उत्तर प्रदेश बजट (2020-21) सारांश
उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री श्री सुरेश कुमार खन्ना ने 18 फरवरी, 2020 को वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए उत्तर प्रदेश का बजट पेश किया था। वर्ष 2020-21 की बजट राशि 5,12,860 करोड़ रुपये है जो राज्य के इतिहास का सबसे बड़ा बजट था।
राज्य के लिए बजट का संवैधानिक प्रावधान
- भारत के संविधान के अनुच्छेद 202 के अनुसार, किसी राज्य के राज्यपाल को राज्य के विधानमंडल के सदन या सदनों के समक्ष एक वित्तीय वर्ष के लिए राज्य की अनुमानित प्राप्तियों और खर्च का विवरण देना होगा।
- किसी वित्तीय वर्ष के लिए प्राप्तियों और खर्च का यह अनुमानित विवरण संविधान में "वार्षिक वित्तीय विवरण" के रूप में दर्ज है जिसे आमतौर पर "बजट" कहा जाता है।
बजट में प्रयुक्त प्रमुख शब्द
राजस्व जिसमें शामिल हैं:
- राजस्व प्राप्ति
- राजस्व व्यय
राजस्व प्राप्ति:
- प्राप्तियां जो सरकार द्वारा पुनर्प्राप्त नहीं की जा सकती हैं।
- इसमें सरकार द्वारा कर और गैर-कर स्रोतों जैसे निवेश और ब्याज पर लाभांश के माध्यम से अर्जित आय शामिल है।
राजस्व व्यय:
- ये भौतिक या वित्तीय परिसंपत्तियों के निर्माण के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए खर्च हैं।
- इसमें सरकारी विभागों के सामान्य कार्यों के लिए किए गए व्यय शामिल हैं, राज्य सरकार को दिए गए अनुदान जैसे भारतीय रिजर्व बैंक और वाणिज्यिक बैंकों एवं अन्य वित्तीय संस्थानों से लिए गए ऋण शामिल हैं।
- इसमें विदेशी सरकारों और विश्व संगठन से प्राप्त ऋण और केंद्र सरकार द्वारा दिए गए ऋणों का पुनर्भुगतान भी शामिल है।
पूंजीगत व्यय
- यह सरकार द्वारा किया गया खर्च है, जिसके परिणामस्वरूप केंद्र सरकार की भौतिक या वित्तीय संपत्ति का निर्माण होता है या केंद्र सरकार की वित्तीय देनदारियों में कमी आती है।
- इसमें भूमि, उपकरण खरीद, अवसंरचना निर्माण पर व्यय, शेयरों पर व्यय शामिल होगा।
- इसमें केंद्र सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार को गिरवी ऋण (mortgages) और केंद्र सरकार के ऋण पर ब्याज भुगतान आदि भी शामिल हैं।
पूंजी जिसमें शामिल हैं
- पूंजीगत प्राप्ति
- पूंजीगत व्यय
पूंजीगत प्राप्ति: वे प्राप्तियां जो देयता उत्पन्न करती हैं या सरकार की वित्तीय परिसंपत्तियों को घटाती हैं।
प्रत्यक्ष कर: ये ऐसे कर हैं जो किसी व्यक्ति और कंपनी पर प्रत्यक्ष रूप से लगाए जाते हैं। इसमें शामिल हैं-
- आयकर
- निगम कर
अप्रत्यक्ष कर: ये ऐसे कर हैं जो माल एवं सेवाओं पर लगाए जाते हैं। इसमें निम्न कर शामिल हैं
- सेवा कर
- आबकारी कर
- सीमा शुल्क
राजकोषीय नीति: राजकोषीय नीति वह साधन है जिसके द्वारा सरकार देश की अर्थव्यवस्था पर नजर रखने और उसे प्रभावित करने के लिए अपने खर्च के स्तर और कर दरों को समायोजित करती है।
राजस्व घाटा: यह राजस्व प्राप्तियों पर सरकार का अतिरिक्त व्यय है।
राजकोषीय घाटा: यह सरकार के कुल व्यय और उसकी कुल प्राप्तियों के बीच का अंतर है, जिसमें उधार शामिल नहीं है।
प्राथमिक घाटा: प्राथमिक घाटा वर्तमान वर्ष के राजकोषीय घाटे और पिछले उधारों पर ब्याज भुगतान के बीच के अंतर को दर्शाता है।
गैर-कर राजस्व: ये सरकारी राजस्व हैं जो करों से उत्पन्न नहीं होते हैं।
सकल घरेलू उत्पाद (GDP):
- यह एक विशिष्ट अवधि के दौरान किसी देश में तैयार सभी माल और सेवाओं का मूल्य है।
- यह एक देश की संक्षिप्त वित्तीय जानकारी प्रदान करता है, इसका उपयोग अर्थव्यवस्था के आकार और विकास दर का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है।
बजट की मुख्य विशेषताएं:
सकल राज्य घरेलू उत्पाद
- वर्ष 2020-21 (मौजूदा कीमतों पर) के लिए सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) 17,91,263 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
- यह इस अनुमान पर आधारित है कि राज्य की अर्थव्यवस्था वर्ष 2019-20 से 6% की दर से बढ़ेगी।
- GSDP (2019-20) 14% की दर से बढ़ने का अनुमान है जो पिछले वर्ष से अधिक है।
व्यय
- वर्ष 2020-21 के लिए अनुमानित खर्च 5,12,861 करोड़ रुपये है, जो वर्ष 2019-20 के संशोधित अनुमान से 5% अधिक है।
- वर्ष 2019-20 के लिए संशोधित खर्च 27,873 करोड़ रुपये है, जो बजट अनुमान से कम (8%) है।
कुल प्राप्तियां
- वर्ष 2020-21 के लिए कुल प्राप्तियों (उधार को छोड़कर) का अनुमान 4,24,768 करोड़ रुपये हैं, जो वर्ष 2019-20 के संशोधित अनुमान की तुलना में 13% अधिक है।
