मानसून से पहले होने वाली वर्षा जो केरल और कर्नाटक के तटीय क्षेत्रो में सामान्य घटनाएं है, उन्हें किस रूप में जाना जाता है?
By Balaji
Updated on: February 17th, 2023
मानसून से पहले होने वाली वर्षा जो केरल और कर्नाटक के तटीय क्षेत्रो में सामान्य घटनाएं है, उन्हें आम्र वर्षा के रूप में जाना जाता है। आम्र वर्षा को कभी-कभी ग्रीष्मकालीन वर्षा या अप्रैल की वर्षा के नाम से भी जाना जाता है। ये घटना ज्यादातर दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के हिस्सों में होती है। ये अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में आंधी के कारण हैं। इन्हें अप्रैल की बारिश या ग्रीष्म वर्षा के रूप में भी जाना जाता है।
Table of content
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1. केरल और कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों में मानसून-पूर्व की बौछारें
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2. मानसून से पहले होने वाली वर्षा जो केरल और कर्नाटक के तटीय क्षेत्रो में सामान्य घटनाएं है, उन्हें किस रूप में जाना जाता है?
केरल और कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों में मानसून-पूर्व की बौछारें
गर्मियों में, सूर्य की इस गति के कारण एक विशिष्ट स्थान का तापमान बढ़ जाता है। इस घटना को स्थानीय ताप के रूप में जाना जाता है। स्थानीय तापन के कारण हवा के ऊपर उठने की विशेषता ही तड़ितझंझा का कारण बनती है। परिणामस्वरूप मानसून से पहले वर्षा होती है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, विशेषकर केरल और कर्नाटक के तटों पर प्री-मानसून वर्षा अधिक हो जाती है।
ये वर्षा आमों को जल्दी पकने में मदद करती है, इसलिए इन्हें ‘मैंगो शावर या आम्र वर्षा’ कहा जाता है। इस बारिश के आने का समय पता नहीं चल पता है। इन बौछारों की मुख्य विशेषताएं वर्षा होती हैं जो संवहनी होती हैं। प्री-मानसून के महत्वपूर्ण बिंदु हैं:
- ग्रीष्म ऋतु में सूर्य उत्तर दिशा में चलता है और सूर्य की इस गति के कारण तापमान एक विशिष्ट स्थान पर बढ़ जाता है।
- हमारे देश में कई समुदाय आम्र वर्षा के आगमन का जश्न मनाते हैं और आम की बारिश का स्वागत करने के लिए कई त्योहार भी मनाए जाते हैं।
Summary:
मानसून से पहले होने वाली वर्षा जो केरल और कर्नाटक के तटीय क्षेत्रो में सामान्य घटनाएं है, उन्हें किस रूप में जाना जाता है?
मानसून से पहले होने वाली वर्षा, आम्र वर्षा जो केरल और कर्नाटक के तटीय क्षेत्रो में सामान्य घटनाएं के रूप मे जानी जाती है। इसे आम्र वर्षा इसलिए कहते है क्योंकि ये वर्षा आमों को जल्दी पकने में मदद करती है। इस वर्षा के आने का समय नहीं होता है लेकिन अप्रैल माह के बाद ही आती है। इन वर्षा की मुख्य विशेषताएं संवहन वर्षा हैं।
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