प्रिय पाठकों
इस लेख में हम ज्ञान एवं इसके सिद्धांत पर संछिप्त नोट्स पर चर्चा कर रहे हैं। इस प्रसंग की तैयारी करते समय, आपको ज्ञान के सिद्धांत जैसे बुद्धि पर विशेष ध्यान देना है। ज्ञान के सिद्धांत में आप वैसे तथ्यों जिसे विचारकों ने शिक्षा से सम्बंधित बताया है इस प्रसंग को समझने के लिये चलिये कुछ तथ्यों को जानते हैं।
मानव ज्ञान बदलता है, ज्ञान का इसलिए महत्व है क्योंकि होशियार लोग सामान्यतः अिधक पैसे कमाते हैं, अच्छे स्वास्थ्य का लाभ उठाते हैं और लंबी आयु जीते हैं। लेकिन यह कहाँ से आता है? और यह कैसे बनाया जाता है? ज्ञान दुनिया को समझने,तर्कयुक्त सोचने एवं जीवन की चुनौतियों से निपटने के लिए संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने की शक्ति है।
ज्ञान एवं इसके सिद्धांत:
ज्ञान अपने पर्यावरण के बारे में सीखने , पर्यावरण से सीखने , समझने एवं उससे बात करने की क्षमता है। यह विभिन्न विशिष्ट क्षमताओं को शामिल करता है। जैसे-
- किसी नए पर्यावरण के प्रति अनुकूलता।
- तर्क करने की क्षमता एवं अमूर्त विचार।
- रिश्तों को समझने की क्षमता।
- मूल एवं उत्पन्न विचार के लिए क्षमता।
- मूल्यांकन एवं जाँचने की क्षमता।
इस प्रकार, पर्यावरण का व्यापक अर्थ है जिसमें व्यक्ति का परिवेश, परिवार एवं कक्षा भी क्षमता है। यद्यपि ज्ञान मनोविज्ञान में सबसे अिधक चर्चा का विषय है, किन्तु इसे परिभाषित करने के लिए कोई मानक-स्तर की परिभाषा नहीं है।
ज्ञान के कुछ प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं-
चार्ल्स स्पियरमैन:
सामान्य ज्ञान (जी-फेेक्टर) उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि ज्ञान सामान्य संज्ञानात्मक क्षमता है जिसे मापा जा सकता है तथा संख्यात्मक रूप में व्यक्त किया जा सकता है।
लुइस एल- थुर्स्टोन-प्रारंभिक मानसिक योग्यतायें:
उन्होंने सात भिन्न योग्यताओं पर ध्यान केन्द्रित किया-
- शाब्दिक सूझबूझ
- तर्क
- अनुभूति गति
- संख्यात्मक योग्यता शाब्दिक प्रवाह
- शब्द प्रवाह
- सम्बद्ध स्मृति
- स्थानिक दृश्य
होवार्ड गार्डनर- बहुमुखी ज्ञान:
उन्होंने अपनी पुस्तक ‘‘मन के दायरेःबहुमुखी ज्ञान के सिद्धांत’’ में आठ को प्रतिपादित किया।उन्होंने ज्ञान विकास में जैविक पहलुओं साथ-साथ सांस्कृतिक पहलुओं पर जोर दिया।
कक्षा में बहुमुखी ज्ञान का उपयोग:
सिद्धांत कहता है कि समाज में सृजनात्मक कार्य के लिए इन सभी की जरूरत होती है तFाा अध्यापकों को सामग्री के प्रस्तुतीकरण की रचना इस प्रकार करना चाहिए जिससे कि अिधकांश या सभी ज्ञान शामिल हो सके। उदाहरण के लिए, अध्यापकसुझाव दे सकते हैं कि संगीत में विशिष्ट बुद्धिमान बालक उस घटना का वर्णन करने वाले संगीत बनाकर क्रांतिकारी युद्ध के बारे में सीख सकता है।
प्रमाणिक मूल्यांकन की ओर:
शिक्षकों को अपने छात्रों के शिक्षण का मूल्यांकन करने के लिए वैसे तरीकों को ख्ाोजना चाहिए जो उनकी ताकतों एवं कमजोरियों का एक शुद्ध विवरण दे। अतः अध्यापक के लिए महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक छात्र की एक ‘बुद्धमत्ता रूपरेख्ाा’ तैयार करे जो अध्यापक को बच्चे की प्रगति का उचित आकलन करने की अनुमति दे।
Serial No. | Book Name | Author Name |
1. | CTET and TETs Child Development and Pedagogy Paper 1 and 2 | Arihant Experts |
2. | CTET Child Development and Pedagogy for Paper 1 and Paper 2 | By Pearson (Sandeep Kumar) |
3. | Educating Exceptional Children: An Introduction to Special Education | Mangal S.K |
Note: All the study notes are available in Hindi as well as the English language. Click on A/अ to change the language.
Thanks!
Sahi Prep hai toh Life Set hai!
Frequently Asked Questions (FAQs)
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write a commentPritiMar 1, 2022
PritiMar 1, 2022
AkkiMar 1, 2022
AkkiMar 1, 2022
Anjali SahaniMar 1, 2022
Aarti KumariApr 28, 2022
Kaushalya BhoyeApr 28, 2022
Nupur DeshwalMay 9, 2022
GudiyaMay 9, 2022
Priyanka SharmaMay 21, 2022