'धरती धन न अपना'- जगदीश चन्द्र
- 'धरती धन न अपना' उपन्यास के रचयिता 'जगदीश चन्द्र' दलित उपन्यासकारों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इनके मन में गरीबों, मजदूरों, दलितों एवं भूमिहीन किसानो के प्रति एक सहजता व सहानुभूति जागृत हुई और उन्होंने इस कहानी में अपनी सहानुभूति को एक विचारात्मक रूप देने का प्रयास किया।
- जगदीश चन्द्र ने साहित्य, पत्रकारिता एवं समाचार सम्पादक के रूप में देश की अविस्मरणीय सेवा की। समाज का शायद ही कोई पक्ष उनकी पैनी (तेज) नज़र से छूट सका हो। उच्च वर्ग से लेकर निम्न वर्ग तक, राजनेता से लेकर निरीह जनता तक, ब्राह्मण से लेकर शुद्र तक आदि सभी की समस्या को उन्होंने हमारे सामने रखा है। इनके उपन्यासों का आधार भारतीय समाज का सर्वाधिक उत्पीड़ित वर्ग-दलित मजदूर है।
- 'धरती धन न अपना' पंजाब के दोआब क्षेत्र के दलितों की कहानी है. जिसे लेखक ने मुख्य पात्रों काली व ज्ञानों की कहानी के माध्यम से हमारे समक्ष रखा है। उपन्यास में प्रत्येक घटना इतने प्रामाणिक रूप से उस समय के सामाजिक ढाँचे को प्रस्तुत करती है कि पाठक स्वयं को उस समाज का एक अंग महसूस करने से अपने को नहीं रोक पाता।
उपन्यास के प्रमुख पात्र
- काली उपन्यास का मुख्य पात्र है, जो दलित समाज (चमार जाति) से सम्बन्ध रखता है तथा जो उच्च वर्ग ठाकुर, जमींदार, साहूकारों के अत्याचार व शोषण से पीड़ित है।
- ज्ञानो उपन्यास की मुख्य नारी पात्र तथा दृढ़ चरित्र है, जो काली से प्रेम करती है तथा अपने प्रति होते अन्याय का विरोध करना जानती है।
- नन्दसिंह दलित समाज का एक गरीब पात्र है, जो काली की भाँति सवर्ण समाज के अत्याचारों से परेशान था।
- इनके अतिरिक्त लच्छों, प्रसिन्नी, पण्डित सन्तराम, ज्ञानो की माँ, ज्ञानो का भाई आदि पात्र उपन्यास की कथा को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, 'UGC NET के उपन्यासों' से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे।
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