- सुखदेव मिश्र के सन्दर्भ में आचार्य शुक्ल ने लिखा है, "छंदशास्त्र पर इनका सा विशद निरूपण और किसी कवि ने नहीं किया है।"
- सुखदेव मिश्र को राजा राजसिंह गौड़ ने 'कविराज' को उपाधि दी थी।
- इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नांकित हैं -
(1) वृत्त विचार (1671 ई०), छंद विचार, (3) फाजिल अली प्रकाश, (4) रसार्णव (5) श्रृंगार लता, (6) अध्यात्म प्रकाश (1698), (7) दशरथ राय।
- तोष रसवादी आचार्य है। इनका मूलनाम तोष निधि है।
- इनकी प्रमुख कृतियाँ हैं- (1) सुधानिधि (1634 ई०), (2) नखशिख (3) विनयशतक ।
- कुलपति मिश्र रस ध्वनिवादी आचार्य थे। ये प्रसिद्ध कवि बिहारी लाल के भांजे थे। कुलपति मिश्र का कविता काल 1667 ई. से 1686 ई० तक माना जाता है।
- कुलपति मिश्र की प्रमुख कृतियाँ निम्न हैं :
ग्रन्थ | वर्ष ( ई०) | विषयवस्तु |
रस रहस्य | 1670 | मम्मट के रस रहस्य का छायानुवाद |
द्रोण पर्व | 1680 | महाभारत के द्रोण पर्व का पद्यबद्ध अनुवाद |
युक्तितरंगिणी (अप्राप्य ) | 1686 | |
नखशिख (अप्राप्य ) | ||
संग्राम सार |
- डॉ० नगेन्द्र ने एक अन्य पुस्तक 'दुर्गा भक्ति चन्द्रिका' का भी उल्लेख किया है।
- महाकवि देव का मूल नाम देवदत्त था। देव आचार्य और कवि दोनों रूपों में प्रसिद्ध हैं।
- देव हित हरिवंश के अनन्य सम्प्रदाय में दीक्षित थे।
- देव की प्रमुख रचनाएँ निम्नांकित हैं-
ग्रन्थ विषय | वस्तु/ आधार |
भाव विलास (1689 ई०) | रस एवं नायक-नायिका भेद वर्णन |
अष्टयाम | आठ पहरों में नायक-नायिका के बीच विलास का वर्णन |
भवानी विलास | भवानीदत्त वैश्य को समर्पित |
राग रत्नाकर | राग-रागिनियों के स्वरूप का वर्णन |
कुशल विलास | कुशल सिंह के नाम पर आधारित |
देवचरित | कृष्ण के जीवन से सम्बद्ध प्रबन्ध काव्य |
प्रेमचंद्रिका | उद्योत सिंह को समर्पित |
जाति विलास | विभिन्न जाति एवं प्रदेशों की स्त्रियों का वर्णन |
रस विलास | राजा मोतीलाल को समर्पित रचना |
शब्द या काव्य रसायन | शब्द शक्ति, रसादि का वर्णन |
सुखसागर तरंग | अनेक ग्रन्थों से लिए हुए कवित्त-सवैया का संग्रह |
देवमाया प्रपंच | संस्कृत नाटक प्रबोध चंद्रोदय का पद्यानुवाद |
देवशतक | अध्यात्म सम्बन्धी ग्रन्थ |
सुजान विनोद | |
प्रेम तरंग |
- 'सुख सागर तरंग' का सम्पादन मिश्र बन्धुओं के पिता बालदत्त मिश्र ने सन् 1897 ई० में किया।
- डॉ० नगेन्द्र ने 'सुखसागर तरंग' को 'नायिका भेद का विश्वकोश' माना है। सर्वप्रथम शिवसिंह सेंगर ने देव की रचनाओं की संख्या 72 बतायी।
- कुछ विद्वानों ने 52 ग्रन्थों का उल्लेख किया है।
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने देव की कुछ अन्य कृतियाँ भी बतायी हैं जो निम्न है- (1) वृक्ष विलास (2) पावस विलास (3) ब्रह्मदर्शन पचीसी (4) तत्त्वदर्शन पचीसी, (5) आत्मदर्शन पचीसी, (6) जगदर्शन पचीसी, (7) रसानंद लहरी, (8) प्रेम दीपिका, (9) नखशिख (10) प्रेम दर्शन।
- देव कविता में 'अभिधा' को महत्त्व देते हुए 'काव्य रसायन' में लिखते हैं-
“अभिधा उत्तम काव्य है, मध्य लच्छना लीन।
अधम व्यंजना रसविरस, उलटी कहत नवीन ॥”
- डॉ० रामस्वरूप चतुर्वेदी ने 'मध्यकालीन हिन्दी काव्यभाषा' पुस्तक में लिखा है, "देव ध्वनि-संवेदनशीलता रीतिकालीन काव्यभाषा में अप्रतिम है।"
- रसलीन का मूल नाम गुलाम नबी था। ये मौर तु फैल अहमद के शिष्य थे।
- रसलीन की प्रमुख कृतियाँ निम्न हैं-
ग्रन्थ | वर्ष ई० | विषय निरूपण |
अंग दर्पण | 1737 | अंगों का उपमा, उत्प्रेक्षा से चमत्कारपूर्ण वर्णन |
रस प्रबोध | 1741 | 1155 दोहे में रसों का वर्णन। |
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हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, रीतिकाल (रीतिबद्ध कवि) से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे।
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