राजेन्द्र बाला घोष- चन्द्रदेव से मेरी बातें
- राजेन्द्र बाला घोष जो 'बंग महिला' के नाम से लिखती थीं, इनके द्वारा रचित कहानी ‘चन्द्रदेव से मेरी बातें' वर्ष 1904 में 'सरस्वती पत्रिका' में प्रकाशित हुई थी।
- यह पहली राजनीतिक कहानी है। इस कहानी की शैली 'कहानी शैली' नहीं है, अपितु यह कहानी पत्रात्मक शैली में लिखी गई है। इस कहानी की भाषा व्यंग्यात्मक है।
- इस कहानी में लेखिका चन्द्रदेव से संवाद कर रही है। चन्द्रदेव के अतिरिक्त अन्य किसी पात्र से लेखिका का संवाद नहीं है। अतः यह एकात्मक कहानी है।
- इस कहानी में चन्द्रदेव के माध्यम से लॉर्ड कर्जन पर तीखा व्यंग्य किया गया है। लॉर्ड कर्जन भारत के वायसराय थे तथा उन्होंने ही वर्ष 1905 में बंगाल विभाजन का बीज बोया था तथा अक्टूबर, 1905 में ही बंगाल का विभाजन भी हो गया था।
- लॉर्ड कर्जन भारत में ही अपने पद पर बने रहना चाहते थे, जबकि यहाँ की जनता उन्हें नापसन्द करती थी। इसी बात को लेखिका चन्द्रदेव से इस प्रकार कहती है कि आप इतने समय से अपने एक ही पद पर बने हुए हैं, क्या आपके डिपार्टमेण्ट में ट्रांसफर नहीं होते हैं।
- इस कहानी का केन्द्रीय विषय अर्थ नीति व राजनीति है। लेखिका हिन्दी साहित्य में नारी आधुनिकता महिला थीं।
कहानी के प्रमुख पात्र
- भगवान चन्द्रदेव इन्हें संकेत करके पत्रात्मक शैली में कहानी लेखन किया गया है।
- लेखिका बंग महिला (राजेन्द्र बाला घोष)
राधिकारमण प्रसाद सिंह- कानों में कंगना
- राधिकारमण प्रसाद सिंह हिन्दी साहित्यकार थे। कथा लेखन में उनकी शैली अत्यधिक लुभावनी थी। अतः कथा साहित्य में उन्हें 'शैली सम्राट' के रूप में स्मरण किया जाता है। ये अपने समय के सबसे लोकप्रिय कहानीकार थे। इन्होंने 50 वर्षों तक हिन्दी साहित्य की महती सेवा की।
- राधिकारमण प्रसाद सिंह द्वारा रचित कहानी 'कानों में कंगना' वर्ष 1913 में 'इन्दु' में प्रकाशित हुई। यह लेखक की एक यादगार रचना है। यह एक मार्मिक कहानी है। यह उन स्थलों का सूक्ष्म वर्णन करती है, जो मनुष्य के विवेक को जाग्रत करते हैं।
- इस कहानी में वासना और प्रेम के अन्तर को स्पष्ट किया गया है। इस कहानी का प्रारम्भिक अंश अत्यधिक आकर्षक है, किन्तु अन्त बहुत दुःखद है।
- इस कहानी द्वारा स्त्री की सामाजिक स्थिति स्वतः ही सामने आ जाती है। यह रचना पुरुष की निर्बल प्रवृत्ति और पुरुष के झूठे आकर्षण में डूबे रहने के की उसकी कमजोरी पर करारा प्रहार है।
कहानी के प्रमुख पात्र
- किरन कहानी की नायिका तथा योगीश्वर की पुत्री किरन का पति
- योगीश्वर नरेन्द्र के गुरु तथा किरन के पिता
प्रेमचन्द - ईदगाह
- प्रेमचन्द हिन्दी के युग प्रवर्तक रचनाकार हैं। साहित्य के क्षेत्र में इनका योगदान अतुलनीय है। इन्होंने अपनी कहानियों के माध्यम से लोगों को साहित्य से जोड़ने का कार्य किया।
- उनकी कहानियों में सामाजिक यथार्थ का चित्रण हुआ है तथा ये कहानियाँ समाज को सही मार्ग दिखाती हुई, सन्देश प्रस्तुत करती हैं। 'ईदगाह' प्रेमचन्द की सुप्रसिद्ध कहानी है, जो वर्ष 1933 में प्रकाशित हुई। यह बाल मनोविज्ञान पर आधारित कहानी है, जिसमें मानवीय संवेदना तथा जीवन मूल्यों को जोड़ा गया है।
