खजुराहो के मंदिर किस मत से हैं?
By BYJU'S Exam Prep
Updated on: September 13th, 2023
खजुराहो के मंदिर जैन, वैष्णव और शैव मत से संबंधित है। खजुराहो चंदेल वंश की पुरानी राजधानी थी, जहाँ जैन, वैष्णव और शैव मत के मंदिर बनाये गए है। वही इन तीनो मतो के अपने विशाल मंदिर भी है। जैसे जैन धर्म का सबसे बड़ा मंदिर जिननाथ मन्दिर है, वैष्णव धर्म का रामचंद्र मन्दिर और शैव मत से सम्बन्धित सबसे बड़ा मन्दिर कण्डारिया महादेव मंदिर है।
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खजुराहो मंदिर
खजुराहो स्मारकों का समूह छतरपुर जिले, मध्य प्रदेश, भारत में झांसी से लगभग 175 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में हिंदू और जैन मंदिरों का एक समूह है। वे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल हैं। मंदिर अपनी नागर-शैली की स्थापत्य प्रतीकात्मकता और कुछ कामुक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं।
जिस समय इन स्मारकों का निर्माण किया गया था उस समय क्षेत्र के लड़के ब्रह्मचर्य के रूप में आश्रमों में रहते थे जब तक कि वे मर्दानगी तक नहीं पहुँचे, और इन मूर्तियों ने उन्हें “गृहस्थ” की सांसारिक भूमिका के बारे में सीखने में सहायता की। खजुराहो परिसर में हिंदू और जैन मंदिरों के एक साथ निर्माण से पता चलता है कि स्थानीय जैनियों और हिंदुओं का अलग-अलग धार्मिक दृष्टिकोणों के प्रति सम्मान और सहिष्णुता का इतिहास रहा है।
- अधिकांश खजुराहो मंदिर चंदेल वंश द्वारा 885 ईस्वी और 1000 ईस्वी के बीच बनाए गए थे।
- ऐतिहासिक अभिलेखों से पता चलता है कि खजुराहो मंदिर स्थल में 12 वीं शताब्दी तक 85 मंदिर थे, जो 20 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए थे।
- वर्त्तमान समय में इनमें से केवल 25 मंदिर ही बचे हैं, जो छह वर्ग किलोमीटर में फैले हुए हैं।
- बचे हुए मंदिरों में से, कंदरिया महादेव मंदिर को प्राचीन भारतीय कला के जटिल, प्रतीकवाद और अभिव्यक्ति के साथ सजाया गया है।
Summary:
खजुराहो के मंदिर किस मत से हैं?
खजुराहो मंदिरों का समूह राजपूत चंदेल वंश के शासन के दौरान बनाया गया था और यहाँ के मंदिर जैन, वैष्णव और शैव मत से जुड़े है। जैसे ही राजपूत चंदेल वंश सत्ता में आये उन्होंने अपने पूरे राज्य में ही परिसर का निर्माण शुरू करवा दिया, जिसे बाद में बुंदेलखंड के नाम से जाना जाने लगा। मंदिर अपने नागर शैली के स्थापत्य प्रतीकवाद और कुछ कामुक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं।
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