पीआईबी सारांश एवं विश्लेषण - 29 जून 2022

By Kriti Gupta (BYJU'S IAS)|Updated : June 29th, 2022

पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) भारत सरकार से मीडिया तक समाचार प्रसारित करने वाली नोडल एजेंसी है। पीआईबी की विज्ञप्ति सिविल सेवा परीक्षा के नजरिए से महत्वपूर्ण हैं। पीआईबी सारांश और विश्लेषण उम्मीदवारों को समसामयिक मामलों के संबंध में समाचार और उसके संदर्भ में विशेष मुद्दों के महत्व को समझने में मदद करेगा।

Table of Content

1. विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में सिंगापुर से हुए समझौते को मंजूरी :  

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध: 

विषय: भारत के व्यापारिक हितों पर विभिन्न विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियां,समझौते और उनका प्रभाव।  

मुख्य परीक्षा:भारत एवं सिंगापूर के बीच इस समझौते से विभिन्न क्षेत्रों  में अनुसंधान, नवाचार और तकनीकी विकास में प्रगति को किस प्रकार प्रोहत्साहन मिलेगा।    

प्रसंग: 

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को भारत गणराज्य के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग एवं सिंगापुर गणराज्य की सरकार के व्यापार और उद्योग मंत्रालय के बीच विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग के बारे में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) से अवगत कराया गया।  

उद्देश्य:

  • इस समझौता ज्ञापन पर फरवरी 2022 में हस्ताक्षर किए गए थे।
  • इस ज्ञापन का उद्देश्य भारत और सिंगापुर के बीच विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में समान रुचि के क्षेत्रों में सहयोग को प्रोत्साहित करना, उसे विकसित करना और सुविधाजनक बनाना है।  

विवरण:  

  • यह समझौता ज्ञापन एक ऐसा तंत्र प्रदान करेगा जो इसके लिए इकोसिस्टम बनाने में मदद करेगा जिसमें परस्पर सहयोग के माध्यम से नई प्रौद्योगिकी निर्माण, जनशक्ति प्रशिक्षण, आईपी जनरेशन के लिए अग्रणी दोनों देशों में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा।
  • इस सहयोग के अंतर्गत क्रियान्वित गतिविधियों के माध्यम से नया ज्ञान और प्रौद्योगिकी संबंधी विकास आत्मनिर्भर भारत को गति प्रदान करेगा। 
    • यह समझौता ज्ञापन एक ऐसा तंत्र प्रदान करेगा जो इकोसिस्टम बनाने में मदद करेगा जिससे दोनों देशों में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा ताकि परस्पर सहयोग के माध्यम से नई प्रौद्योगिकी निर्माण, जनशक्ति प्रशिक्षण हो सके।
    • समझौता ज्ञापन में परिकल्पित गतिविधियों में उत्पाद संबंधी विकास और प्रौद्योगिकी विनिमय भी शामिल होगा जिससे नए उद्यमों व रोजगार का सृजन हो सकता है।
  • आपसी हित के किसी भी क्षेत्र में ऐसे सहयोग को प्राथमिकता दी जाएगी जो निम्नलिखित क्षेत्रों  में अनुसंधान, नवाचार और तकनीकी विकास में प्रगति को आगे बढ़ा सके:
    1. कृषि और खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी;
    2. उन्नत विनिर्माण और इंजीनियरिंग;
    3. हरित अर्थव्यवस्था, ऊर्जा, जल, जलवायु और प्राकृतिक संसाधन;
    4. डेटा विज्ञान, उभरती हुई प्रौद्योगिकियां;
    5. उन्नत सामग्री; तथा
    6. स्वास्थ्य एवं जैव प्रौद्योगिकी।
    7. आपसी सहमति से साझा हित के अन्य क्षेत्रों को भी शामिल किया जाएगा।

 

2. नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) एवं अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (आईआरईएनए) के बीच रणनीतिक  समझौते को मंजूरी : 

सामान्य अध्ययन: 3

अर्थव्यवस्था: 

