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सदैव का संधि विच्छेद क्या है?

By BYJU'S Exam Prep

Updated on: November 14th, 2023

सदैव का संधि विच्छेद “सदा + एव” होता है। सदैव में “वृद्धि स्वर संधि” संधि है। इसमें “वृद्धि स्वर संधि” लागू होती है। संधि करते समय जब अ, आ के साथ ए, ऐ हो तो बनता है और जब अ, आ के साथ ओ, औ हो तो औ बनता है, उसे वृधि संधि कहते हैं। विसर्ग के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मिलने से जो विकार उत्पन्न होता है उसे विसर्ग संधि कहते हैं।

सदैव का संधि विच्छेद

सदैव वृद्धि संधि का उदाहरण है। दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते हैं। संधि के तीन प्रकार हैं: स्वर संधि, व्यंजन संधि और विसर्ग संधि। शब्द “संधि” (सम् + धा + कि) एक संघ या संयोजन को दर्शाता है। सन्धि वह विकार (परिवर्तन) है जो दो आसन्न वर्णों के मिलन से उत्पन्न होता है। संधि, आपसी स्वरों या अक्षरों के सम्मिश्रण से उत्पन्न विकार, संस्कृत, हिंदी और अन्य भाषाओं में प्रयुक्त होने वाला शब्द है। वही देव + इंद्र = देवेंद्र, सम + तोश = संतुष्टि, भानु + उदय = भानुदय, आदि के लिए जाता है।

संधि के प्रावधान न केवल भारतीय भाषाओं में बल्कि कोरियाई जैसी यूराल-अल्टिक भाषाओं में भी उपलब्ध हैं। एक संधि एक “प्राकृतिक” या सहज क्रिया है, जैसे नीले और लाल रंग के संयोजन से बैंगनी रंग बनता है।

  • स्वर संधि: स्वर-संधि दो स्वरों के सम्मिश्रण से उत्पन्न विकार (परिवर्तन) को संदर्भित करता है।
  • व्यंजन संधि: व्यंजन संलयन उस परिवर्तन को संदर्भित करता है जो तब होता है जब एक व्यंजन को दूसरे व्यंजन या स्वर के साथ जोड़ा जाता है।
  • विसर्ग-संधि: विसर्ग (:) में उत्पन्न होने वाले विकार को विसर्ग-संधि कहते हैं जब इसके बाद कोई स्वर या व्यंजन आता है।

Summary:

सदैव का संधि विच्छेद क्या है?

“सदा + एव” सदैव का संधि विच्छेद होता है। सदैव में “वृद्धि स्वर संधि” है। विसर्ग के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मिलने से जो विकार उत्पन्न होता है उसे विसर्ग संधि कहते हैं। संधि के प्रावधान भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त कोरियाई जैसी यूराल-आल्टिक भाषाओं में भी उपलब्ध हैं।

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