- 'ईदगाह' कहानी का कथानक मुसलमानों के पवित्र पर्व 'ईद' पर आधारित है।आलोच्य कहानी की सबसे बड़ी विशेषता बाल मनोविज्ञान का सूक्ष्म चित्रण करना है, जिसके कई पक्ष कहानी में उभरते हैं। इसका सबसे प्रभावशाली चित्रण कहानी के अन्त में हुआ है।
- जहाँ प्रेमचन्द दिखाते हैं कि गरीबी और अभाव कैसे बच्चों से बचपन छीन लेते हैं तथा उन्हें बड़ों की तरह व्यवहार करने पर मजबूर कर देते हैं। इस कहानी की संवेदना बाल मनोविज्ञान के रास्ते सामाजिक राजनीतिक व्यवस्था तक भी पहुँच जाती है।
- खिलौनों को लेकर बच्चों के बीच होने वाली बातचीत के माध्यम से प्रेमचन्द ने व्यंग्यात्मक ढंग से भ्रष्टाचार, जातिवाद, न्याय व्यवस्था के लोक विरोधी रूप पर कड़ा प्रहार किया है। प्रेमचन्द ने इस कहानी में समाज में व्याप्त सामाजिक-आर्थिक असमानता को भी अभिव्यक्त किया है।
कहानी के प्रमुख पात्र
- हामिद कहानी का मुख्य पात्र है, जिसकी आयु चार-पाँच वर्ष है। वह तर्कशील तथा तीव्रबुद्धि का बालक है।
- अमीना एक वृद्ध स्त्री तथा हामिद की दादी है। हामिद के पालन पोषण की जिम्मेदारी उन्हीं पर है।
- महमूद, नूरे, मोहसिन, सम्मी कहानी के अन्य बाल पात्र हैं, जो अपने कथनों के माध्यम से कथा के विकास को गति प्रदान करते हैं।
प्रेमचन्द - दुनिया का सबसे अनमोल रतन
- 'दुनिया का सबसे अनमोल रतन' प्रेमचन्द की पहली कहानी है। यह कहानी कानपुर में प्रकाशित होने वाली उर्दू पत्रिका 'जमाना' में वर्ष 1907 में प्रकाशित हुई थी, बाद में यह कहानी प्रेमचन्द के कहानी संग्रह 'सौजे व्रतन' में संकलित की गई है।
- प्रस्तुत कहानी की भाषा उर्दू शब्दावली से युक्त है, जिस कारण कहानी में उर्दू तथा अरबी-फारसी के शब्द अधिक आए हैं। कथा को मनोरंजक बनाने वाली घटनाओं में मुहावरों तथा लोकोक्तियों का प्रयोग भी प्रचुर मात्रा में किया गया है।
- इस प्रकार कह सकते हैं कि 'दुनिया का सबसे अनमोल रतन' कहानी देशप्रेम का सन्देश देने वाली कहानी है। इसी कारण अंग्रेज़ सरकार ने 'सोजे वतन' जिसमें यह छपी थी कि प्रतिलिपि जब्त कर ली थी, ताकि लोगों में देश की स्वतन्त्रता के लिए कोई चिंगारी न जागे।
कहानी के प्रमुख पात्र
- दिलफिगार इस कहानी का मुख्य पात्र है, जो मल्लिका 'दिलफरेब' से प्रेम करता है। वह एक सच्चा प्रेमी है, जो अपनी प्रेमिका के लिए जान तक दे सकता है।
- दिलफरेब कहानी की स्त्री पात्र है, जो एक महल की मल्लिका है। वह अत्यन्त सुन्दर तथा रूपवती स्त्री है।
- काला चोर (कैदी) कहानी का एक अन्य पात्र हैं, जिसने अनेक बेगुनाहों की हत्या की थी। उसके दिल में थोड़ा भी रहम और दया नहीं थी, इसलिए उसे कैदी बनाकर फांसी दी जा रही हैं।
- एक बुजुर्ग व्यक्ति कहानी में वह पात्र है, जो दिलफिगार की हिम्मत तथा हौसला बढ़ाता है।
हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, 'UGC NET के कहानियों' से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे।
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