभारत और पुराणों पर आधारित हैं। उन्हें आज भी याद किया जाता है, क्योंकि एक लेखक के रूप में उन्होंने कई नैतिक कविताएँ भी लिखीं, जो आज भी अधिकांश क्षेत्रों में लोकप्रिय हैं।
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