फास्फोरस चक्र एक अवसादी चक्र है। यह लेख हमारी “जैवरासायनिक चक्र” श्रृंखला का एक हिस्सा है, जोकि संघ लोक सेवा आयोग, राज्य लोक सेवा आयोग तथा दूसरी प्रतियोगी परीक्षों के लिए महत्वपूर्ण है। यहाँ हमने परीक्षा के दृष्टिकोण से फास्फोरस चक्र के संबंध में सभी संबंधित बातों पर खुलकर चर्चा की है।
फास्फोरस चक्र
स्थलमंडल, जलमंडल और जैवमंडल से फास्फोरस के आवागमन और रासायनिक रूपांतरण को फास्फोरस चक्र कहा जाता है।
फास्फोरस की गति में वायुमंडल की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं होती है क्योंकि फास्फोरस अथवा फास्फोरस से बने यौगिक पृथ्वी पर तापमान और दाब की सामान्य परिस्थितियों में ठोस अवस्था में पाए जाते हैं। अधिकांश फास्फोरस अवशेष चट्टानों, अवसादों और महासागरीय तल के अंदर मौजूद रहते हैं, केवल कुछ भाग ही जीवित प्राणियों में पाया जाता है। पारिस्थितिकी तंत्र में फास्फोरस की गति पोषण स्तरों में पौधों की वृद्धि, शाकाहारी और मांसाहारी जीवों द्वारा होती है।
नोटः फास्फोरस प्रभावशाली उवर्रक होते हैं लेकिन इनके कारण झीलों और नदियों में प्रदूषण भी फैलता है। इनके अत्यधिक छिड़काव से शैवाल आधिक्य हो जाता है। शैवाल की अधिकता होने के कारण जीवाणुओं द्वारा भक्षण बढ़ जाता है, जिससे अधिक जीवाणु घनत्व बढ़ जाता है। इस प्रक्रिया में, जीवाणु कोशिकीय श्वसन के लिए जल में घुली अधिकांश ऑक्सीजन को अवशोषित कर लेते हैं और ऑक्सीजन की कमी के कारण अधिकांश मछलियाँ जल में मर जाती हैं।
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