विषय: भारत के हितों पर विभिन्न अंर्तष्ट्रीय संघठनो की नीतियां और उनका देश की ऊर्जा व्यवस्था पर प्रभाव। 

प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (आईआरईएनए)। 

मुख्य परीक्षा: इस समझौते से भारत में अक्षय ऊर्जा पर आधारित हरित ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वाकांक्षी परिवर्तन, नेतृत्व और ज्ञान को बढ़ावा मिलेगा । टिपण्णी कीजिए।   

प्रसंग: 

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) एवं अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (आईआरईएनए) के बीच हस्ताक्षरित एक रणनीतिक साझेदारी समझौते से अवगत कराया गया।

उद्देश्य:

  • जनवरी 2022 में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
  • इस समझौते का उद्देश्य भारत में अक्षय ऊर्जा पर आधारित हरित ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वाकांक्षी परिवर्तन, नेतृत्व और ज्ञान को बढ़ावा देना है। 
  • यह समझौता भारत के ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव के प्रयासों में मदद करेगा और दुनिया को जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने में भी मदद करेगा।

विवरण:  

  • रणनीतिक साझेदारी में परिकल्पित सहयोग के क्षेत्र के रूप में 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन से पैदा होने वाली 500 गीगावॉट स्थापित बिजली क्षमता के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने में भारत का समर्थन करेंगे। इससे आत्मनिर्भर भारत को भी बढ़ावा मिलेगा।
  • इस समझौते की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग बढ़ावा देना शामिल है:
    • भारत से अक्षय ऊर्जा और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के बारे में ज्ञान साझा करने की सुविधा।
    • दीर्घकालिक ऊर्जा योजना पर भारत के प्रयासों का समर्थन करना।
    • भारत में नवाचार के माहौल को मजबूत करने के लिए सहयोग करना।
    • ग्रीन हाइड्रोजन के विकास की संभावना और इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देकर किफायती डीकार्बोनाइजेशन की ओर बढ़ना।
  • इस प्रकार, यह रणनीतिक साझेदारी समझौता भारत के ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव लाने के प्रयासों और दुनिया को जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने में भी मदद करेगा। 

 

3. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आपदा रोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन (सीडीआरआई) को 'अंतर्राष्ट्रीय संगठन' के रूप में श्रेणीबद्ध करने को मंजूरी : 

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां,हस्तक्षेप,उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे। 

प्रारंभिक परीक्षा: आपदा रोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन (सीडीआरआई),संयुक्त राष्ट्र (विशेषाधिकार और उन्मुक्ति) अधिनियम, 1947 । 

मुख्य परीक्षा: सीडीआरआई के साथ एचक्यूए पर हस्ताक्षर करने से इसे किस प्रकार स्वतंत्र और अंतर्राष्ट्रीय कानूनी पहचान प्राप्त होगी ? चर्चा कीजिए।      

प्रसंग: 

  • प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आपदा रोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन (सीडीआरआई) को 'अंतर्राष्ट्रीय संगठन' के रूप में श्रेणीबद्ध करने और सीडीआरआई के साथ मुख्यालय समझौते (एचक्यूए) पर हस्ताक्षर करने की मंजूरी दी, ताकि इसे संयुक्त राष्ट्र (विशेषाधिकार और उन्मुक्ति) अधिनियम, 1947 के तहत अपेक्षित छूट, उन्मुक्ति और विशेषाधिकार दिए जा सकें।

उद्देश्य:

  • सीडीआरआई को एक 'अंतर्राष्ट्रीय संगठन' के रूप में श्रेणीबद्ध करने और संयुक्त राष्ट्र (विशेषाधिकार और उन्मुक्ति) अधिनियम, 1947 की धारा 3 के तहत अपेक्षित छूट, उन्मुक्ति और विशेषाधिकार प्रदान करने के लिए सीडीआरआई के साथ एचक्यूए पर हस्ताक्षर करने से इसे एक स्वतंत्र और अंतर्राष्ट्रीय कानूनी पहचान प्राप्त होगी।   

विवरण:  

