जैसा कि हम सभी जानते हैं कि लैंगिक समानता आजकल एक सबसे बड़ा मुद्दा है। क्योंकि महिलाओं को हमारे समाज में पुरुषों की तुलना में समान अवसर नहीं दिए जाते हैं। महिलाओं को पुरुषों से कम आंका जाता था। यह मुद्दा हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से उत्पन्न हुआ है। यह मुद्दा अब हमारे समाज की सबसे बड़ी समस्या बन गया है।
लैंगिक असमानता लड़कों और लड़कियों के बीच उस सामाजिक अंतर से संबंधित है जो जैविक निर्धारण के बजाय समाज द्वारा उत्पन्न किया गया था।
सामाजिक रचना के रूप में लैंगिक विकास:
लिंग को बाल्यावस्था में हासिल एक उपलब्धी माना जाता था। पुरुष या महिला पूरे संसार में लिंग की दो श्रेणियां हैं। हम कपड़े पहनने, बात करने, खाने, चलने आदि माध्यमों से लिंग श्रेणी की पहचान कर सकते हैं।
महिलाओं की भूमिका हमारे समाज द्वारा तय की जानी चाहिए। हमारे समाज के अनुसार महिलाओं को विनम्र, संयमी और शिष्ट माना जाता है जबकि पुरुषों को मजबूत माना जाता है।
लैंगिक असमानता से संबंधित परंपराएं:
लैंगिक असमानता से संबंधित परंपराएं निम्नलिखित हैं:
- लैंगिक भूमिकाएं: यह मानदंडों, आदर्शों के आधार पर समाज द्वारा पुरुष और महिला के लिए बनाई गई भूमिकाएं हैं।
- लैंगिक सामाजीकरण: बच्चे का समाजीकरण जन्म से आरंभ होता है। यह पुरुष या महिला की भिन्न सामाजिक प्रवृत्ति है।
- लैंगिक रूढ़िवादिता: लैंगिक रूढ़िवादिता लैंगिक समानता के मार्ग में आने वाली बाधाएं हैं। यह समाज की पूर्वकल्पना है जो पुरुषों को महिलाओं से अधिक मानती है।
- लैंगिक भेदभाव: लैंगिक भेदभाव लिंग के साथ-साथ उन परिस्थितियों पर आधारित है जो लैंगिक भूमिकाओं की रूढ़िवादिता को प्रोत्साहित करते हैं।
- व्यावसायिक लैंगिकवाद: ये कार्यस्थल में लैंगिक भूमिकाओं के आधार पर विभिन्न भेदभावपूर्ण कार्यप्रणालियां हैं जहां पुरुष और महिला दोनों काम करते हैं।
मौजूदा गतिविधियों में लिंग पूर्वाग्रह:
मौजूदा गतिविधियों में लिंग पूर्वाग्रह निम्नलिखित हैं:
- कक्षा में लिंग पूर्वाग्रह: यह वह पूर्वाग्रह है जो शिक्षकों द्वारा कक्षा के अंदर किया जाता है। जहां शिक्षक उम्मीद करते हैं कि लड़के शोरगुल करने वाले या निरंकुश होते हैं, जबकि लड़कियों के लड़कों की अपेक्षाकृत शांत, विनम्र, अध्ययन करने वाली और बेहतर सामाजिक कौशल युक्त होने की उम्मीद की जाती है।
- रूढ़िवादी भूमिकाओं से मेल नहीं रखने वाले बच्चे दंडित होते हैं: जो बच्चे समाज के मजबूत लैंगिक भूमिका वाले रूढ़िवादों के प्रभाव के कारण महिला और पुरुष की भूमिका से मेल नहीं खाते हैं, वे शिक्षकों और साथियों से बुरी तरह प्रभावित होते हैं।
- लैंगिक पूर्वाग्रह का प्रभाव: छात्रों पर अधिगम की दिशा में लिंग पूर्वाग्रह का एक मजबूत प्रभाव पड़ता है। आम तौर पर, लड़कियों का मानना है कि अगर उन्हें कोई सफलता मिलती है तो यह उनकी कड़ी मेहनत के कारण होती है ना कि उनकी जन्मजात प्रतिभा या बुद्धि के कारण है, जबकि लड़कों का मानना है कि वे गणित या विज्ञान में एकदम सही होते हैं, यह उनके लैंगिक प्रभाव के कारण है।
- शिक्षक की अपेक्षाएं: आज के समाज में लड़कों की तुलना में लड़कियों से शिक्षकों की अपेक्षाएं आम तौर पर कम होती है।
- कक्षा में लड़कियों के प्रतिकूल भेदभाव: लड़कियों को लड़कों की तुलना में शिक्षकों से आम तौर पर बहुत कम टिप्पणियां और आलोचना मिलती हैं। शिक्षक लड़कों की तुलना में लड़कियों से सरल प्रश्न पूछते हैं। यह भेदभाव कक्षा में आसानी से देखा जा सकता है।
कक्षा में लिंग पूर्वाग्रह को कम करने का साधन शिक्षा है :
शिक्षा कक्षा में लिंग पूर्वाग्रह को कम करने का सबसे महत्वपूर्ण साधन है। एक शिक्षक विद्यालय में लिंग पूर्वाग्रह को कम करने में बहुत सहायक है:
1. शिक्षक को छात्रों के प्रति अपने व्यवहार में सुधार करना चाहिए। उन्हें कक्षा में प्रश्न पूछने से संबंधित समान अवसर प्रदान करने चाहिए, कक्षा में उचित प्रतिक्रिया देनी चाहिए।
2. शिक्षक छात्रों को लैंगिक मुद्दों से संबंधित चर्चा करने में शामिल कर सकते हैं और लैंगिक समस्याओं को हल करने में छात्रों को नियुक्त कर सकते हैं।
3. शिक्षक को कक्षा के अंदर होने वाली विभिन्न गतिविधियों में सभी बच्चों को समान उत्तरदायित्व सौंपने चाहिए।
4. शिक्षक कक्षा में एकमात्र व्यक्ति है जो बच्चों में अच्छी आदतें विकसित करने में सहायता करता है। शिक्षक को लैंगिक समानता को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थियों की आदतों का विकास करना चाहिए।
5. एक शिक्षक को लड़कियों के उत्थान और सशक्तिकरण से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों की व्यवस्था करनी चाहिए।
Thanks!
Sahi Prep hai toh Life Set hai
Comments
write a commentAnkita MeherMar 18, 2020
Neha BukshApr 21, 2020
Ankita Maddheshiya MaddheshiyaApr 28, 2020
jitendra kumarMay 3, 2020
Shristi JhaJun 2, 2020
Leela MeenaJun 4, 2020
Anil DevapureJul 21, 2020
RamyaOct 31, 2020
Chaitanya 1996Jan 20, 2021
Susmita AbhaJun 15, 2021