सामाजिक सशक्तिकरण: सामाजिक सशक्तिकरण का अर्थ, प्रकार और विभिन्न आयाम UPSC
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: November 14th, 2023
सामाजिक सशक्तिकरण वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से समाज के वंचित वर्ग अपनी गौण स्थिति से ऊपर उठ कर आत्मनिर्भरता प्राप्त कर सकते हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से उनके रहने की स्थिति में सुधार, शिक्षा और अन्य विकासात्मक सेवाओं तक पहुंच के अवसर प्रदान किए जाते हैं। सामाजिक सशक्तिकरण व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों स्तरों पर होता है।
सरकार बहुआयामी रणनीति को अपनाकर समाज के विभिन्न वर्गों को सशक्त बनाने का प्रयास कर रही है। सरकारी योजनाएं UPSC परीक्षा का एक महत्वपूर्ण खंड हैं, और इन प्रश्नों के उत्तर देने में सक्षम होने हेतु अभ्यर्थी को सामाजिक सशक्तिकरण के सभी आयामों को कवर करना चाहिए।
Table of content
- 1. सामाजिक सशक्तिकरण
- 2. भारत में सामाजिक सशक्तिकरण की पहल
- 3. सामाजिक सशक्तिकरण पहल – महिला सशक्तिकरण
- 4. गरीब और सीमांत वर्गों के लिए सामाजिक सशक्तिकरण पहल
- 5. वरिष्ठ नागरिकों के लिए सामाजिक सशक्तिकरण पहल
- 6. सामाजिक सशक्तिकरण पहल – दिव्यांग समूह
- 7. अनुसूचित जनजातियों के लिए सामाजिक सशक्तिकरण
- 8. सामाजिक सशक्तिकरण और साम्प्रदायिकता
- 9. सामाजिक सशक्तिकरण और क्षेत्रवाद
- 10. सामाजिक सशक्तिकरण की आवश्यकता
- 11. सामाजिक सशक्तिकरण UPSC
सामाजिक सशक्तिकरण
सामाजिक सशक्तिकरण लोगों को उनके अधिकारों और उत्तरदायित्वों के प्रति जागरूक करने एवं सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सशक्त करने की एक प्रक्रिया है। भारत में सामाजिक सशक्तिकरण को इस प्रकार परिभाषित किया गया है: “सामाजिक सशक्तिकरण एक ऐसी स्थिति है जिसमें सभी व्यक्ति विशेष रूप से उनकी स्वास्थ्य देखभाल की जरूरतों, शिक्षा के स्तर और रोजगार के अवसरों से संबंधित निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में भाग ले सकते हैं।”
सामाजिक सशक्तिकरण का अर्थ सभी लोगों को भोजन, आश्रय और शिक्षा जैसे बुनियादी संसाधनों तक पहुँच प्रदान करना है। इसका अर्थ नस्ल या लैंगिक पहचान की परवाह किए बिना प्रत्येक व्यक्ति के लिए समान पहुंच सुनिश्चित करना भी है, इसलिए युवा विकास पर केंद्रित शैक्षिक कार्यक्रमों (जिसमें पालन-पोषण कौशल शामिल हो सकते हैं) के माध्यम से सामाजिक न्याय प्राप्त करते समय सभी के पास समान अवसर होते हैं।
भारत में सामाजिक सशक्तिकरण की पहल
प्रशासन हमारे समाज के भीतर विभिन्न समूहों को सशक्त बनाने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण का उपयोग कर रहा है। भारत में प्रमुख सामाजिक सशक्तिकरण पहलें निम्नलिखित से संबंधित हैं:
- महिला सशक्तिकरण
- गरीब और सीमांत वर्ग
- वरिष्ठ नागरिकों का सामाजिक सशक्तिकरण
- दिव्यांगों के लिए
- अनुसूचित जनजातियों का सामाजिक सशक्तिकरण
सामाजिक सशक्तिकरण पहल – महिला सशक्तिकरण
महिला सशक्तिकरण महिलाओं को उनके अधिकारों का प्रयोग करने और पुरुषों के साथ समानता प्राप्त करने में सक्षम बनाने की एक प्रक्रिया है। संक्षेप में, यह महिलाओं को पुरुषों की तुलना में बेहतर जीवन जीने की अनुमति देने वाले अवसरों को प्रदान करना है।
- बेटी बचाओ, बेटी पढाओ (BBBP): BBBP भारत सरकार का एक अभियान है जिसका उद्देश्य विशेष रूप से लड़कियों के शैक्षिक अधिकार को लेकर जागरूकता का प्रसार करना और कल्याणकारी सेवाओं की दक्षता में सुधार करना है।