  • इससे सीडीआरआई को निम्न कार्यों में मदद मिलेगी:
  • अन्य देशों में विशेषज्ञों को नियुक्त करना, जो विशेष रूप से आपदा जोखिम के प्रति संवेदनशील हैं और/या आपदा के बाद के राहत कार्यों के लिए उन्हें समर्थन की आवश्यकता है तथा इसी तरह के उद्देश्यों के लिए सदस्य देशों के विशेषज्ञों को भारत लाना;
  • सीडीआरआई गतिविधियों के लिए विश्व स्तर पर धन नियोजित करना और सदस्य देशों से योगदान प्राप्त करना;
  • देशों को उनकी आपदा एवं जलवायु जोखिम और संसाधनों के अनुसार सहनीय अवसंरचना विकसित करने में सहायता के लिए तकनीकी विशेषज्ञता उपलब्ध कराना;
  • सहनीय अवसंरचना के लिए उपयुक्त जोखिम रोधी शासन व्यवस्था और रणनीति अपनाने में देशों को सहायता प्रदान करना;
  • सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी), पेरिस जलवायु समझौते और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क को ध्यान में रखते हुए मौजूदा और भविष्य की अवसंरचना को आपदा व जलवायु के अनुकूल बनाने के लिए सदस्य देशों को अपनी प्रणाली के उन्नयन में हर संभव समर्थन प्रदान करना;
  • अपने देश में आपदा रोधी अवसंरचना को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय संबंधों का लाभ उठाना; तथा,
  • भारतीय वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों के साथ-साथ अवसंरचना का विकास करने वालों को वैश्विक विशेषज्ञों के साथ बातचीत करने का अवसर प्रदान करना। 
  • इससे सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में हमारी अपनी क्षमताओं और व्यवस्थाओं के निर्माण में मदद मिलेगी, ताकि आपदा रोधी अवसंरचना का विकास किया जा सके।
  • शुरुआत के बाद से, इकतीस (31) देश, छह (06) अंतर्राष्ट्रीय संगठन और दो (02) निजी क्षेत्र के संगठन सीडीआरआई के सदस्यों के रूप में शामिल हुए हैं। 
  • सीडीआरआई आर्थिक रूप से अग्रणी देशों, विकासशील देशों और जलवायु परिवर्तन तथा आपदाओं के प्रति अधिक संवेदनशील देशों को सदस्य बना रहा है।
  • समय के साथ, न केवल भारत में बल्कि अन्य भागीदार देशों में भी आपदा रोधी अवसंरचना को आगे बढ़ाने के लिए संगठनों/हितधारकों का एक नेटवर्क विकसित किया जाएगा। 

पृष्ठ्भूमि:

  • 28 अगस्त, 2019 को, मंत्रिमंडल ने नई दिल्ली में अपने सचिवालय के साथ सीडीआरआई की स्थापना को मंजूरी दी थी और इसे 480 करोड़ रुपये की राशि दी थी। 
    • भारत सरकार से प्राप्त सहायता धनराशि; सीडीआरआई के लिए तकनीकी सहायता और अनुसंधान परियोजनाओं को वित्त पोषित करने, सचिवालय कार्यालय स्थापित करने और 2019-20 से 2023-24 तक 5 वर्षों की अवधि में आवर्ती व्यय को कवर करने के लिए एक कोष के रूप में कार्य कर रही है।
  • भारत के प्रधानमंत्री द्वारा सीडीआरआई को 23 सितंबर, 2019 को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्य शिखर सम्मेलन के दौरान लॉन्च किया गया था। 
  • यह भारत सरकार द्वारा शुरू की गई दूसरी प्रमुख वैश्विक पहल है, जो वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन और आपदा सहनीय मामलों में भारत की नेतृत्व भूमिका का प्रदर्शन करता है।
  • सीडीआरआई राष्ट्रीय सरकारों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और कार्यक्रमों, बहुपक्षीय विकास बैंकों और वित्तपोषण व्यवस्थाओं, निजी क्षेत्र, शैक्षणिक और ज्ञान संस्थानों की एक वैश्विक साझेदारी है, जिसका उद्देश्य जलवायु और आपदा जोखिमों के लिए अवसंरचना प्रणालियों को मजबूत बनाना है और इस प्रकार सतत विकास सुनिश्चित करना है।

 

4. कैबिनेट ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के कम्प्यूटरीकरण को मंजूरी दी: 

सामान्य अध्ययन: 2

शासन: 

विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां,हस्तक्षेप,उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।  

प्रारंभिक परीक्षा: प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स)। 

प्रसंग: 

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्‍डलीय समिति ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) की दक्षता बढ़ाने तथा उनके संचालन में पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाने और पैक्स को अपने व्यवसाय में विविधता लाने व विभिन्न गतिविधियां/सेवाएं शुरू करने की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के कम्प्यूटरीकरण को मंजूरी दे दी है।

उद्देश्य:

  • इस परियोजना में कुल 2516 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय, जिसमें भारत सरकार की हिस्सेदारी 1528 करोड़ रुपये की होगी, के साथ पांच वर्षों की अवधि में लगभग 63,000 कार्यरत पैक्स के कम्प्यूटरीकरण का प्रस्ताव है।  

विवरण:  

  • हालांकि, अधिकांश पैक्स को अब तक कम्प्यूटरीकृत नहीं किया गया है और वे अभी भी हस्तचालित तरीके से कार्य कर रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप उनके संचालन में अक्षमता और भरोसे की कमी दिखाई देती है। 
  • कुछ राज्यों में, पैक्स का कहीं-कहीं और आंशिक आधार पर कम्प्यूटरीकरण किया गया है। 
    • उनके द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे सॉफ्टवेयर में कोई समानता नहीं है और वे डीसीसीबी एवं एसटीसीबी के साथ जुड़े हुए नहीं हैं। 
    • पूरे देश में सभी पैक्स को कम्प्यूटरीकृत करने और  उनके रोजमर्रा के कार्य-व्यवहार के लिए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक साझा मंच पर लाने तथा एक सामान्य लेखा प्रणाली (सीएएस) के तहत रखने का प्रस्ताव किया गया है।
  • वित्तीय समावेशन के उद्देश्यों को पूरा करने तथा किसानों, विशेष रूप से छोटे व सीमांत किसानों (एसएमएफ) को दी जाने वाली सेवाओं की आपूर्ति को मजबूत करने के अलावा, पैक्स का कम्प्यूटरीकरण विभिन्न सेवाओं एवं उर्वरक, बीज जैसे इनपुट के प्रावधान के लिए नोडल सेवा वितरण बिंदु बन जाएगा। 
  • यह परियोजना ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटलीकरण को बेहतर बनाने के अलावा बैंकिंग गतिविधियों के साथ-साथ गैर-बैंकिंग गतिविधियों के केन्द्र के रूप में पैक्स की पहुंच को बेहतर बनाने में मदद करेगी। 
  • इसके बाद डीसीसीबी खुद को विभिन्न सरकारी योजनाओं (जिसमें ऋण और अनुदान शामिल होती हैं) , जिन्हें पैक्स के माध्यम से लागू किया जा सकता है, के कार्यान्वयन के महत्वपूर्ण विकल्पों में से एक के रूप में नामांकित कर सकते हैं। 
  • यह कदम ऋणों के त्वरित निपटान, अपेक्षाकृत कम हस्तांतरण लागत, त्वरित लेखा परीक्षा और राज्य सहकारी बैंकों एवं जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के साथ भुगतान व लेखांकन संबंधी असंतुलन को दूर   करेगा।
  • इस परियोजना में साइबर सुरक्षा एवं आंकड़ों के संग्रहण के साथ-साथ क्लाउड आधारित साझा सॉफ्टवेयर का विकास, पैक्स को हार्डवेयर संबंधी सहायता प्रदान करना, रख-रखाव संबंधी सहायता एवं प्रशिक्षण सहित मौजूदा रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण शामिल है। 
  • यह सॉफ्टवेयर स्थानीय भाषा में होगा जिसमें राज्यों की जरूरतों के अनुसार लचीलापन होगा। 
  • केन्द्र और राज्य स्तर पर परियोजना प्रबंधन इकाइयां (पीएमयू) स्थापित की जायेंगी। लगभग 200 पैक्स के समूह में जिला स्तरीय सहायता भी प्रदान की जाएगी। 

पृष्ठ्भूमि

  • प्राथमिक कृषि सहकारी ऋण समितियां (पैक्स) देश में अल्पकालिक सहकारी ऋण (एसटीसीसी) की त्रि-स्तरीय व्यवस्था में सबसे निचले स्तर पर अपनी भूमिका निभाती हैं, जहां लगभग 13 करोड़ किसान इसके सदस्य हैं और जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। 
  • देश में सभी संस्थाओं द्वारा दिए गए केसीसी ऋणों में पैक्स का हिस्सा 41 प्रतिशत (3.01 करोड़ किसान) है और पैक्स के माध्यम से इन केसीसी ऋणों में से 95 प्रतिशत (2.95 करोड़ किसान) छोटे व सीमांत किसानों को दिए गए हैं। 
  • अन्य दो स्तरों अर्थात राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) को पहले ही नाबार्ड द्वारा स्वचालित कर दिया गया है और उन्हें साझा बैंकिंग सॉफ्टवेयर (सीबीएस) के तहत लाया गया है।

 

5. हाई स्पीड एक्सपैंडेबल एरियल टार्गेट - अभ्यास - का ओडिशा के तट पर सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया: 

सामान्य अध्ययन: 3

विज्ञानं एवं प्रोधोगिकी: 

विषय: देश में व्यापक भागीदारी और व्यापक आधार वाले स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को प्रोहत्साहन। 

प्रारंभिक परीक्षा: हाई स्पीड एक्सपैंडेबल एरियल टार्गेट (एचईएटी)

प्रसंग: 

  • हाई स्पीड एक्सपैंडेबल एरियल टार्गेट (एचईएटी) का 29 जून, 2022 को ओडिशा के तट पर स्थित चांदीपुर के इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आईटीआर) से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।

उद्देश्य:

  • इस सिस्टम का विकास सशस्त्र बलों के लिए एरियल टार्गेट की आवश्यकता को पूरा करेगा।
  • टार्गेट विमान को एक पूर्व-निर्धारित निम्न ऊंचाई वाले उड़ान पथ में एक ग्राउंड आधारित कंट्रोलर से उड़ाया गया जिसकी निगरानी राडार तथा इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल टारगेटिंग सिस्टम सहित आईटीआर द्वारा तैनात विभिन्न ट्रैकिंग सेंसरों द्वारा की गई। 

विवरण:  

  • अभ्यास की डिजाइन एवं उसका विकास रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान द्वारा किया गया है। 
  • इस हवाई वाहन को ट्विन अंडर-स्लग बूस्टर के जरिये लॉन्‍च किया गया जो व्‍हीकल को आरंभिक गति प्रदान करते हैं। 
  • यह हाई सबसोनिक स्पीड पर एक लंबी इंड्यूरेंस फ्लाइट को बनाये रखने के लिए एक छोटे से गैस टरबाइन द्वारा संचालित है। 
  • टारगेट विमान बहुत ऊंची उड़ान के लिए स्वदेशी रेडियो अल्टीमीटर तथा ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन तथा टारगेट विमान के बीच इनक्रिप्टेड कम्युनिकेशन के लिए डाटा लिंक के साथ-साथ गाइडेंस और कंट्रोल के लिए फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर के साथ नैविगेशन के लिए माइक्रो-इलेक्ट्रोमैकेनिकल सिस्टम आधारित इनर्शियल नैविगेशन स्स्टिम के साथ सुसज्जित है। 
  • इस व्‍हीकल को पूरी तरह स्वचालित उड़ान के लिए प्रोग्राम किया गया है।

 

 प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

 आज इससे सम्बंधित कोई समाचार नहीं हैं। 

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