Strategy to Prepare Economics for UPSC Prelims

By Hemant Kumar|Updated : June 1st, 2020

Economics strategy for UPSC IAS prelims. If one is preparing for UPSC civil services examination then economics is an unavoidable part of the preparation both in prelims as well as in the mains. Also, topics from economics and related current developments are asked frequently the personality test. Given the importance, the subject has in various stages of UPSC Civil Services exam, it is imminent to give extra importance to this subject. In this article, we will discuss the best way to approach Economics for UPSC Prelims Examination. 

 

UPSC IAS के लिए अर्थशास्त्र विषय की रणनीति :  UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले हर प्रतियोगी के लिए प्रारंभिक परीक्षा के साथ-साथ मुख्य भाग की तैयारी में अर्थशास्त्र विषय एक अनिवार्य भाग है। साथ ही, अर्थशास्त्र और संबंधित वर्तमान विकास के विषयों को अक्सर व्यक्तित्व परीक्षण की जांच हेतु पूछा जाता है।  UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों में इस विषय के महत्व को देखते हुए, इस विषय पर थोड़ा अधिक प्रयास करना अनिवार्य है। इसलिए इस लेख में हम UPSC प्रारंभिक परीक्षा हेतु अर्थशास्त्र विषय तैयार करने की सर्वश्रेष्ठ विधि पर चर्चा करेंगे।   

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अर्थशास्त्र तैयार करने की रणनीति 

UPSC IAS परीक्षा के लिए अर्थशास्त्र की प्रासंगिकता:

सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए अर्थशास्त्र एक बुनियादी भाग है, जिसकी IAS परीक्षा के प्रत्येक चरण में प्रासंगिकता है। प्रारंभिक परीक्षा में इस विषय पर पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या काफी अधिक है और इस विषय की सही समझ के बिना प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करना कठिन हो जाता है। नीचे IAS प्रारंभिक परीक्षा में अंकों का विभाजन दिया गया है।

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अर्थशास्त्र के पाठ्यक्रम में शामिल हैं

  • आर्थिक और सामाजिक विकास - सतत विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र की पहल आदि।

प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के लिए अर्थशास्त्र के विस्तृत पाठ्यक्रम हेतु यहां क्लिक करें

रणनीति:

अर्थशास्त्र के अध्ययन की रणनीति बनाना आवश्यक है, इसका सबसे अच्छा तरीका अर्थशास्त्र के अध्ययन को दो चरणों में विभाजित करना है:

  • चरण 1 : विषयों की अवधारणात्मक समझ  - इसे NCERT की मूल किताबों को व्यापक रूप से पढ़कर और जीडीपी, रेपो दर, रिवर्स रेपो दर, CRR, SLR, मुद्रास्फीति, अपस्फीति, वृद्धि, विकास, समावेशी विकास, वित्तीय समावेशन, मानव विकास और अन्य जैसी शब्दावलियों को समझकर तैयार किया जा सकता है। अवधारणाओं का अच्छा ज्ञान होना भी आवश्यक है क्योंकि यूपीएससी के प्रारंभिक प्रश्नपत्र में इसी पर प्रश्न आते रहे हैं। 
  • चरण 2 : अवधारणात्मक समझ के अनुप्रयोग  - इसमें प्रतियोगी को समाचार पत्रों और पत्रिकाओं आदि का अध्ययन करते समय अपनी वैचारिक समझ को लागू करना होता है। उदाहरण के लिए जब समाचार पत्र में, RBI द्वारा रेपो दर कम करने की बात की गई हो तो प्रतियोगी को अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव का विचार करने में सक्षम होना चाहिए, जैसे कि यह उधार और निवेश को बढ़ाएगा।   
  • 2011 से पहले अर्थशास्त्र पर सवाल मौलिक और पारंपरिक प्रकृति के अधिक थे, जहां एक उम्मीदवार मानक पाठ्यपुस्तकों से मूल परिभाषाओं को पढ़ने और याद करके अच्छे अंक लाने में सक्षम था, लेकिन सवालों की प्रकृति में तब से परिवर्तन आया है। अब प्रश्न सीधे पाठ्यपुस्तकों से नहीं पूछे जाते हैं, बल्कि वे किताबों में दी गई अवधारणाओं पर आधारित होते हैं और ज्यादातर ये अवधारणाएं अर्थव्यवस्था में हाल के मौजूदा घटनाक्रमों से परस्पर जुड़ी होती हैं। उदाहरण के लिए, इस साल अर्थशास्त्र विषय से अधिकांश प्रश्न तथ्यात्मक प्रकृति के नहीं थे, बल्कि हाल की दो घटनाओं से जुड़े थे।