- प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना (PMMVY): PMMVY महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित एक मातृत्व लाभ कार्यक्रम है, जो नकद प्रोत्साहन के रूप में वेतन की हानि के लिए आंशिक मुआवजा प्रदान करता है ताकि महिला पहले जीवित बच्चे के प्रसव पूर्व और पश्चात में पर्याप्त आराम कर सके।
- वन-स्टॉप सेंटर योजना: वन-स्टॉप सेंटर (OSC) महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार की एक पहल है। OSC को जनवरी 2014 में लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न और स्टाकिंग के पीड़ितों को सेवाओं का एक व्यापक पैकेज प्रदान करना है।
गरीब और सीमांत वर्गों के लिए सामाजिक सशक्तिकरण पहल
गरीब और सीमांत वर्ग सामाजिक बहिष्कार, गरीबी और बेरोजगारी से सबसे अधिक प्रभावित हैं। ये जाति-आधारित भेदभाव, धार्मिक भेदभाव और लिंग-आधारित हिंसा (GBV) का भी अनुभव करते हैं। इसके अलावा, वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण गरीब और सीमांत समूह आमतौर पर शिक्षा के अवसरों से वंचित होते हैं।
यह स्कूल स्तर पर कम भागीदारी का कारण बन सकता है, जिससे ये ऐसे अवसरों का लाभ उठाने में असमर्थ हो जाते हैं या शिक्षा से बाहर हो जाते हैं! गरीबी को कम करने के प्रयासों का उद्देश्य उन लोगों की मदद करना है जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा इसकी जरूरत है – जिसमें गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवार भी शामिल हैं।
प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY)
- भारत के सबसे गरीब वर्ग जिनके पास लॉन्च से पहले औपचारिक बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच नहीं थी को बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करने के लिए 2014 में प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) की शुरुआत की गई थी।
- इस योजना का उद्देश्य 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी वयस्कों को आधार सत्यापन प्रक्रिया के माध्यम से बैंक खाता खोलने के छह महीने के भीतर औपचारिक वित्तीय ढांचे में लाना है।
- PMJDY वित्तीय समावेशन के लिए एक राष्ट्रीय मिशन है जो वित्तीय सेवाओं जैसे कि बैंकिंग बचत और जमा खातों, प्रेषण, क्रेडिट, बीमा और पेंशन को वहनीय तरीके से सुनिश्चित करता है।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY)
- प्रधान मंत्री मुद्रा योजना (PMMY) की शुरुआत 2015 में सूक्ष्म इकाई विकास एजेंसी (मुद्रा), बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के माध्यम से कम लागत वाले ऋण प्रदान करने हेतु की गई थी।
- इन निधियों का उपयोग उनकी जरूरतों और लक्ष्यों के अनुसार किसी भी आजीविका गतिविधि जैसे व्यापार, निर्माण या सेवा व्यवसायों के लिए किया जा सकता है।
- PMMY की तीन श्रेणियां हैं, शिशु (50,000/- रुपये तक), किशोर (50,001/- रुपये और 2 लाख रुपये के बीच), और तरुण (2 लाख रुपये और 5 लाख रुपये के बीच)।
कौशल भारत मिशन
- कौशल भारत मिशन की शुरुआत 2015 में विभिन्न उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुरूप देश के युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए की गई थी।
- राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन का उद्देश्य कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से रोजगारपरक कौशल में वृद्धि कर शिक्षा को उद्योग केंद्रित बनाना है।
