अनुवांशिकी के जनक कौन हैं?
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 13th, 2023
अनुवांशिक के जनक ग्रेगर जान मेण्डल है। माता और पिता से अगली पीढ़ी को आसानी से संचरित होने वाले मौलिक गुण ही आनुवांशिक गुण कह जाते हैं। आनुवांशिक गुणों के अगली पीढ़ी में संचरण की प्रक्रिया और उसके कारणों का विस्तार से अध्ययन ही आनुवांशिकी कहलाता है। ग्रेगर जान मेंडल को अनुवांशिकी जनक को कहा जाता है।
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अनुवांशिकी के जनक
जेनेटिक्स जीन और आनुवंशिकता का वैज्ञानिक अध्ययन है – डीएनए अनुक्रम में परिवर्तन के परिणामस्वरूप माता-पिता से संतानों में कुछ विशेषताओं या विशेषताओं को कैसे पारित किया जाता है। एक जीन डीएनए का एक खंड है जिसमें एक या एक से अधिक अणुओं के निर्माण के निर्देश होते हैं जो शरीर के कामकाज में सहायता करते हैं।
आनुवंशिकी के जनक ग्रेगोर जोहान मेंडल हैं। Heinzendorf वह जगह थी जहां उनका जन्म 1822 में हुआ था। उन्होंने 1856 में मटर के पौधों पर अपना आनुवंशिक अध्ययन शुरू किया और 1863 में उन्हें पूरा किया। उन्होंने पौधे की ऊंचाई, बीजों के रूप और रंग, स्थान और रंग पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया। फूल, और फली का आकार और रंग, जो मटर के पौधों की पहली सात विशेषताएं बनाते हैं।
उनके शोध के निष्कर्षों के आधार पर, अवलोकन के माध्यम से वंशानुक्रम के तीन बुनियादी नियमों की पहचान की गई। उनके तीन नियम प्रभुत्व, अलगाव और स्वतंत्र वर्गीकरण के नियम हैं।
- इकाई का नियम – यह सबको पता होता है कि किसी जीव में अनेक व्यक्तिगत लक्षण होते हैं। हर प्राणी के प्रत्येक लक्षण स्वतंत्र होता है। हर एक ऐसे लक्षण को इकाई लक्षण कहते हैं। उदाहरण के लिए जैसे किसी पौधे या पेड़ का लंबा या बौना होना होता है। यह आनुवंशिकता का पहला नियम है।
- प्रभाविता का नियम – जब दो विपरीत एलील किसी जीवधारी में एक साथ आते हैं, तब उनमें से केवल एक बाहरी रुप से दिखाई पड़ता है और दूसरा दबा हुआ रहता है।
- पृथकरण का नियम – इस सिद्धांत को युग्मको कि शुद्धता का सिद्धांत भी कहा जाता है।
Summary:
अनुवांशिकी के जनक कौन हैं?
ग्रेगर जान मेंडल अनुवांशिकी के जनक हैं। यह बायोलॉजी की वह शाखा है जिसमें अन्तर्गत आनुवंशिकता (हेरेडिटी) का अध्ययन किया जाता है। जब एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में संचारित होने वाले लक्षण आनुवंशिक लक्षण कहलाते हैं।
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