पीआईबी सारांश एवं विश्लेषण - 17 मई 2022

By Kriti Gupta (BYJU'S IAS)|Updated : May 17th, 2022

पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) भारत सरकार से मीडिया तक समाचार प्रसारित करने वाली नोडल एजेंसी है। पीआईबी की विज्ञप्ति सिविल सेवा परीक्षा के नजरिए से महत्वपूर्ण हैं। पीआईबी सारांश और विश्लेषण उम्मीदवारों को समसामयिक मामलों के संबंध में समाचार और उसके संदर्भ में विशेष मुद्दों के महत्व को समझने में मदद करेगा।

Table of Content

1. दो स्वदेशी फ्रंटलाइन युद्धपोतों - आईएनएस सूरत (गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर) और आईएनएस उदयगिरी (स्टील्थ फ्रिगेट) जलावतरण: 

सामान्य अध्ययन: 3

सुरक्षा: 

विषय: देश में व्यापक भागीदारी और व्यापक आधार वाले स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को प्रोहत्साहन। 

प्रारंभिक परीक्षा: युद्धपोत आईएनएस सूरत (गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर) और आईएनएस उदयगिरी (स्टील्थ फ्रिगेट)। 

मुख्य परीक्षा:  राष्ट्रीय हितों की रक्षा और भारत को एक वैश्विक शक्ति बनाने के लिए एक मजबूत नौसेना बल तथा फ्रंटलाइन युद्धपोत जरूरी हैं। व्याख्या कीजिए। 

प्रसंग: 

  • रक्षा मंत्री ने 17 मई, 2022 को मझगांव गोदी लिमिटेड (एमडीएल), मुंबई में भारतीय नौसेना के दो फ्रंटलाइन युद्धपोतों - आईएनएस सूरत और आईएनएस उदयगिरी का जलावतरण किया।  

उद्देश्य:

  • आईएनएस सूरत पी15बी श्रेणी का चौथा निर्देशित मिसाइल विध्वंसक है, जबकि आईएनएस उदयगिरि पी17ए क्लास का दूसरा स्टील्थ फ्रिगेट है। 
  • दोनों युद्धपोत भारतीय नौसेना के शस्त्रागार की ताकत बढ़ाएंगे और दुनिया को भारत की रणनीतिक ताकत के साथ-साथ आत्मनिर्भरता की शक्ति का परिचय देंगे। 
  • दोनों युद्धपोतों को नौसेना डिजाइन निदेशालय (डीएनडी) द्वारा डिजाइन किया गया है और एमडीएल, मुंबई में बनाया गया है। 

विवरण: 

  • आईएनएस उदयगिरी और आईएनएस सूरत भारत की बढ़ती स्वदेशी क्षमता के चमकते हुए उदाहरण हैं। 
  • युद्धपोत दुनिया के सबसे तकनीकी रूप से उन्नत मिसाइल वाहक होंगे, जो वर्तमान के साथ-साथ भविष्य की आवश्यकताओं को भी पूरा करेंगे। 
  • भारत-प्रशांत क्षेत्र पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। भारत इस क्षेत्र में एक जिम्मेदार समुद्री हितधारक है। 
  • इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण देश होने के नाते, हिंद-प्रशांत को खुला, सुरक्षित और मजबूत रखना हमारी नौसेना का प्राथमिक उद्देश्य है। 
  • क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर) का दृष्टिकोण पड़ोसियों के साथ मित्रता, खुलेपन, संवाद और सह-अस्तित्व की भावना पर आधारित है। 
  • हिंद महासागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में लगातार विकसित हो रहे सुरक्षा परिदृश्य के कारण आने वाले समय में भारतीय नौसेना की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी। 
    • ऐसी नीतियां तैयार करने का आह्वान किया जो इस क्षेत्र में देश की उपस्थिति, आपदाओं के दौरान इसकी भूमिका, आर्थिक भलाई और विदेश संबंधों को मजबूत करने पर केन्द्रित हों।
  • रक्षा मंत्री ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान) और बंगाल की खाड़ी की बहु-क्षेत्रीय तकनीक और आर्थिक सहयोग पहल (बिम्सटेक) देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने के अलावा, एक्ट-ईस्ट जैसी सरकार की नीतियों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए भारतीय नौसेना की प्रशंसा भी की। 
  • हवाई में अमेरिकी इंडो-पैसिफिक कमान (यूएसआईएनडीओपीएसीओएम) के मुख्यालय ने भारत के साथ काम करने की इच्छा व्यक्त की, जो भारतीय सशस्त्र बलों की योग्‍यता; विशेष रूप से भारतीय नौसेना द्वारा किए जा रहे सराहनीय कार्य का प्रतीक है।
  • ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहल के साथ हाथ मिलाते हुए, नौसेना ने आवश्यकता (एओएन) की 76 प्रतिशत और 2014 में भारतीय विक्रेताओं को 66 प्रतिशत लागत-आधारित अनुबंध और लगभग 90 प्रतिशत नौसेना गोला-बारूद के स्वदेशीकरण को स्वीकृति दी। 
  • इसके अलावा, पिछले पांच वित्तीय वर्षों में नौसेना के आधुनिकीकरण बजट का दो-तिहाई से अधिक स्वदेशी खरीद पर खर्च किया गया है। 
  • नौसेना द्वारा ऑर्डर किए गए 41 जहाजों और पनडुब्बियों में से 39 भारतीय शिपयार्ड से हैं।  
  • रक्षा मंत्री ने स्वदेशी विमान वाहक ‘आईएनएस विक्रांत’ का विशेष उल्लेख करते हुए इसे भारतीय नौसेना के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के पथ में एक प्रमुख मील का पत्थर बताया। 
    • उन्होंने आशा व्यक्त की कि वाहक हिंद महासागर से प्रशांत और अटलांटिक महासागर तक भारत की पहुंच बढ़ाएगा। 
    • उन्होंने कहा कि ‘आईएनएस विक्रांत’ का जलावतरण भारतीय रक्षा इतिहास में एक स्वर्णिम क्षण होगा।
  • नौसेना परंपराओं को ध्यान में रखते हुए, एनडब्ल्यूडब्ल्यूए (पश्चिमी क्षेत्र) की अध्यक्ष श्रीमती चारू सिंह और एमडीएल के सीएमडी की पत्नी श्रीमती जयश्री प्रसाद ने क्रमशः ‘सूरत’ और ‘उदयगिरी’ जहाजों को आशीर्वाद दिया और नाम दिया।  
  • जलावतरण बढ़ते और घटते ज्वार के साथ एक के पीछे एक किया गया है। डीएनडी और एमडीएल टीमों ने एक बार फिर गुणवत्तापूर्ण युद्धपोतों के डिजाइन और निर्माण के लिए अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। 
  • यह जलावतरण अगले चरण की शुरुआत का भी प्रतीक है जिसमें शिपयार्ड द्वारा इन जहाजों को डिलीवरी के लिए तैयार करने के लिए व्यापक योजना बनाने का कार्य शामिल है।
  • प्रोजेक्ट 15बी श्रेणी के जहाज भारतीय नौसेना की अगली पीढ़ी के स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर हैं, जिन्हें एमडीएल में बनाया जा रहा है, जो हथियार प्रखर पी15ए (कोलकाता क्लास) डिस्ट्रॉयर्स के फॉलो-ऑन क्लास हैं। 
  • पी17ए फ्रिगेट्स युद्धपोत हैं जो पी17 (शिवालिक क्लास) फ्रिगेट्स के फॉलो-ऑन क्लास हैं, जिनमें बेहतर स्टील्थ फीचर्स, उन्नत हथियार और सेंसर और प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम हैं। 
  • एमडीएल और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) में सात पी17ए फ्रिगेट निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। 
  • डिस्ट्रॉयर और फ्रिगेट जैसे जटिल फ्रंटलाइन प्लेटफॉर्म का स्वदेश में निर्माण ‘आत्मनिर्भर भारत’ की परिकल्‍पना के अनुरूप है।
  • स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने भारत के स्वदेशी नौसेना युद्धपोतों आईएनएस 'उदयगिरी' और आईएनएस 'सूरत' के लिए 4300 टन विशेष स्टील की आपूर्ति की है। 
    • सेल द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले स्टील में डीएमआर 249-A ग्रेड प्लेट्स और एचआर शीट्स शामिल हैं। 
    • स्टील की पूरी मात्रा सेल के बोकारो, भिलाई और राउरकेला स्टील प्लांट्स से सप्लाई की गई है।
    • यह भारत के “आत्मनिर्भर भारत मिशन” में महत्त्वपूर्ण योगदान देने और आयात को प्रतिस्थापित करने की दिशा में, देश के प्रयासों को मजबूत करने के सेल के निरंतर प्रयासों की दिशा में एक और कदम है।
  • सेल ने इससे पहले भी आईएनएस विक्रांत, आईएनएस कमोर्टा सहित भारत की विभिन्न रक्षा परियोजनाओं के लिए विशेष गुणवत्ता वाले स्टील की आपूर्ति की है।

 

2. व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने सफलतापूर्वक चार वर्ष पूरे किए: 

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय:विवाद निवारण तंत्र और संस्थान।  

प्रारंभिक परीक्षा: व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर)   

मुख्य परीक्षा:  

प्रसंग: 

  • व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने सफलतापूर्वक चार वर्ष पूरे किए हैं,इस ने पारदर्शिता बढ़ाने, व्यवसाय करने की सुगमता में सुधार लाने तथा अनुपालन बोझ में कमी लाने के लिए प्रणालीगत और प्रक्रियागत बदलावों की शुरुआत की हैं।  

उद्देश्य:

  • व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने पारदर्शिता बढ़ाने तथा व्यवसाय करने की सुगमता में सुधार लाने तथा इसके जरिये हितधारकों पर अनुपालन बोझ में कमी लाने के लिए कई प्रणालीगत और प्रक्रियागत बदलावों की पहल की है। 
  • इसे व्यापार उपचार से संबंधित नियमों, पद्धतियों तथा प्रक्रियाओं के सरलीकरण की दिशा में व्यापक प्रयास किए जाने के माध्यम से अर्जित किया गया है।
  • डीजीटीआर की स्व प्रेरणा जांचें विभिन्न हितधारकों के लिए न्यायसंगत स्थान सुनिश्चित करती हैं। 
  • डीजीटीआर के व्यापार प्रतिरक्षा विंग (टीडीडब्ल्यू) ने एडी/सीवीडी जांचों में भारतीय निर्यातकों के हितों का सफलतापूर्वक बचाव किया हैं। 

विवरण:  

  • व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) जिसे पहले डीजीएडी के नाम से जाना जाता था, का गठन 17 मई 2018 को सभी प्रकार के व्यापार उपचारात्मक उपायों (डंपिंग रोधी, प्रति संतुलनकारी, सुरक्षोपाय) से संबंधित एकल राष्ट्रीय निकाय के रूप में किया गया था। 
  • डीजीटीआर घरेलू उद्योग को डंपिंग, सब्सिडीकरण तथा आयातों में उछाल जैसी अनुचित व्यापार पद्धतियों के विरुद्ध एक समान अवसर उपलब्ध कराता है।
  • डीजीटीआर ने इसी के अनुरुप प्रारूपों की संख्या को कम करके और हितधारकों पर भरोसा जताते हुए स्व-प्रमाणन लागू करने के जरिये व्यापार उपचार जांचों में उत्पादकों/निर्यातकों, आयातकों, उपयोगकर्ताओं तथा घरेलू उद्योग द्वारा दायर किए जाने वाले प्रारूपों और प्रश्नावलियों को सरल बनाया।
  • भारतीय उद्योगों, विशेष रूप से एमएसएमई को प्राथमिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए, डीजीटीआर ने डंपिंग रोधी/प्रति संतुलनकारी शुल्क जांच में खंडित उद्योग में घरेलू उत्पादकों के लिए नमूनाकरण की प्रक्रिया लागू की।
  • सुरक्षोपाय मात्रात्मक प्रतिबंध जांच, द्विपक्षीय सुरक्षोपाय जांच, स्व प्रेरणा के आधार पर जांच करने के जरिये नए मार्गों की खोज की गई है।
  • स्व प्रेरणा जांच वास्तव में घरेलू उद्योग की संरचना को देखते हुए चुनौतीपूर्ण हैं इसलिए वे विशेष उल्लेख किए जाने के पात्र हैं। 
  • इन जांचों ने विभिन्न हितधारकों के लिए न्यायसंगत स्थान सुनिश्चित किया है। 
    • यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि वित्त वर्ष 2021-22 में तीन व्यापार उपचार जांचों में अंतिम निष्कर्ष जारी किए गए थे जो दो दशकों के बाद स्व प्रेरणा के आधार पर शुरु किए गए थे। तब से इन तीनों मामलों में शुल्क लगा दिए गए हैं।
  • संक्षिप्त कार्यवाही की संकल्पना को केवल नाम परिवर्तन के मामलों में लागू किया गया है।
  • डीजीटीआर द्वारा की गई अनुशंसाओं के आधार पर सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए समान अवसरों ने बड़ी संख्या में उद्योगों को क्षमता निर्माण, उल्लेखनीय प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार सुरक्षा तथा सृजन, निरंतर व्यवहार्य प्रचालन, उल्लेखनीय पूंजी निवेश में सक्षम बनाया। 
  • डीजीटीआर ने इस मामले में हितधारकों की टिप्पणियों पर विचार करने के बाद डंपिंग रोधी तथा प्रति संतुलनकारी शुल्क जांचों में अवशोषण रोधी प्रावधानों के लिए नियमों का प्रस्ताव रखा। 
  • इन नियमों को वित्त मंत्रालय (अक्टूबर, 2021) के राजस्व विभाग (डीओआर) द्वारा अधिसूचित किया गया है।
  • डीजीटीआर का व्यापार प्रतिरक्षा विंग (टीडीडब्ल्यू) भारतीय निर्यातों के विरुद्ध डब्ल्यूटीओ के अन्य सदस्य देशों द्वारा प्रचालित एडी/सीवीडी में भारतीय निर्यातकों के हितों की रक्षा करने में सक्रिय रूप से लगा हुआ है। 
  • अन्य देशों के प्राधिकारियों, विशेष रूप से, अमेरिका तथा ईयू के जांच प्राधिकारियों के साथ नियमित रूप् से परामर्श किए जाते हैं जिससे कि भारतीय दृष्टिकोण की व्याख्या की जा सके, उन्हें दुहराया जा सके तथा उसे समझाया जा सके।
  • एआरटीआईएस (भारतीय उद्योग तथा अन्य हितधारकों के लिए व्यापार में उपचारों के लिए आवेदन) नामक ऑनलाइन पोर्टल व्यापार उपचारों के लिए आवेदन दाखिल करने में सहायता प्रदान करने के लिए लांच किया गया था।
  • घरेलू उद्योग, विशेष रूप से, एमएसएमई सेक्टर की आवेदन दाखिल करने तथा उपलब्ध व्यापार उपचार उपायों तक पहुंच प्राप्त करने के संबंध में जागरुकता फैलाने के लिए डीजीटीआर में एक हेल्पडेस्क तथा सुगमीकरण केंद्र शुरू किया गया है। 

 

    प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

3. “मालवीय मिशन”:

  • केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों/संकायों के क्षमता निर्माण के लिए संस्थागत तंत्र से संबंधित रिपोर्ट की समीक्षा करते हुए शिक्षकों के शिक्षण/संकायों के विकास के लिए देश भर में सक्षम इकोसिस्टम तैयार करने के उद्देश्य से एक “मालवीय मिशन” का प्रस्ताव रखा ।

Comments

write a comment

Follow us for latest updates