पानीपत के तीन युद्ध, Battle of Panipat in Hindi - कारण, परिणाम

By Trupti Thool|Updated : November 20th, 2022

पानीपत का युद्ध: पानीपत हरियाणा में 56 वर्ग किमी में फैला एक छोटा सा जिला है, जो करनाल लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यह जिला देश और विदेश में हथकरघा के लिए प्रसिद्ध है। भारतीय इतिहास की दृष्टि से यह बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इस जिले के युद्धों ने भारत के इतिहास को पूरी तरह से बदल कर रख दिया। इस लेख में पानीपत में हुए तीन महत्वपूर्ण युद्ध के बारे में चर्चा करेंगे। इस युद्ध को पानीपत का युद्ध के नाम से जाना जाता है।

आप यहाँ Battle of Panipat in Hindi में पढ़ पाएंगे| इस लेख में आप पानीपत के युद्ध के बारे में जानकारी लेंगे | जानें की पानीपत का युद्ध यानी पानीपत का प्रथम युद्ध, पानीपत का द्वितीय युद्ध और पानीपत का तृतीया युद्ध कब हुआ और किस किस के बीच हुआ था | पानीपत युद्ध से इस प्रकार के सवाल ज़्यादातर सरकारी परीक्षा में पूछे जाते हैं|

Table of Content

पानीपत का युद्ध, Battle of Panipat in Hindi

हरियाणा के पानीपत के मैदान में तीन युद्ध लड़े गए थे, जो भारतीय इतिहास में इसलिए अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं क्योंकि पानीपत के युद्ध ने भारतीय इतिहास की दिशा में बड़ा परिवर्तन लाया था। पानीपत का युद्ध मध्य काल के दौरान हुआ था, जिसके विभिन्न परिणाम हुए थे। पानीपत में 1526, 1556 और 1761 तीन महत्वपूर्ण युद्ध लड़े गए थे, जिसकी जानकारी इस प्रकार है:

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पानीपत का पहला युद्ध (1526 ईस्वी), 1st Battle of Panipat

पानीपत का पहला युद्ध 1526 ईस्वी में इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच हुआ था, जिसमें ब्राहिम लोदी की हार और बाबर की विजय हुई थी। पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर की विजय के साथ ही मुगल वंश की स्थापना हुई थी तथा दिल्ली सल्तनत की समाप्ति हुई ।

पानीपत का युद्ध PDF

पानीपत के प्रथम युद्ध के परिणाम, Result of 1st Battle of Panipat

  • पानीपत के प्रथम युद्ध के पश्चात लोदी वंश के साथ-साथ दिल्ली सल्तनत का भी पतन हो गया था ।
  • इस युद्ध में बाबर की विजय हुई तथा युद्ध समाप्त होने के बाद उसको दिल्ली से अपार धन की प्राप्ति हुई जिसको उसने अपनी प्रजा एवं सैनिकों में बाँट दिया था।बाबर द्वारा पंजाब पर पहले ही अधिकार कर लिया गया था और युद्ध के पश्चात उसने दिल्ली और आगरा में भी अधिकार कर लिया गया था ।
  • बाबर एक विशाल साम्राज्य का स्वामी बन गया और उसने भारत में 1526 ई. में एक नए साम्राज्य 'मुगल साम्राज्य' की स्थापना की।
  • पानीपत के युद्ध के बाद मुगलों ने भारत में धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना की जिसमें उन्होंने धर्म को राजनीति से अलग करके सभी धर्मों के व्यक्तियों के साथ समानता के व्यवहार को अपनाया ।

पानीपत का दूसरा युद्ध (1556 ईस्वी), 2nd Battle of Panipat

1530 ईस्वी में बाबर की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र हुमायूँ मुगल शासक बना था। 1540 ईस्वी में ‘बिलग्राम के युद्ध’ (कन्नौज के युद्ध) में शेरशाह सूरी ने हुमायूँ को पराजित कर भारत छोड़ने पर विवश कर दिया। वर्तमान हरियाणा के रेवाड़ी का एक नमक विक्रेता ‘हेमू’ अपनी योग्यता के दम पर अफगान शासन का हिस्सा बन चुका था। हेमू की सैन्य व कूटनीतिक प्रतिभा से प्रभावित होकर मोहम्मद आदिल शाह ने उसे अपना वजीर नियुक्त किया। हेमू ने पानीपत के दूसरे युद्ध में अफ़गानों का नेतृत्व किया था।

पानीपत की तीसरी लड़ाई (1761 ईस्वी), 3rd Battle of Panipat

पानीपत का तीसरा युद्ध अहमद शाह अब्दाली और मराठों के बीच लड़ा गया था और इस युद्ध में मराठों को पराजय का सामना करना पड़ा था।

पानीपत के तीसरे युद्ध के कारण, Reason for 3rd Battle of Panipat

मराठा द्वारा मुगल दरबार में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप किये जाने के उद्देश्य से ही पानीपत के तीसरे युद्ध की शुरुआत हुई थी । मराठों ने कश्मीर, मुल्तान और पंजाब जैसे क्षेत्रों पर भी आक्रमण किया। यहाँ अहमद शाह अब्दाली के सूबेदार शासन कर रहे थे। अतः इससे अहमद शाह अब्दाली को प्रत्यक्ष चुनौती मिली। अतः अब्दाली ने पंजाब पर आक्रमण कर पुनः अधिकार कर लिया। आगे बढ़कर अब्दाली ने दिल्ली पर भी अधिकार कर लिया और मराठों को चुनौती दी।

पानीपत के तीसरे युद्ध के परिणाम, Result of 3rd Battle of Panipat

मराठा, हिंदू योद्धाओं का एक समूह, उत्तरी भारत में आगे बढ़ने में सक्षम थे, लेकिन अखिल भारतीय मराठा साम्राज्य का उनका सपना तब टूट गया जब उन्होंने 1818 में एक भारतीय सेना को खदेड़ दिया। कई सक्षम और बहादुर मराठा सरदारों और सैनिकों को मार डाला गया। मराठा कमजोर और आसानी से जीत लिए जाने वाले लोग थे जिनके पास अपनी रक्षा के लिए संसाधन नहीं थे। इस वजह से औपनिवेशिक शासन आसानी से प्रशस्त हो सका।

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