- वर्ष 2019-20 में, कुल प्राप्तियां (उधार को छोड़कर) अनुमानित बजट अनुमान से 21,469 करोड़ रुपये कम होने का अनुमान है जो लगभग (4%) है।
राजकोषीय घाटा
- वर्ष 2020-21 के लिए राजकोषीय घाटा 53,195 करोड़ रुपये (GSDP का 97%) नियोजित किया गया है।
- वर्ष 2019-20 में संशोधित आंकड़ों के अनुसार, GSDP के 97% बजट अनुमान की तुलना में 3,494 करोड़ रुपये बढ़कर GSDP के 2.98% होने का अनुमान है।
- आवास एवं शहरी विकास (26%), पुलिस (19%), और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (16%) जैसे क्षेत्र आवंटन में सबसे अधिक वृद्धि दर्शाते हैं।
- आवंटन में सर्वाधिक कमी ऊर्जा क्षेत्र (15%) के दर्शाई गई है।
बजट 2020-2021 में नई योजना / नीति
- प्रशिक्षुता योजना
- यह योजना युवाओं को मासिक वजीफा देने के साथ-साथ उन्हें प्रशिक्षुता प्रदान करके उद्योगों में प्रशिक्षु के रूप में काम करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रस्तावित की गई है।
- इस योजना के लिए 100 करोड़ रुपये प्रस्तावित किए गए हैं।
- युवा हब
- एक लाख से अधिक प्रशिक्षित युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से युवा उद्यमिता विकास अभियान प्रस्तावित किया गया है।
- नियोजन चरण से लेकर एक वर्ष की अवधि के लिए स्टार्टअप को वित्तीय और परिचालन सहायता प्रदान करने हेतु सभी जिलों में इसकी स्थापना की जाएगी।
- इन हब को स्थापित करने के लिए 50 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया गया है।
- राज्य राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान (NITI) आयोग
- राज्य योजना आयोग को राज्य नीति आयोग द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा।
- राज्य नीति आयोग के कार्य
- राज्य के एकीकृत और सतत विकास के लिए एक दिशा-निर्देश तैयार करना।
- जिला स्तर पर योजनाओं की तैयारी और संस्थापन के लिए एक तंत्र विकसित करना।
क्षेत्रवार व्यय
शिक्षा
- वर्ष 2020-21 में शिक्षा के लिए सरकार के व्यय में 13.6% आवंटन जो अन्य राज्यों द्वारा शिक्षा के लिए आवंटित औसत व्यय (15.9%) से बहुत कम है (2019-20 आधार वर्ष का उपयोग करके)।
- समग्र शिक्षा अभियान के लिए कुल 18,363 करोड़ रुपये और मिड-डे मील योजना के लिए 2,660 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
परिवहन
- गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना और जेवर में नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट परियोजना में से प्रत्येक को 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
ग्रामीण विकास
- ग्रामीण विकास (2020-21 में) के लिए: कुल व्यय का 6% आवंटित किया गया है जो अन्य राज्यों के औसत आवंटन (6.2%) से अधिक है।
- प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लिए, 6,240 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है।
- स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) जैसी योजना को क्रमशः 5,791 करोड़ रुपये और 4,800 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
आवास एवं शहरी विकास
- आवास एवं शहरी विकास के अंतर्गत आवंटित की जाने वाली राशि हैं-
- प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी): 8,241 करोड़ रुपये
- अटल कायाकल्प एवं शहरी परिवर्तन मिशन (AMRUT) योजना और स्मार्ट सिटी मिशन के लिए: क्रमशः 2,200 करोड़ रुपये और 2,000 करोड़ रुपये।
- शहरी स्थानीय निकायों के लिए वित्त आयोग को 4,695 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
- सरकार ने वर्ष 2020-21 में अपने व्यय का 5% स्वास्थ्य पर आवंटित किया है, जो कि अन्य राज्यों द्वारा स्वास्थ्य के लिए औसत आवंटन (5.3%) से कुछ अधिक है।
- राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन: 3,845 करोड़ रुपये आवंटन
सामाजिक सुरक्षा और कल्याण
- राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष से कुल 3,578 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है।
कृषि और संबद्ध गतिविधियां
- कृषि और संबद्ध गतिविधियां (2020-21 में): इस क्षेत्र में सरकार का 7% व्यय आवंटित किया गया है। यह अन्य राज्यों के औसत आवंटन (7.1%) की तुलना में काफी कम है।
- किसानों के बकाया बिजली भुगतान के लिए 1,200 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं।
वर्ष 2020-21 में प्राप्तियां
- वित्त वर्ष 2020-21 के लिए कुल राजस्व प्राप्ति 4,22,568 करोड़ रुपये होने का अनुमान है जो कि 2019-20 के संशोधित अनुमान से 1% अधिक है।
वे इन प्राप्तियों को कैसे प्राप्त करेंगे?
