आकाश का रंग नीला क्यों दिखाई देता है?
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 13th, 2023
आकाश का रंग नीला वातावरण में धूल और जल वाष्प के कण के कारण है। जब सूर्य की किरणें पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करती हैं, तो वायुमंडल के छोटे कणों से टकराकर बिखर जाती हैं। छोटे कण, सूरज की उन किरणों में से नीले रंग को परावर्तित कर देते हैं। प्रकाश के रंगों में से नीले रंग में फैलने की क्षमता अधिक होती है, क्योंकि नीले रंग का तरंगदैर्ध्य सबसे कम होता है। यही कारण है कि आकाश का रंग नीला दिखाई देता है।
आकाश के नीले दिखने के पीछे का विज्ञान
मानव आँख को आकाश नीला दिखाई देता है क्योंकि नीले प्रकाश की छोटी तरंगें स्पेक्ट्रम में अन्य रंगों की तुलना में अधिक बिखरी होती हैं, जिससे नीला प्रकाश अधिक दिखाई देता है।
सूर्य के किरणें सात रंगों से मिलकर बनती हैं। इनमें सबसे अधिक तरंगदैर्ध्य लाल रंग और सबसे तरंगदैर्ध्य कम नीले रंग का होता है। वायुमंडल के कणों से टकराने के कारण नीला रंग फ़ैल जाता है। यह प्रकाश के फैलने की प्रक्रिया प्रकाश का प्रकीर्णन कहलाती है। आकाश का नीला दिखाई देने का कारण प्रकाश का प्रकीर्णन है।
- जिस रंग का तरंगदैर्ध्य अधिक होता है, वह अधिक दूरी तक दिखाई देता है।
- जैसे कि लाल रंग का तरंगदैर्ध्य अधिक होता है, अत: सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य लाल रंग का प्रतीत होता है।
- वहीँ जिस रंग का तरंगदैर्ध्य कम होता है, वह जल्दी ही वायुमंडल में फ़ैल जाता है। यही कारण है कि आसमान नीले रंग का प्रतीत होता है।
- रंग Rayleigh और Mie बिखरने के संयोजन के कारण होते हैं।
- अधिकांश छोटी नीली तरंग दैर्ध्य बिखरी हुई हैं क्योंकि प्रकाश वायुमंडल के माध्यम से यात्रा करता है, अधिकांश लंबी तरंगों को जारी रखने के लिए छोड़ देता है।
- नतीजतन, सूर्य के प्रकाश का प्रमुख रंग इन लंबी तरंग दैर्ध्य में बदल जाता है।
Summary:
आकाश का रंग नीला क्यों दिखाई देता है?
वायुमंडल में धूल तथा जल के अनगिनत कण उपस्थित होते हैं, ये कण नीले रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन करते है , क्योंकि इस रंग का तरंगदैर्ध्य सबसे कम होता है। अतः आकाश का रंग नीला दिखाई देता है। इस प्रक्रिया को आसन भाषा में प्रकाश का प्रकीर्णन कहते हैं।
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