महत्वपूर्ण मुहावरे:
1. पानी भरना -(तुच्छ लगना) - तुमने तो जीवन-भर पानी ही भरा है।
2. अँगूठा दिखाना -(देने से साफ इनकार कर देना) - सेठ रामलाल ने धर्मशाला के लिए पाँच हजार रुपए दान देने को कहा था, किन्तु जब मैनेजर उनसे मांगने गया तो उन्होंने अँगूठा दिखा दिया।
3. अगर-मगर करना -(टालमटोल करना) -अगर-मगर करने से अब काम चलने वाला नहीं है। बंधु !
4. अंगारे बरसाना-(अत्यंत गुस्से से देखना) - अभिमन्यु वध की सूचना पाते ही अर्जुन के नेत्र अंगारे बरसाने लगे।
5. आड़े हाथों लेना - (अच्छी तरह काबू करना) - श्रीकृष्ण ने कंस को आड़े हाथों लिया।
6. आकाश से बातें करना- (बहुत ऊँचा होना) - टी.वी.टावर तो आकाश से बाते करती है।
7. ईद का चाँद-(बहुत कम दीखना)- मित्र आजकल तो तुम ईद का चाँद हो गए हो, कहाँ रहते हो ?
8. उँगली पर नचाना-(वश में करना)- आजकल की औरतें अपने पतियों को उँगलियों पर नचाती हैं।
9. कलई खुलना-(रहस्य प्रकट हो जाना)- उसने तो तुम्हारी कलई खोलकर रख दी।
10. काम तमाम करना-(मार देना)- रानी लक्ष्मीबाई ने पीछा करने वाले दोनों अंग्रेजों का काम तमाम कर दिया।
11. कुत्ते की मौत करना-(बुरी तरह से मरना)- राष्ट्रद्रोही सदा कुत्ते की मौत मरते हैं।
12. कोल्हू का बैल-(निरंतर काम में लगे रहना)- कोल्हू का बैल बनकर भी लोग आज भरपेट भोजन नहीं पा सकते। ::खाक छानना-(दर-दर भटकना)-खाक छानने से तो अच्छा है एक जगह जमकर काम करो।
13. गड़े मुरदे उखाड़ना-(पिछली बातों को याद करना)- गड़े मुरदे उखाड़ने से तो अच्छा है कि अब हम चुप हो जाएँ।
14. गुलछर्रे उड़ाना-(मौज करना)- आजकल तुम तो दूसरे के माल पर गुलछर्रे उड़ा रहे हो।
15. घास खोदना-(फुजूल समय बिताना)- सारी उम्र तुमने घास ही खोदी है।
16. चंपत होना-(भाग जाना)- चोर पुलिस को देखते ही चंपत हो गए।
17. चौकड़ी भरना-(छलाँगे लगाना)- हिरन चौकड़ी भरते हुए कहीं से कहीं जा पहुँचे।
18. छक्के छुडा़ना-(बुरी तरह पराजित करना)- पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गोरी के छक्के छुड़ा दिए।
19. टका-सा जवाब देना-(कोरा उत्तर देना)- आशा थी कि कहीं वह मेरी जीविका का प्रबंध कर देगा, पर उसने तो देखते ही टका-सा जवाब दे दिया।
20. टोपी उछालना-(अपमानित करना)- मेरी टोपी उछालने से उसे क्या मिलेगा?
21. तलवे चाटने-(खुशामद करना)- तलवे चाटकर नौकरी करने से तो कहीं डूब मरना अच्छा है।
22. थाली का बैंगन-(अस्थिर विचार वाला)- जो लोग थाली के बैगन होते हैं, वे किसी के सच्चे मित्र नहीं होते।
23. दाने-दाने को तरसना-(अत्यंत गरीब होना)- बचपन में मैं दाने-दाने को तरसता फिरा, आज ईश्वर की कृपा है।
24. दौड़-धूप करना-(कठोर श्रम करना)- आज के युग में दौड़-धूप करने से ही कुछ काम बन पाता है।
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