- 45% राजस्व प्राप्तियां राज्य के अपने संसाधनों के माध्यम से एकत्र की जाएंगी।
- 55% राजस्व प्राप्तियां केंद्रीय हस्तांतरण के रूप में होंगी, अर्थात केंद्रीय करों में राज्य का हिस्सा और केंद्र सरकार से अनुदान सहायता।
हस्तांतरण (Devolution)
- वर्ष 2020-21 में, केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी से प्राप्तियों के वर्ष 2019-20 के संशोधित अनुमानों से 13% तक बढ़ने का अनुमान है।
- हालांकि, वर्ष 2019-20 में, बजटीय अनुमान की तुलना में हस्तांतरण 5% कम होने का अनुमान है।
- यह संशोधित चरण में राज्यों को हस्तांरण के लिए केंद्रीय बजट में 19% कटौती के कारण हो सकता है।
स्वयं का कर राजस्व
- उत्तर प्रदेश सरकार का कुल कर राजस्व वर्ष 2020-21 में 1,58,413 करोड़ रुपये होने का अनुमान है (जो राजस्व प्राप्तियों का 37% है)।
- यह 2019-20 के संशोधित अनुमान से 1% अधिक है।
- निज कर और GSDP अनुपात वर्ष 2020-21 में 8% निर्धारित है, जो वर्ष 2019-20 में 7.6% के संशोधित अनुमान से बहुत अधिक है।
- इसका अर्थ है कि राज्य के कर संग्रह में वृद्धि GSDP विकास दर से अधिक रहने की उम्मीद है।
वर्ष 2020-21 में व्यय
पूंजीगत व्यय:
- वर्ष 2020-21 के लिए प्रस्तावित पूंजी व्यय: 1,17,744 करोड़ रुपये (वर्ष 2019-20 के संशोधित अनुमान से 2% अधिक)।
- पूंजीगत व्यय में वह व्यय शामिल होता है जो राज्य की परिसंपत्ति और देनदारियों को प्रभावित करता है, जैसे-
- पूंजीगत परिव्यय: इसे परिसंपत्तियों (जैसे पुलों और अस्पतालों) के निर्माण के फलस्वरूप होने वाले व्यय के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- राज्य सरकार द्वारा पुनर्भुगतान के साथ-साथ ऋण प्रदान करना।
- वर्ष 2020-21 में अनुमानित पूंजी परिव्यय वर्ष 2019-20 के संशोधित अनुमान से 8% अधिक है।
- वर्ष 2020-21 में पूंजी परिव्यय के लिए अधिकांश आवंटन प्राप्त करने वाले क्षेत्र:
- परिवहन (कुल पूंजी परिव्यय का 30%)
- ऊर्जा (14%)
- आवास एवं शहरी विकास (11%)।
सब्सिडी:
- वर्ष 2020-21 में, राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी वर्ष 2019-20 के संशोधित अनुमान से 4% अधिक होने का अनुमान है। इसके अंर्तगत:
- बिजली सब्सिडी: 54%
- कृषि में विभिन्न सब्सिडी: 17%
- वर्ष 2019-20 में, सब्सिडी पर राज्य का खर्च संशोधित चरण की तुलना में बजटीय चरण से 9% बढ़ने का अनुमान है। इसका मुख्य कारण बिजली सब्सिडी में 1,000 करोड़ रुपये की वृद्धि है।
राजस्व व्यय:
- वर्ष 2020-21 के लिए प्रस्तावित राजस्व व्यय: 3,95,117 करोड़ रुपये (वर्ष 2019-20 के संशोधित अनुमान से 9% अधिक)।
- वर्ष 2020-21 में राजस्व व्यय कुल व्यय का 77% है।
- कुल व्यय के शेष 23% में पूंजी परिव्यय (16%), और ऋणों का पुनर्भुगतान और अनुदान (7%) शामिल है।
- राजस्व व्यय के उदाहरण हैं –
- सब्सिडी
- वेतन भुगतान
- पेंशन
- ब्याज
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