हिन्दी कहानी का उद्भव
- भारतीय परम्परा में कथा एवं कहानियों का इतिहास बहुत पुराना है। संस्कृत साहित्य में बृहत्कथामंजरी, कथासरित्सागर, हितोपदेश, पंचतंत्र आदि कहानियाँ हैं। यद्यपि इनमें कहानी के तत्व विद्यमान नहीं है, किन्तु इन कथाओं के माध्यम से भारतीय समाज में नीति-नैतिकता और आदर्श की शिक्षाएं मिलती हैं।
- कहानी के रूप में साहित्य की जिस विधा का अध्ययन हम करते हैं, वह पाश्चात्य साहित्य के माध्यम से हिन्दी साहित्य में आई है। हिन्दी कहानी के उद्भव और विकास में बांग्ला साहित्य का विशेष योगदान रहा है। हिन्दी कहानी, हिन्दी साहित्य की प्रमुख कथात्मक विधा है।\
- हिन्दी कहानी का वास्तविक विकास 'सरस्वती' पत्रिका के प्रकाशन वर्ष 1900 से माना जाता है, लेकिन इससे पूर्व की कहानियाँ लिखी गई थीं, जिस कारण हिन्दी की प्रथम कहानी के सम्बन्ध में विद्वानों में प्रायः मतभेद हैं-
रामरतन भटनागर ने 'मुंशी इंशा अल्ला खाँ' की रानी केतकी की कहानी (1872) को हिन्दी की प्रथम कहानी माना है। |
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने 'किशोरीलाल गोस्वामी' की इन्दुमती (1900) को हिन्दी की प्रथम मौलिक कहानी माना है। |
मौलिक देवी प्रसाद वर्मा ने 'माधवराव सप्रे' की एक टोकरी भर मिट्टी (1901) को हिन्दी कहानी माना है। |
डॉ. लक्ष्मी नारायण लाल ने 'रामचन्द्र शुक्ल' की ग्यारह वर्ष का समय (1903) को हिन्दी की पहली कहानी माना है। |
रायकृष्ण दास ने राजेन्द्र बाला घोष 'बंग महिला' की दुलाई वाली (1907) को हिन्दी की प्रथम मौलिक कहानी माना है। |
- उपरोक्त मतों के आधार पर 'इंदुमती' को हिन्दी की पहली कहानी माना जा सकता है, क्योंकि अन्य कहानियों की अपेक्षा कहानी कला के गुण इस कहानी (इन्दुमती) में अधिक देखे गए हैं।
हिन्दी कहानी की विकास यात्रा
- हिन्दी कहानी के विकास में मुंशी प्रेमचंद का महत्वपूर्ण योगदान है. उन्होंने अपने लेखन कौशल से कहानी विधा को साहित्य की मुख्य विधा के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई।
- मुंशी प्रेमचंद की कहानी विधा का आधार स्तम्भ मानते हुए हिन्दी कहानी की विकास यात्रा को चार भागों में विभक्त किया जा सकता है-
- प्रेमचंद पूर्व हिन्दी कहानी
- प्रेमचंदयुगीन हिन्दी कहानी
- प्रेमचंदोत्तर हिन्दी कहानी
- स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कहानी
प्रेमचंद पूर्व हिन्दी कहानी
- इस काल में हिन्दी कहानी अपना स्वरूप ग्रहण कर रही थी। उसकी शिल्पविधि का विकास हो रहा था और नए-नए विषयों पर कहानियाँ लिखी जा रही थीं।
- हिन्दी में कहानी मुख्यतः द्विवेदी युग से प्रारम्भ होती है, हालांकि भारतेन्दु युग या उससे पूर्व में भी कहानियां लिखी गयी, किन्तु उन्हें हिन्दी की मौलिक कहानी नहीं माना जा सकता, क्योंकि इस काल में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र सहित अन्य साहित्यकार नाटकों और निबन्धों के लेखन में अधिक सक्रिय थे।
- हिन्दी की प्रथम कहानी के अंतर्गत जिन कहानियों का उल्लेख किया गया है इसके अतिरिक्त इस काल में कुछ अन्य कहानियां भी लिखी गईं; जैसे- माधवप्रसाद मिश्र की 'मन की चंचलता, भगवान दास की 'प्लेग की चुड़ैल', वृन्दावनलाल वर्मा की 'राखी बंद भाई' और 'नकली किला', ज्वालादत्त शर्मा की 'मिलन'।
- द्विवेदी युग में कहानी साहित्य का विशेष विकास हुआ। सरस्वती, इन्दु, कविवचन सुधा, माधुरी आदि पत्रिकाओं में कहानियाँ छपने लगीं। चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' की कहानी 'उसने कहा था' इस युग की सर्वश्रेष्ठ मौलिक कहानी है। रायकृष्ण दास की कहानियाँ भावुकता और आदर्शवाद से परिपूर्ण हैं।
इस युग में बहुत सी कहानियाँ लिखी तो गयीं, किन्तु उन पर भारतीय एवं विदेशी भाषाओं की छाया है। कुछ कहानियाँ काफी लम्बी होने के कारण शुद्ध कहानी की श्रेणी में नहीं आतीं।
इस युग के कहानीकारों ने मौलिकता की अपेक्षा अनुवाद कार्य, भाषा के परिष्कार और गद्य के अन्य रूपों पर अधिक बल दिया, जिसके कारण प्रसाद और प्रेमचन्द से पूर्व कहानी साहित्य की रचना बहुत कम हुई। उनमें वास्तविक साधारण जीवन का यथार्थ चित्र न मिल सका।
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हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, 'UGC NET के कहानियों' से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे।
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