UPSC के लिए अर्थशास्त्र विषय के स्रोत

  • NCERT कक्षा 10 - आर्थिक विकास की समझ
  • NCERT कक्षा 11- भारतीय आर्थिक विकास
  • NCERT कक्षा 12 – समष्टिअर्थशास्त्र
  • वार्षिक आर्थिक सर्वेक्षण
  • वार्षिक वित्तीय बज़ट
  • एक कोई एक मानक अखबार
  • भारत वार्षिकी
  • संजीव वर्मा की भारतीय अर्थव्यवस्था
  • किसी भी निश्चित अवधारणा के लिए अर्थपीडिया

अर्थशास्त्र की तैयारी करते समय अध्ययन में शामिल किए जाने वाले महत्वपूर्ण विषय:

  • मूल आर्थिक संकेतक जैसे राष्ट्रीय आय, उत्पादन मूल्य सूचकांक, विदेशी व्यापार, जनसंख्या
    • भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं
    • आर्थिक गतिविधियों का विभाजन 
  • विभिन्न प्रकार की बेरोजगारी
    • गरीबी कम करने हेतु गरीबी मापने के लिए विभिन्न मापक, गरीबी का आकलन करने के लिए गठित विभिन्न समितियाँ
  • जनसंख्या
    • जनसंख्या नीति 2000
    • 2011 की जनगणना
  • खपत पैटर्न जैसे ऊर्जा खपत, ऊर्जा के स्रोत और संबंधित मुद्दे
  • राष्ट्रीय आय
    • राष्ट्रीय आय की गणना करने के लिए अलग-अलग तरीके जैसे व्यय विधि, आय विधि, मूल्य-वर्धित विधि
    • राष्ट्रीय आय और संबंधित वर्तमान मुद्दों की अवधारणा
  • कृषि
    • विभिन्न फसलें और मौसमों 
    • कृषि ऋण एजेंसियां ​​नाबार्ड, आरआरबी किसान क्रेडिट योजनाएं
    • भूमि सुधार
    • कृषि बीमा और विभिन्न योजनाएँ
    • विभिन्न प्रकार की क्रांतियां जैसे हरित क्रांति, पीली क्रांति, श्वेत क्रांति
    • सिंचाई परियोजनाएँ, उनके नाम और विभिन्न प्रकार की सिंचाई
  • विकासात्मक उपाय
  • उद्योग
    • विभिन्न औद्योगिक नीतियां और पहल 
    • लघु उद्योग, विभिन्न प्रकार के उद्योग और विभिन्न समितियाँ और उनकी सिफारिशें 
    •  औद्योगिक बीमारी
    •  प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)
    • औद्योगिक वित्त
  • मुद्रा और बैंकिंग
    • RBI और इसके नियम
    • RBI द्वारा उपयोग किए जाने वाले विभिन्न उपकरण जैसे रेपो, रिवर्स रेपो, SLR CRR, LAF
    • मुद्रास्फीति की दर में गिरावट
    • बैंकिंग क्षेत्र में नए सुधार 
    • बीमा उद्योग 
    • सहकारी बैंक, वाणिज्यिक बैंक, NBFC
    • SEBI और शेयर बाजार का विकास। इक्विटी डेब्ट ट्रेज़री बिल, म्यूचुअल फंड, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जैसे विभिन्न इंस्ट्रूमेंट्स आदि अवधारणाएं, ADR, GDR
  • विदेशी व्यापार
    • संगठन
    • योजनाएँ, एक्ज़िम नीति और अन्य कार्य
    • ब्रेटन वुड संगठन जैसे विश्व बैंक, IMF
    • विश्व व्यापार संगठन (WTO) और संबंधित मुद्दों
    • एशियाई विकास बैंक, ब्रिक्स बैंक
    • भुगतान संतुलन और संबंधित अवधारणाएँ
  • नियोजन
    • नीति आयोग
    • पंचवर्षीय योजनाएं और उनकी महत्वपूर्ण विशेषताएं
  • सार्वजनिक वित्त
    • वित्त आयोग- संगठन, सिफारिशें, करों के विचलन के लिए उपयोग किए जाने वाले मानदंड
    • विभिन्न प्रकार के कर- प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष, मूल्य वर्धित, शुल्क, टैरिफ़
    • वर्तमान कराधान सुधार और बजट से जुड़ी हाल की घटनाएं
    • सार्वजनिक व्यय और ऋण
    • FRBM अधिनियम
    • वित्त की कमी

कुछ अन्य टिप्स:

  • अर्थशास्त्र एक ऐसा विषय है जहां अवधारणा स्पष्टता प्राप्त करने के बाद प्रतियोगी को नियमित रूप से समाचार पत्रों और पत्रिकाओं से खुद को अपडेट करना पड़ता है
  • यह सलाह दी जाती है कि प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा की तैयारी को समकालिक बनाया जाना चाहिए और दोनों साथ-साथ चलनी चाहिए।
  • छोटी-छोटी गलतियों से बचने के लिए मॉक टेस्ट का अभ्यास करना बहुत महत्वपूर्ण है।

आखिर में कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। अवधारणों और विषयों पर केवल निरंतर अभ्यास से ही महारत हासिल की जा सकती है।

शुभकामनाएँ! 

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