'तमस' - भीष्म साहनी
- भीष्म साहनी आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख स्तम्भों में से थे। इनको हिन्दी साहित्य में प्रेमचन्द की परम्परा का ही अग्रणी लेखक माना जाता है।
- भीष्म एक ऐसे साहित्यकार थे, जो बात को मात्र कह देना ही नहीं बल्कि सच्चाई और गहराई को नाप लेना भी उतना ही उचित समझते थे। वे साहित्य के माध्यम से सामाजिक विषमता व संघर्ष के बन्धनों को तोड़कर बढ़ने का आह्वान करते थे। उनके साहित्य में सर्वत्र मानवीय करुणा, मानवी मूल्य व नैतिकता विद्यमान है।
- 'तमस' भीष्म साहनी का सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है। इस उपन्यास की कथावस्त वर्ष 1947 में पंजाब में हुए भयानक साम्प्रदायिक दंगों पर आधारित है तथा इसमे लाहौर के आस-पास की सिर्फ पाँच दिन की कहानी वर्णित है। यह उपन्यास खण्डों में विभाजित है।
- पहले खण्ड में साम्प्रदायिक तनाव की कहानी कही गई। तथा दूसरे खण्ड में अनेक गाँव उपन्यास की परिधि में आ जाते हैं। विभाजन त्रासदी पर एक से बढ़कर एक कृतियाँ सामने आईं, पर भीष्म साहनी उपन्यास 'तमस' इनमें सबसे अलग है। यह एक ऐसी कृति है जिसका ना भारतीय साहित्य के इतिहास में अमिट रहेगा। देश के विभाजन, उसके बाद हा वाले लोमहर्षक दंगों और उस समय की राजनीति का जैसा चित्रण इस उपन्या हुआ है, वैसा शायद ही किसी अन्य कृति में हुआ हो।
उपन्यास के प्रमुख पात्र
- नत्थू-चमार यह उपन्यास का अज्ञानी व डरपोक पात्र है, जो लालच में सूअर को मारने का काम करता है।
- मुराद अली कट्टर लोभी व्यक्ति है। वह चालाक, षड्यन्त्रकारी, पर्दे के पीछे रहकर समुदाय को भड़काने वाला मुस्लिम चरित्र है। उपन्यास की साम्प्रदायिकता के मूल में मुराद अली ही है।
- इनके अतिरिक्त इस उपन्यास में अन्य हिन्दू पात्र, मुस्लिम पात्र तथा कई सिख पात्र हैं।
'राग दरबारी' -श्रीलाल शुक्ल
- श्रीलाल शुक्ल हिन्दी के प्रमुख साहित्यकार थे। वह समकालीन कथा-साहित्य में उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिए विख्यात थे। श्रीलाल शुक्ल अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत और हिन्दी भाषा के विद्वान् थे। उनका सबसे लोकप्रिय उपन्यास 'राग दरबारी' वर्ष 1968 में छपा।
- उपन्यास 'राग दरबारी' (1968) के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया, उनके इस उपन्यास पर एक दूरदर्शन-धारावाहिक का निर्माण भी हुआ। श्रीलाल शुक्ल को भारत सरकार में वर्ष 2008 में पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया।
- 'राग दरबारी' उपन्यास श्रीलाल शुक्ल जी का व्यंग्यपरक उपन्यास है। यह उपन्यास स्वतन्त्रता के बाद भारत के ग्रामीण परिवेश तथा अन्य क्षेत्रों में फैली अराजकता व अव्यवस्था को व्यंग्यात्मक रूप से उजागर करता है।
उपन्यास के प्रमुख पात्र
- रंगनाथ उपन्यास का मुख्य पात्र है, जो इतिहास विषय से एम. ए. करने के बाद पीएच. डी. शोध कार्य कर रहा है। रंगनाथ स्वास्थ्य लाभ हेतु अपने मामा वैद्य जी के गाँव शिवपालगंज आता है। गाँव में व्याप्त भ्रष्टाचार को देखते हुए भी वह कुछ नहीं कर पाता और समाज का एक नपुंसक विद्रोही नेता सा प्रतीत होता है।
- वैद्य जी उपन्यास के नायक पात्र के रूप में आदि से अन्त तक कथा के मुख्य केन्द्र में बने रहते हैं। वे व्यवहारकुशल, दोहरे चरित्र, स्वार्थी, रिश्वतखोर जैसे गुणों से परिपूर्ण भारतीय राजनीति के प्रतीक हैं।
- प्रिंसिपल यह छंगामल विद्यालय के प्रिंसिपल हैं, जो चाटुकार, चुगलखोर तथा अपने आप में चालाक व्यक्ति हैं।
- खन्ना लेक्चरार ये इण्टरमीडिएट कॉलेज में इतिहास के लेक्चरार हैं। दे एक शोषित अध्यापक, ईमानदार व विद्रोही तथा समझौता न करने वाला व्यक्ति है।
- बद्री पहलवान वैद्य जी का बड़ा बेटा है। यह पहलवान मनोवृत्ति वाला तथा पिता के अन्याय में साथ देने वाला उनका दाहिना हाथ है।
- रुप्पन वैद्य जी का छोटा बेटा हैं। यह आज की क्रान्तिकारी युवा पीढ़ी का प्रतीक है। परीक्षा में पास होने की रुचि न होने के कारण पिछले तीन वर्ष से दसवीं कक्षा में ही पढ़ रहा है। यह पात्र एक रंगीले नेता के रूप में हमारे समक्ष आता है।
हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, 'UGC NET के उपन्यासों' से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे।
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