कोलकाता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना कब हुई?
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: November 9th, 2023
कोलकाता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना 26 जनवरी 1774 में हुई थी। सर्वोच्च न्यायलय भारत की संघीय राज्यव्यवस्था का एक अहम अंग है। सविधान द्वारा दिए गए अधिकारों से जुड़े न्याय पाने के लिए देश की उच्चतम न्यायालय अंतिम जगह है। भारत में प्रथम बार इसकी स्थापना पश्चिम बंगाल की राजधानी कलकता में हुई थी। इसे 1792 में ध्वस्त कर दिया गया था और 1832 में वर्तमान भवन द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था।
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कोलकाता की सुप्रीम कोर्ट की स्थापना
1773 का रेगुलेटिंग एक्ट 1774 में पारित किया गया था। 1774 से 1862 तक, जब भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम 1861 द्वारा कलकत्ता उच्च न्यायालय की स्थापना की गई थी, इसने कलकत्ता के मेयर कोर्ट को बदल दिया और ब्रिटिश भारत के सर्वोच्च न्यायालय के रूप में कार्य किया। कोर्टहाउस, जो राइटर्स बिल्डिंग के बगल में खड़ा था, एक दो मंजिला संरचना थी जिसमें आयनिक स्तंभ और एक कलश-टॉप बेलस्ट्रेड था। एक समय पर, यह संरचना कलकत्ता टाउन हॉल के रूप में भी काम करती थी।
साल 1773 में आये रेगुलेटिंग एक्ट के तहत भारत में पहले सुप्रीम कोर्ट की स्थापना फोर्ट विलियम कोलकाता में उच्चतम न्यायलय की स्थापना वर्ष 1774 में की गयी। इस कोर्ट में कुल चार जजों की नियुक्ति हुई थी। इन चार न्यायाधीशों में एक मुख्य न्यायाधीश और तीन अन्य नियमति जज थे। इनकी नियुक्ति की प्रक्रिया अंग्रेजों ने ही पूरी करवाई थी। नीचे हमने कोलकता के सर्वोच्च न्यायालय से जुड़े कुछ जानकारियां दी है।
- 26 जनवरी 1774 को कोलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना हुई
- सर इलिजाह इम्फे (Sir Elijah Imphey) कोलकाता में बने सुप्रीम कोर्ट के प्रथम मुख्य न्यायाधीश थे।
- इस न्यायालय में ब्रिटिश राज्य की समस्याओं के अलावा उड़ीसा, बिहार और बंगाल राज्य की समस्याओं का निष्पादन होता था।
Summary:
कोलकाता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना कब हुई?
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में उच्चतम न्यायालय की स्थापना वर्ष 1774 में हुई थी। यहाँ के पहले मुख्य जज सर इलिजाह इम्फे थे। यहाँ बंगाल, उड़ीसा और बिहार राज्य से जुड़े मुकदमों का निपटारा होता था। साल 1773 में आये रेगुलेटिंग एक्ट के तहत भारत में पहले सुप्रीम कोर्ट की स्थापना फोर्ट हुई थी।
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