Study Notes रीतिकाल: रीतिबद्ध कवि भाग 2

By Mohit Choudhary|Updated : June 6th, 2022

यूजीसी नेट परीक्षा के पेपर -2 हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण विषयों में से एक है हिंदी साहित्य का रीतिकाल। इस विषय की प्रभावी तैयारी के लिए, यहां यूजीसी नेट पेपर- 2 के लिए  हिंदी साहित्य का रीतिकाल के आवश्यक नोट्स कई भागों में उपलब्ध कराए जाएंगे। रीतिकाल (रीतिकाल की काव्य धाराएं) से सम्बंधित नोट्स इस लेख मे साझा किये जा रहे हैं। जो छात्र UGC NET 2022 की परीक्षा देने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए ये नोट्स प्रभावकारी साबित होंगे।   

  • सुखदेव मिश्र के सन्दर्भ में आचार्य शुक्ल ने लिखा है, "छंदशास्त्र पर इनका सा विशद निरूपण और किसी कवि ने नहीं किया है।" 
  • सुखदेव मिश्र को राजा राजसिंह गौड़ ने 'कविराज' को उपाधि दी थी।
  • इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नांकित हैं -

(1) वृत्त विचार (1671 ई०), छंद विचार, (3) फाजिल अली प्रकाश, (4) रसार्णव (5) श्रृंगार लता, (6) अध्यात्म प्रकाश (1698), (7) दशरथ राय। 

  • तोष रसवादी आचार्य है। इनका मूलनाम तोष निधि है।
  • इनकी प्रमुख कृतियाँ हैं- (1) सुधानिधि (1634 ई०), (2) नखशिख (3) विनयशतक ।
  • कुलपति मिश्र रस ध्वनिवादी आचार्य थे। ये प्रसिद्ध कवि बिहारी लाल के भांजे थे। कुलपति मिश्र का कविता काल 1667 ई. से 1686 ई० तक माना जाता है।
  • कुलपति मिश्र की प्रमुख कृतियाँ निम्न हैं :

ग्रन्थ

वर्ष ( ई०) 

विषयवस्तु

रस रहस्य 

1670

मम्मट के रस रहस्य का छायानुवाद

द्रोण पर्व

1680

महाभारत के द्रोण पर्व का पद्यबद्ध अनुवाद

युक्तितरंगिणी (अप्राप्य )

1686

 

नखशिख (अप्राप्य )

  

संग्राम सार

  
  • डॉ० नगेन्द्र ने एक अन्य पुस्तक 'दुर्गा भक्ति चन्द्रिका' का भी उल्लेख किया है। 
  • महाकवि देव का मूल नाम देवदत्त था। देव आचार्य और कवि दोनों रूपों में प्रसिद्ध हैं।
  • देव हित हरिवंश के अनन्य सम्प्रदाय में दीक्षित थे। 
  • देव की प्रमुख रचनाएँ निम्नांकित हैं- 

ग्रन्थ विषय 

वस्तु/ आधार

भाव विलास (1689 ई०)

रस एवं नायक-नायिका भेद वर्णन 

अष्टयाम

आठ पहरों में नायक-नायिका के बीच विलास का वर्णन 

भवानी विलास

भवानीदत्त वैश्य को समर्पित

राग रत्नाकर

राग-रागिनियों के स्वरूप का वर्णन 

कुशल विलास 

कुशल सिंह के नाम पर आधारित

देवचरित

कृष्ण के जीवन से सम्बद्ध प्रबन्ध काव्य 

प्रेमचंद्रिका

उद्योत सिंह को समर्पित

जाति विलास

विभिन्न जाति एवं प्रदेशों की स्त्रियों का वर्णन

रस विलास

राजा मोतीलाल को समर्पित रचना

शब्द या काव्य रसायन

शब्द शक्ति, रसादि का वर्णन

सुखसागर तरंग

अनेक ग्रन्थों से लिए हुए कवित्त-सवैया का संग्रह

देवमाया प्रपंच

संस्कृत नाटक प्रबोध चंद्रोदय का पद्यानुवाद

देवशतक

अध्यात्म सम्बन्धी ग्रन्थ

सुजान विनोद 

 

प्रेम तरंग

 
  • 'सुख सागर तरंग' का सम्पादन मिश्र बन्धुओं के पिता बालदत्त मिश्र ने सन् 1897 ई० में किया।
  • डॉ० नगेन्द्र ने 'सुखसागर तरंग' को 'नायिका भेद का विश्वकोश' माना है। सर्वप्रथम शिवसिंह सेंगर ने देव की रचनाओं की संख्या 72 बतायी। 
  • कुछ विद्वानों ने 52 ग्रन्थों का उल्लेख किया है।
  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने देव की कुछ अन्य कृतियाँ भी बतायी हैं जो निम्न है- (1) वृक्ष विलास (2) पावस विलास (3) ब्रह्मदर्शन पचीसी (4) तत्त्वदर्शन पचीसी, (5) आत्मदर्शन पचीसी, (6) जगदर्शन पचीसी, (7) रसानंद लहरी, (8) प्रेम दीपिका, (9) नखशिख (10) प्रेम दर्शन।
  • देव कविता में 'अभिधा' को महत्त्व देते हुए 'काव्य रसायन' में लिखते हैं- 

“अभिधा उत्तम काव्य है, मध्य लच्छना लीन।

अधम व्यंजना रसविरस, उलटी कहत नवीन ॥”

  • डॉ० रामस्वरूप चतुर्वेदी ने 'मध्यकालीन हिन्दी काव्यभाषा' पुस्तक में लिखा है, "देव ध्वनि-संवेदनशीलता रीतिकालीन काव्यभाषा में अप्रतिम है।"
  • रसलीन का मूल नाम गुलाम नबी था। ये मौर तु फैल अहमद के शिष्य थे। 
  • रसलीन की प्रमुख कृतियाँ निम्न हैं- 

ग्रन्थ

वर्ष ई० 

विषय निरूपण

अंग दर्पण

1737

अंगों का उपमा, उत्प्रेक्षा से चमत्कारपूर्ण वर्णन

रस प्रबोध

1741

1155 दोहे में रसों का वर्णन।

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हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, रीतिकाल (रीतिबद्ध कवि) से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे। 

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