- प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (PMAGY) एक फ्लैगशिप योजना है जिसका लक्ष्य बुनियादी सुविधाओं के साथ आदर्श गांवों को विकसित करना है।
बेटी बचाओ बेटी पढाओ (BBBP) योजना के तहत लड़कियों और महिलाओं के लिए छात्रवृत्ति शुरू की गई है। BBBP योजना के तहत, कम आय वाले परिवारों की लड़कियों के मध्य शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु छात्राओं के लिए प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति का प्रावधान है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए सामाजिक सशक्तिकरण पहल
भारत में वरिष्ठ नागरिकों का सामाजिक सशक्तिकरण एक प्रमुख मुद्दा है। वृद्ध लोगों की संख्या में वृद्धि के साथ, उनकी स्वतंत्रता और सम्मान सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन यह उनके सम्मानित जीवन जीने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
इस समस्या का समाधान करने के लिए, हम चर्चा करेंगे कि सामाजिक सशक्तिकरण किस प्रकार आपको कम वित्त में बेहतर जीवन जीने में मदद कर सकता है:
अटल पेंशन योजना
- यह योजना निजी कंपनियों या बीमा कंपनियों (65 वर्ष) की तुलना में कम उम्र में सेवानिवृत्ति लाभ प्रदान करती है।
- यह रोजगार प्राप्त करने और पेंशन प्राप्त करने के बीच प्रतीक्षा अवधि की बाध्यता को भी समाप्त करता है; आप EPFO अधिनियम 2006 (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) के तहत पंजीकृत किसी भी संगठन में 15 साल की सेवा पूरी करने के बाद उसे तुरंत प्राप्त कर सकते हैं।
राष्ट्रीय वयोश्री योजना: इस कार्यक्रम का उद्देश्य बाढ़, आदि जैसी आपात स्थितियों में बीमारी या चोटों के दौरान हुई स्वास्थ्य देखभाल की लागत के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है, बशर्ते वे 1 मार्च, 2017 से 31 दिसंबर, 2020 तक सदस्य के रूप में लगातार काम कर रहे हों। .
प्रधानमंत्री वय वंदना योजना: यह योजना मधुमेह मेलिटस टाइप II, अस्थमा, आदि जैसी दीर्घकालिक बीमारियों के कारण होने वाले चिकित्सा व्यय के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। यदि आप बीमारी के कारण काम नहीं कर सकते हैं तो यह नकद भुगतान जैसे प्रोत्साहन भी प्रदान करती है।
सामाजिक सशक्तिकरण पहल – दिव्यांग समूह
सामाजिक सशक्तिकरण सामाजिक क्षेत्र का एक प्रमुख घटक है, जिसका उद्देश्य दिव्यांग लोगों के लिए अवसरों में वृद्धि करना है। इसमें गतिविधि के कई अलग-अलग रूप शामिल हैं और 1990 के दशक के मध्य से शुरुआत के बाद से यह कई देशों में विकास प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।
सामाजिक सशक्तिकरण दिव्यांग लोगों को शिक्षा, रोजगार और स्वतंत्र जीवन तक पहुंच प्रदान करके पूरी क्षमता हासिल करने में सक्षम बनाना है। इस अवधारणा को विभिन्न क्षेत्रों में लागू किया गया है, जिसमें स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं, कानूनी अधिकार (आवास), अवकाश सुविधाएं जैसे पार्क या स्विमिंग पूल, परिवहन सेवाएं आदि शामिल हैं।
अनुसूचित जनजातियों के लिए सामाजिक सशक्तिकरण
अनुसूचित जनजाति (STs) लोगों का एक विषम जातीय समूह है। ये स्वयं को भारत के सबसे वंचित, कमजोर और पिछड़े समुदाय के रूप में परिभाषित करते हैं। अनुसूचित जनजाति में आधी से अधिक आबादी दलितों की है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग की जांच रिपोर्ट संख्या 6-2001 में अनुसूचित जनजातियों को 9वें स्थान पर और साथ ही पिछड़े वर्गों (BCs) को सूची में 12वें स्थान पर सूचीबद्ध किया गया है।
