सत्ता की साझेदारी क्यों जरुरी है?
By Balaji
Updated on: February 17th, 2023
सत्ता की साझेदारी जरुरी है क्यूंकि वह एक ऐसी शासन व्यवस्था है जहाँ समाज के सभी वर्गों से लोगों का हिस्सा सरकार में होती है। इसे लोकतंत्र का मन्त्र कहते हैं। सत्ता की साझेदारी को किसी भी देश के गणतंत्र व्यवस्था का मन्त्र कहा जाता है। हमारे समाज में शांति और भाईचारा बनाये रखने के लिये सत्ता की साझेदारी आवश्यक है। इससे न केवल अलग समझ के लोगों के बीच टकराव की स्थिति कम होती है बल्कि किसी एक समाज के लोगों का बोलबाला भी नहीं होता है।
Table of content
-
1. सत्ता की साझेदारी
-
2. सत्ता की साझेदारी क्यों जरुरी है?
सत्ता की साझेदारी
सत्ता की साझेदारी संघर्ष के समाधान की एक प्रथा है जहां कई समूह सहमत नियमों के अनुसार आपस में राजनीतिक, सैन्य या आर्थिक शक्ति का वितरण करते हैं। यह किसी भी औपचारिक ढांचे या अनौपचारिक समझौते का उल्लेख कर सकता है जो विभाजित समुदायों के बीच शक्ति के वितरण को नियंत्रित करता है। यह एक राजनीतिक व्यवस्था है जिसमें विभिन्न या विरोधी समूह सभी एक साथ सरकार में भाग लेते हैं।
शक्ति-साझाकरण सिद्धांत ध्रुवीकृत समाजों में संघर्षों को हल करने के लिए शक्ति-साझाकरण व्यवस्थाओं की उपयोगिता या वांछनीयता के बारे में प्रामाणिक और अनुभवजन्य दावों पर जोर देते हैं। संघवाद और केंद्रीयवाद दो प्रमुख शक्ति-साझाकरण सिद्धांत हैं, जिनमें से दोनों विरोधी दावे करते हैं। अनुभवजन्य रूप से, प्रत्येक सिद्धांत शक्ति वितरण के लिए एक अलग प्रणाली का सुझाव देता है, जैसे केन्द्रापसारकवाद का वैकल्पिक वोट बनाम संघवाद का आनुपातिक वोट।
सत्ता की साझेदारी के कारण
सत्ता की साझेदारी फायदेमंद है क्योंकि यह सामाजिक संघर्ष की संभावना को कम करने में मदद करती है। सत्ता की साझेदारी राजनीतिक व्यवस्था की स्थिरता सुनिश्चित करने का एक अच्छा तरीका है क्योंकि सामाजिक संघर्ष के परिणामस्वरूप अक्सर हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता होती है। लोकतांत्रिक सत्ता की साझेदारी इसके मूल में है।
- टकराव की स्थिति को कम करना
- लोकतंत्र की आत्मा बचाए रखना
- समाज में सौहार्द बांये रखने के लिए
- समाज के समुचित विकास के लिए
Summary:
सत्ता की साझेदारी क्यों जरुरी है?
लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी जरुरी होने का मुख्य कारण समाज के हर हिस्से का उचित विकास, भाईचारा बनाये रखना, और किसी एक समाज का वर्चस्व सत्ता में ना हो, आदि है। इसमें कोई दो राय नहीं कि एक समाज का सर्वागीण विकास उसके लोगों के विकास के बिना संभव नहीं हैं।
Related Questions: