नकदी फसल और रोपण फसल में क्या अंतर है?
By Balaji
Updated on: February 17th, 2023
रोपण फसल कृषि एक विशेष प्रकार की फसली कृषि है जिसमे केवल एक ही प्रकार की फसल के उत्पादन ध्यान दिया जाता है। वहीँ नकदी फसल उस कृषि को कहते हैं जिनका उद्देश्य केवल उन्हें बेच देना होता है। नकदी फसल से तात्पर्य उस फसल से है जिसके उत्पाद सीधे उपभोक्ताओं को नकद में बेचे जाते हैं। आम, केला, लीची आदि इसके कुछ उदाहरण हैं। वृक्षारोपण कृषि एक ऐसी फसल को संदर्भित करती है जो सिर्फ एक बार लगाई जाती है और लंबी अवधि में उगाई जाती है। कॉफी और चाय की तरह।
Table of content
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1. नकदी फसल और रोपण फसल में अंतर
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2. नकदी फसल और रोपण फसल में क्या अंतर है?
नकदी फसल और रोपण फसल में अंतर
इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, और कृषि देश के राजस्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। नकदी फसल लाभ के उद्देश्य से उगाई जाने वाली कृषि फसल है। यह आम तौर पर खेत से स्वतंत्रता चाहने वाली पार्टियों द्वारा खरीदा जाता है। शब्द “नकदी फसल” पौधों के कृषि उत्पादन को संदर्भित करता है।
एक कृषि फसल जिसे लाभ कमाने के लिए बिक्री के लिए उगाया जाता है, नकदी फसल कहलाती है और मानव उपभोग के लिए उगाई जाने वाली कृषि फसल को रोपण फसल कहा जाता है। नीचे की तालिकाआपको नकदी और रोपण में फर्क समझने में मदद करेगी।
नकदी फसल |
रोपण फसल |
इसके उत्पादन को बाजार में बेचकर नकद रूपये प्राप्त किया जाता है। |
जिसे एक बार लगाकर लम्बे समय इसका उत्पादन किया जाता है। |
अवधि 90 से 120 दिनों तक होती है। |
इसकी अवधि एक वर्ष से अधिक की होती है। |
आम, केला, लीची और अन्य फल आदि इसके उदाहरण हैं। |
कहवा, रबड़, कोको, नारियल आदि इसके उदाहरण हैं। |
Summary:
नकदी फसल और रोपण फसल में क्या अंतर है?
नकदी फसल और रोपण फसल में अंतर यह है कि नकदी फसल छोटे समय के लिए और बाजारों में बेच के धन कमाने के लिए उपजाई जाते हैं। वहीँ रोपण फसल का उद्देश्य लम्बे समय तक उनकी उपज करना होता है। वैश्विक दायरे वाले कमोडिटी बाजारों में नकदी फसलों की कीमतें निर्धारित की जाती हैं। कपास, जूट, गन्ना, चाय और कॉफी नकदी फसल के उदाहरण हैं।
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