ST समुदाय प्राचीन काल से ही वैश्वीकरण से प्रभावित रहे हैं; इनका विभिन्न प्रकार से विस्थापन हुआ है, जिसमें युद्ध के कारण जबरन प्रवास भी शामिल है।
सामाजिक सशक्तिकरण और साम्प्रदायिकता
सामाजिक सशक्तिकरण सांप्रदायिक सद्भाव की दिशा में एक कदम है। इसका उद्देश्य ऐसी परिस्थितियाँ निर्मित करना है जो लोगों को स्वयं के जीवन के विकास में रुचि लेने और उन्हें सामाजिक रूप से उत्तरदायी बनाने के लिए प्रेरित करे।
पिछले दस वर्षों में लोगों में सामाजिक चेतना का उदय हुआ है। उन्होंने यह महसूस किया है कि वे निर्माता और उपभोक्ता हैं और इसलिए जहाँ तक संभव हो अपनी और अपने परिवार की देखभाल करने के लिए बाध्य महसूस करते हैं। वे समझते हैं कि यह आवश्यक है ताकि वे एक सुखी जीवन व्यतीत कर सकें और राष्ट्र निर्माण या सामाजिक उत्थान में योगदान दे सकें।
सामाजिक सशक्तिकरण और क्षेत्रवाद
सामाजिक सशक्तिकरण लोगों को एक विशेष समुदाय से जुड़े होने का एहसास दिलाता है, जिससे उन्हें समाज का हिस्सा होने का एहसास होता है। इससे उनके लिए उनकी एक पहचान जिस पर वे गर्व करें संभव हो पता है।
क्षेत्रवाद को बढ़ावा देने में सामाजिक सशक्तिकरण की भूमिका को उन जातीय समूहों पर इसके प्रभाव के माध्यम से देखा जा सकता है जो प्रवासन या जबरन धर्म परिवर्तन के कारण समय के साथ मुख्यधारा के समाजों में आत्मसात हो गए हैं।
सामाजिक सशक्तिकरण की आवश्यकता
सामाजिक सशक्तिकरण लोगों को उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में सक्षम बनाने की एक प्रक्रिया है। यह समाज, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है। सामाजिक सशक्तिकरण व्यक्तियों या समूहों को ज्ञान और कौशल के साथ सशक्त बनाकर जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर रहा है जो उन्हें अपने भाग्य को आकार देने में सक्षम करता है। सामाजिक सशक्तिकरण में नागरिकों को उनके जीवन के बारे में सूचित निर्णय लेने के लिए आवश्यक अवसर, संसाधन और जानकारी प्रदान करना शामिल है, इस प्रकार उनका अपने भविष्य पर अधिक नियंत्रण होता है।
यह भारत में सामाजिक सशक्तिकरण की आवश्यकता को रेखांकित करता है। इसके लिए कार्य करना हम सभी के लिए एक चुनौती है। हम एकीकृत प्रयासों के माध्यम से कुछ सफलता हासिल करने में सफल रहे हैं, लेकिन अभी भी कई ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
सामाजिक सशक्तिकरण UPSC
UPSC पाठ्यक्रम में सरकारी योजनाओं के तहत सामाजिक सशक्तिकरण का उल्लेख है। इसके बारे में गहराई से ज्ञान होना महत्वपूर्ण है ताकि उम्मीदवार इस विषय पर बहुविकल्पीय और व्याख्यात्मक दोनों तरह के प्रश्नों का उत्तर दे सकें। उम्मीदवारों को इस विषय से पूछे गए प्रश्नों के प्रकारों को स्पष्ट रूप से समझने के लिए UPSC के विगत वर्ष के प्रश्न पत्रों को देखना चाहिए।
सामाजिक सशक्तिकरण UPSC प्रश्न
प्रश्न: सामाजिक सशक्तिकरण है
- एक प्रक्रिया जिसमें एक व्यक्ति अधिक सामाजिक बनना चाहता है
- एक प्रक्रिया जिसमें एक समाज अपनी सामाजिक भूमिकाओं में समानता की दिशा में कार्य करता है
- एक प्रक्रिया जिसमें एक समाज आबादी के कुछ हिस्सों का दमन करने की कोशिश करता है
- एक प्रक्रिया जिसमें एक व्यक्ति दूसरों की तुलना में अधिक शक्तिशाली हो जाता है
उत्तर: सामाजिक सशक्तिकरण वह प्रक्रिया है जिसमें समाज अपनी सामाजिक भूमिकाओं में समानता की दिशा में कार्य करता है।
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न: सामाजिक सशक्तिकरण और वंचित वर्गों तथा समग्र रूप से समाज के लिए इसके महत्व का वर्णन कीजिए।